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गर्मियों में सेहत और आयुर्वेद

सुतशेखर रस का सेवन लाभकारी

Webdunia
वैद्य वीणा देव
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वातावरण में उष्णता बढ़ने से शरीर में अनेक प्रकार के रोग निर्माण होते हैं। जैसे- आँखों में जलन होना, हाथ-पैर के तलुओं में जलन होना, पेशाब में जलन होकर पेशाब लाल रंग की होती है। अधिक प्यास लगना, वमन (उल्टी) होना, बार-बार शौच होना, लू लगने की तकलीफ होना। इन सभी तकलीफों की ओर लक्ष्य केंद्रित करके उत्कृष्ट उत्तम ताजे दाडिम फलों के रस से बना दाडिमावलेह बाजार में उपलब्ध हैं।

ग्रीष्म ऋतु में दाडिमावलेह का सेवन हर व्यक्ति के लिए अमृततुल्य है अर्थात दाडिमावलेह में रोगशमन की विशिष्ट ताकत है। दाडिम शरीर की गर्मी व खून की कमी दूर करने में लाभकारी होता है। दाडिमावलेह में दाडिम रस के साथ जायफल, जावित्री, तेजपान, दालचीनी आदि द्रव्यों का उपयोग किया गया है। दाडिमवलेह मुख का स्वाद, रुचि बढ़ाने का पाचन क्रिया का कार्य सुचारु रूप से रखने में सहायक है।

इस अवलेह के सेवन से स्त्रियों में रक्तप्रदर के कारण होने वाली रक्ताल्पता दूर होने में मदद होती है। दाडिम के विशिष्ट गुणों से बना दाडिमावलेह का सेवन करने से पांडुरोग (कामला), बुखार से वमन होना, बार-बार शौच होना इन तकलीफों की उत्तम दवा है।

बड़ों को 2-2 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ देना। छोटे बच्चों को (रिकेट्स) मुडदुस रोग में एक चतुर्थांश चम्मच देना गुणकारी होगा।

आजकल स्त्री-पुरुष दोनों में ऍसिडिटी (अम्लपित्त) की तकलीफ ज्यादातर दिखाई देती है। अम्लपित्त में खट्टी डकारें आना, मुँह में पानी आना, गले में, छाती में जलन होना, सिरदर्द आदि तकलीफें होती हैं। भोजन किया हुआ अन्न का पाचन ठीक से नहीं होता। थकान ज्यादा महसूस होती है। शरीर भारी लगने लगता है। ग्रीष्म ऋतु में यह तकलीफ ज्यादा होती है।

दाडिमावलेह के साथ सुतशेखर रस का सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है। अम्लपित्त में वात प्रकोप के कारण वेदना, पित्त प्रकोप के कारण खट्टी पानी की उलटी होना यह लक्षण मुख्य रूप से दिखाई देते हैं। सुतशेखर रस में वात-पित्तशामक गुण होने से अम्लपित्त संबंधी तकलीफें दूर करने में इसका सेवन लाभकारी होता है।

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ग्रीष्म ऋतु में शरीर में गर्मी बढ़ने से नींद न आना, पेट में जलन होना, शरीर भारी लगना, शरीर घूमता हुआ महसूस होना, चक्कर आना ऐसी तकलीफें होती हैं, इसमें सुबह-शाम सुतशेखर रस 1-1 टेब. लेकर भोजन बाद दाडिमावलेह 2-2 चम्मच लेना परम गुणकारी है। ग्रीष्म ऋतु में आहार में कच्चे आम का पना, प्याज इसका ज्यादा उपयोग करें।

पानी अधिक पीना चाहिए। सूती वस्त्रों को पहनना चाहिए। ज्यादा व्यायाम न करें। इस प्रकार ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार का उचित पालन कर दाडिमावलेह के साथ सुतशेखर रस का सेवन करके गर्मी की तकलीफों से अपने आपको निश्चित रूप से सुरक्षित रखकर अपना स्वास्थ्य उत्तम रख सकते हैं व अपना बचाव खुद कर सकते हैं।

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