अयोध्या में राममंदिर के सबसे बड़े सबूत को फाड़ना हार की निशानी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले किशोर कुणाल का बड़ा बयान

विकास सिंह
शुक्रवार, 8 नवंबर 2019 (12:20 IST)
अयोध्या में राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से पहले एक नाम जो इन दिनों खूब चर्चा मे है वह है पूर्व आईपीएस अफसर और राममंदिर के समर्थक किशोर कुणाल। ‘अयोध्या रिविजेटेड’ नाम की किताब के लेखक किशोर कुणाल पिछले दिनों उस समय सुर्खियों में आ गया जब सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन उनकी किताब में दिए रामजन्मभूमि पर दिए नक्शे को फाड़ दिया।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील ने नक्शे को राममंदिर से जुड़े साक्ष्य के तौर पर पेश किया था।  अब जब सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले पर फैसले की घड़ी आ चुकी है तब एक बार फिर किशोर कुणाल चर्चा में आ गए है। वेबदुनिया ने किशोर कुणाल से उनकी अयोध्या रिविजेटेड में राममंदिर के सबसे बड़े साक्ष्यों और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान नक्शा फाड़े जाने के घटनाक्रम को लेकर खास बातचीत की। 
 
बाबरी विध्वंस के लिए गोडबोले जिम्मेदार – तीन प्रधानमंत्रियों के समय अयोध्या मामले को हल करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके किशोर कुणाल वेबदुनिया से बातचीत में बाबरी विध्वंस के समय केंद्रीय गृहसचिव रहे माधव गोडबोले के पिछले दिनों दिए बयान पर नाराजगी जताते है। वह कहते हैं कि केंद्रीय गृहसचिव के रुप में माधव गोडबोले की ढुलमुल नीति के कारण ही 6 दिसंबर 1992 की घटना हुई और बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ।

वह कहते हैं कि अब जब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आना है तब अब वह अपने को शहीद दिखाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। उनको कोई भी बयान देने से पहले खुद अपने अंदर झांकना चाहिए कि सही समय पर सहीं फैसला नहीं ले पाने के चलते ही 6 दिसंबर 1992 की घटना हुई। अगर केंद्र सरकार अगर सही समय पर सही फैसला लेती और इच्छाशक्ति दिखाई होती तो बाबरी मस्जिद का विंध्वस नहीं हुआ होता।
 
नक्शा फाड़ना हार की निशानी - सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के आखिरी दौर में मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन के उनकी किताब अयोध्या रिविजेटेड में दिए गए नक्शे को फाड़ने पर किशोर कुणाल उनकी हार का परिचायक बताते हैं। वह कहते हैं कि वरिष्ठ वकील राजीव धवन उनकी किताबों के महत्व को अच्छी तरह जानते थे और उनको लगा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी किताब में दिए नक्शे को देख लिया और पढ़ लिया तो उनकी सारी मेहनत और बहस बेकार चली जाएगी इसलिए वह आक्रोशित हो गए और नक्शा फाड़ दिया। वह कहते हैं कि राजीव धवन बड़े वकील है और वह साक्ष्यों का महत्व जानते हैं कि इसलिए वह इतने उत्तेजित हो गए।   
 
राममंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक प्रमाण - सुप्रीम कोर्ट में राममंदिर मुद्दें पर सुनवाई के दौरान पूरे समय कोर्ट में मौजूद रहने वाले आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला उनके पक्ष में आएगा। वह कहते हैं कि सारे तथ्य और सबूत मंदिर के पक्ष में है और मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। वह महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि अयोध्या में राममंदिर तोड़ने का काम बाबर ने नहीं औरंगजेब और उसके गर्वनर फिदाई खान ने किया था।
 
वह कहते हैं कि कोर्ट के सामने रामजन्मभूमि को लेकर कई प्रमाण दिए गए है जो इससे पहले कोर्ट के सामने नहीं पेश किए गए थे अब देखना होगा कि कोर्ट इन प्रमाणों पर कितना गौर कर अपना फैसला सुनाता है। वह कहते हैं कि अगर कोर्ट थोड़ा भी इन ऐतिहासिक प्रमाण को स्वीकार करता है तो जीत रामलला की होगी। वहीं कोर्ट से पूरे मामले पर हल होने पर वह कहते हैं कि अयोध्या को बहुत पहले अपवाद के रूप में मुस्लिम भाई छोड़ देना चाहिए तो देश संप्रादायिक में माहौल और अच्छा होता है।

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