हस्तिमुख गणेश के पूजन से करें वशीकरण

पं. उमेश दीक्षित
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भगवान गणेश की अपने भक्तों पर असीम कृपा है। उन्होंने हम पर बड़ा उपकार किया है, जो हम कभी भुला नहीं सकते। भगवान गणेश हम पर प्रसन्न कैसे हों, इसका उपाय अत्यंत सुगम है। इनका ध्यान इस प्रकार करें-

अपने दो हाथों में इक्षुदण्ड धारण किए हुए तथा दो हाथों में पाश एवं अंकुश धारण किए हुए। एक हाथ में कमल धारण किए हुए श्यामांगी को बगल में बैठाए हुए त्रिनेत्र रक्त वर्ण वाले गणपति का मैं ध्यान करता हूं।

मंत्र :

ॐ ह्रीं गं ह्रीं वशमानय स्वाहा।।

विनियोग :

ॐ अस्य श्री हस्तिमुख गणेश मंत्रस्य श्री गणक ऋषि: गायत्री छंद:। श्री हस्तिमुख गणपति देवता ममाभीष्ट सिद्धयर्थे विनियोग:।

ऐसा बोलकर जल छोड़ें।

अंग न्यास तथा करन्यास इस प्रकार करें।

ॐ गं अंगुष्ठाभ्यां नम: हृदयाय नम:
ॐ गं तर्जनीभ्यां नम: शिरसे स्वाहा
ॐ गं मध्यमाभ्यां नम: शिखायै वषट्
ॐ गं अनामिकाभ्यां नम: कवचाय हुम्
ॐ गं कनिष्ठिकाभ्यां नम: नैत्रत्रयाय वौषट्
ॐ गं करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:अस्त्राय फट्

हस्तिमुख गणपति के तीन लाख मंत्र जाप करें। दशांश हवन ईख तथा घी में तले हुए अपूप (पुए) से करें।


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गुड़ोदक (पानी में गुड़ घोलकर) से चार सौ चवालीस (444) तर्पण नित्य करें।

जप के आदि या अंत में गुरु मंत्र की एक-एक माला करें तथा गुरु का पूजन दक्षिणा इत्यादि देकर संतुष्ट करें तो सिद्धि निश्चय ही मिलेगी।‍

त्रिमधु (घी-शहद-शकर) में अपूप मिलाकर हवन करने से वशीकरण होता है। नारियल से हवन करने से श्री को प्राप्त कर सकते हैं।

मधु में कुछ मात्रा में लवण (नमक) मिलाकर हवन करने से ‍स्त्रियों को वश में किया जा सकता है। गणेश पूजन अनिवार्य है।

गणेश प्रतिमा या गणेश यंत्र का पूजन तथा अभिषेक अथर्वशीर्ष से करने से मनोभिलाषित पदार्थ पाए जा सकते हैं।

अपने नक्षत्र की लकड़ी की प्रतिमा बनाकर पूजन करने से ग्रहों की खराब दशाओं को समाप्त कर सकते हैं ।

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