बीमारी के अनुसार दवाएँ

Webdunia
NDND
आयुर्वेदिक दवाओं की जानकारी में हम अभी तक अनेक प्रकार की दवाएँ तथा विभिन्न रोगों की दवाएँ बता चुके हैं। इसी कड़ी के अंतर्गत हम बीमारी के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों की उपयोगी जानकारी दे रहे हैं।

प्रत्येक मौसम में सेवन योग्य (शीतर, शांतिदायक, दिल व दिमाग को स्फूर्तिदायक, अधिक प्यास, गर्मी व सिर दर्द आदि से बचने के लिए) :गुलकन्द प्रवालयुक्त, मोती पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, खमीरा संदल, शर्बत संदल, शर्बत अनार।

शरद ऋतु में विशेष रूप से सेवन योग्य (पौष्टिक) : बादाम पाक, बसंत, कुसुमाकर रस, च्यवनप्राश अवलेह (स्पेशल) दयाल तेल, दशमूलारिष्ट।

विषम ज्वर (मलेरिया) : पु.प. विषम ज्वरांतक लौह, सुदर्शन चूर्ण, महा सुदर्शन काढ़ा, अमृतारिष्ट, ज्वरांकुश रस, सत्व गिलोय।

वात श्लेष्मिक ज्वर (एन्फ्लूएन्जा) : त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, पीपल 64 प्रहरी, अमृतारिष्ट।

श्लीपद (हाथी पाँव) : नित्यनंद रस, मल्ल सिंदूर।

जीर्ण ज्वर व अन्य : स्वर्ण वसंत मालती, सितोपलादि चूर्ण, अमृतराष्टि, मत्युंजय रस, आनंद भैरव, गोदंती भस्म, सर्वज्वरहर लौह, संजीवनी, ज्वरांकुश रस, महालाक्षादि तेल।

तमक श्वास (दवा) : कफकेयर, च्यवनप्राश अवलेह, सितोपलादि चूर्ण, श्वासकास, चिंतामणि कनकासव, शर्बत वासा, वासारिष्ट, वासावलेह, मयूर चन्द्रिका भस्म, अभ्रक भस्म तेल।

कास रोग (कफ खांसी) : कफकेयर शर्बत वासा, वासावलेह, वासारिष्ट खदिरादि वटी, मरिचादि वटी, लवंगादि वटी, त्रिकुट चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, एलादि वटी, कालीसादि चूर्ण, कफकेतु रस, अभ्रक भस्म, श्रृंगारभ्र रस, बबूलारिष्ट।

उर्ध्व रक्तपित्त (कफ के साथ अणवा उल्टी में खून आना) : कफकेयर, शर्बत वासा, कामदुधा रस मौ.यु. कहरवा पिष्टी, वासावलेह, प्रवाल पिष्टी, वासारिष्ट, बोलबद्ध चूर्ण, बोल पर्पटी, रक्त पित्तांतक लौह कुष्माण्ड अवलेह।

राजयक्षमा (टीबी) : स्वर्ण वसंत मालती, लक्ष्मी विलास रस, मृगांक रस, वृहत्‌ श्रृंगारभ्र रस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस।

पार्श्व शूल (प्लूरिसरी, फेफेड़ों में पानी भरना) : नारदीय लक्ष्मी विलास रस, स्वर्ण वसंत मालती, मृगश्रृंग भस्म, रस सिंदूर।

हिक्का रोग (हिचकी आना) : सूतशेखर स्वर्णयुक्त, मयूर चन्द्रिका भस्म, एलादि वटी, एलादि चूर्ण।

खालित्य (बालों का गिरना, गंजापन) : महाभृंगराज तेल, हस्तिदंतमसी, च्यवनप्राश अवलेह।

पालित्य (बाल सफेद होना) : महाभृंगराज तेल, भृंगराजसव, च्यवनप्राश।

विचर्चिका (छाजन, एग्जिमा) : चर्म रोगांतक मरहम, गुडुच्यादि तेल, रस माणिक्य, महामरिचादि तेल गंधक रसायन, त्रिफला चूर्ण, पुभष्पांजन, रक्त शोध, खदिरादिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा।

दद्रु (दाद, रिंगवर्म) : सोमराजी तेल, गंधक रसायन।

कुष्ठ (सफेद दाग) : सोगन बावची, खदिरादिष्ट, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, रस माणिक्य, गंधक रसायन, चालमोगरा तेल, महामंजिष्ठादि क्वाथ।

शीत पित्त (पित्ती) : हरिद्राखंड, कामदुधा रस, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, सूतशेखर रस।

पिदक (गर्मी की मरोरी, पसीना) : खमीरा संदल, प्रवालयुक्त, गुलकन्द, प्रवाल पिष्टी, जहर मोहरा पिष्टी, सारिवाद्यासव।

खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी, रक्त विकार : रक्त शोधक, खदिराष्टि, महामंजिष्ठादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, महामरिचादि तेल, रोगन नीम, गंधक रसायन, केशर गूगल, आरोग्यवर्द्धनी, जात्यादि तेल, चर्मरोगांतक मरहम,पुष्पांजन।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

Indian Street Food: घर पर कच्छी स्टाइल दाबेली कैसे बनाएं, जानें पूरी रेसिपी

गर्मियों में धूप में निकलने से पहले बैग में रखें ये चीजें, लू और सन टेन से होगा बचाव

लू लगने पर ये फल खाने से रिकवरी होती है फास्ट, मिलती है राहत

सभी देखें

नवीनतम

World Malaria Day: विश्व मलेरिया दिवस, जानें महत्व, इतिहास, लक्षण, कारण, उपचार और 2025 की थीम

बच्चों की कोमल त्वचा पर भूलकर भी न लगाएं ये प्रोडक्ट्स, हो सकता है इन्फेक्शन

ये 10 प्रेरक कोट्‍स बढ़ाएंगे मलेरिया के प्रति जागरूकता

विश्व मलेरिया जागरूकता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

नन्ही परी के लिए चुनिए 'स' अक्षर से शुरू सुंदर नाम, हर कोई जानना चाहेगा अर्थ