डॉ. रैना को राजस्थान साहित्य अकादमी का पहला ‘अनुवाद पुरस्कार’ मिला। इनकी पुस्तकें ज्ञानपीठ, राजपाल एंड संस, साहित्य अकादमी, हिन्दी बुक सेंटर, जेएंडके कल्चरल अकादमी, भुवन वाणी ट्रस्ट आदि प्रकाशकों से प्रकाशित हो चुकी हैं। कश्मीरी रामायण “रामावतारचरित” का सानुवाद देवनागरी में लिप्यंतर। भारत सरकार ने 2015 में विधि और न्याय मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति का गैर-सरकारी सदस्य मनोनीत किया है।