शुभ कार्य करने से पहले यह योग-संयोग अवश्य पढ़े...

अप्रैल माह के कार्य-सिद्धि योग

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- आचार्य संजय

ब्रह्म-ज्योतिष के अनुसार अगर कोई भी कार्य शुभ योग-संयोग देखकर किया जाए तो सफलता निश्चित रूप से मिलती है। शुभ कार्य संपन्न करने या मंगल कार्य को बिना किसी बाधा के करने के लिए के लिए कार्य-सिद्धि योग एवं कुछ शुभ मुहुर्त देख कर ही किए जाने चाहिए।

प्राचीन काल में साधु-महात्मा और राजा-प्रजा किसी भी कार्य को करने के पहले कुछ विशेष समय और दिन का इंतजार करते थे जिसमें योग-संयोग व ग्रह-नक्षत्र उस कार्य के अनुकूल हों। ऐसे से ही कुछ योगों के बारे में हम आपको बता रहे हैं।

अमृत-योग को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है। इस योग को किसी भी कार्य को सम्‍पन्न करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

रवि-योग को सूर्य का अभीष्ट प्राप्त होने के कारण प्रभावशाली योग माना जाता है। सूर्य की पवित्र ऊर्जा से भरपूर होने से इस योग में किया गया कार्य अनिष्ट की आंशका को नष्ट करके शुभ फल वरदान करता है।

अगले पेज पर जानें द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योग के बारे में...


द्विपुष्कर एवं त्रिपुष्कर योग अपने नाम के अनुरूप क्रमश: दोगुना एवं तीन गुना फलदायक होते हैं अत: इनमें धन-धान्य का संग्रह, पूंजी का विनियोजन एवं शुभ कर्मों को करना ही उचित रहेगा।

रविवार को पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र का संयोग तंत्र-साधना हेतु तथा गुरुवार को पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र का योग (पुष्यामृत योग) व्यापारिक कार्यों हेतु सर्वोत्तम रहता है।

लेकिन ध्यान रहे कुछ योग बड़े कष्टदायक होते हैं। ऐसे योगों में कोई शुभ कार्य करने से बचें। जैसे ज्वालामुखी योग सदैव अशुभ होता है, इस योग में कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
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