गाँधी के सपनों का कश्मीर बने-उमर

बीबीसी हिन्दी के 'एक मुलाकात' कार्यक्रम में उमर अब्दुल्ला

संजीव श्रीवास्तव
सोमवार, 23 जुलाई 2007 (11:32 IST)
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पूर्व विदेश राज्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का कहना है कि बचपन में श्रीनगर की जिन गलियों में बेखौफ होकर मैं अपने दोस्तों के साथ खेला करता था, आज उन्हीं गलियों से गुजरने में दिल डरता है। बचपन के उन हसीन दिनों को बहुत याद करता हूँ। मेरी ख्वाहिश है कि महात्मा गाँधी ने जिस शांत और सुखद कश्मीर का सपना देखा था, कश्मीर फिर से वैसा बन जाए।

उमर कहते हैं कि आज धरती पर स्वर्ग-सा नजारा पेश करने वाले कश्मीर में सब कुछ बदल गया है। अब न तो यहाँ फिल्म निर्माता आते हैं और न ही पर्यटकों की भीड़ रहती है। लोग जब मुझसे पूछते हैं कि मैं कैसा कश्मीर पसंद करता हूँ, तो मेरा यही जवाब होता है कि जैसा मेरे बचपन में था। मैं वैसा कश्मीर चाहता हूँ जिसमें लोग धर्म और जाति के आधार पर एक-दूसरे से मतभेद न रखते हो और जहाँ सब शांति से मिल-जुलकर रहें।

निजी और सार्वजनिक जीवन : मैंने हमेशा अपने निजी जीवन को सार्वजनिक जीवन से अलग रखा है। मैं जितना ध्यान अपने काम पर देता हूँ उतना ही परिवार को भी चाहता हूँ। राजनीतिक काम निपटाने के बाद जब घर जाता हूँ तो परिवार और बच्चे के साथ समय बिताता हूँ।

नौकर ी मे ं संतुष्ट ि नही ं मिली : मैं बचपन मे राजनीति से दूर रहता था, लेकिन मेरे दादा और पिताजी से काफी प्रभावित रहा हूँ। मैंने अपने लिए कुछ अलग सोच रखा था। लोग मुझसे कहते थे कि पिता और दादा की तरह अंततः मुझे राजनीति में ही आना है, लेकिन मैं उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता था। मैंने करियर प्राइवेट नौकरी से शुरू किया, लेकिन वहाँ भी संतुष्टि नहीं मिली। मैंने सोचा कि मैं अपने अनुभव व शिक्षा का उपयोग राजनीति में भी कर सकता हूँ और इस तरह मैं राजनीतिज्ञ बन गया।

पढ़न े क ा शौक : मैं हमेशा कुछ न कुछ पढ़ता रहता हूँ। मेरी माँ ने मुझे किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। चैनलों में पहले केवल दूरदर्शन ही हुआ करता था और उस पर शनिवार-रविवार को प्रसारित होने वाली फिल्में देखना मुझे पसंद था। वीडियो गेम भी मुझे पसंद नहीं, इसलिए खाली समय में किताबें ही पढ़ा करता था।

मनपसंद जगह : कोई एक बताना तो मुश्किल है। दुबई एक ऐसी जगह है जहाँ आप एक घंटे समुंदर में तैरो और दूसरे घंटे उनके इंडोर स्कीइंग स्लोप पर स्कीइंग करो। मुझे अभी तक दूसरी ऐसी जगह नहीं दिखी। दो जगहें और भी हैं जो मुझे और मेरी बीबी को अच्छी लगीं। एक, मिस्र जहाँ हमने इतिहास को जानने के लिए नील नदी में सैर की। और, दूसरी जगह है दक्षिण अफ्रीका के 'क्रूगर नेशनल पार्क' में एनिमल सफारी।

ख्वाहिश : मेरी ख्वाहिश है कि मैं हमेशा लोगों की अच्छाई के काम करूँ, किसी को पथभ्रष्ट न करूँ। जिस दिन मुझे लगा कि मैंने किसी व्यक्ति को गलत राह दिखाई है, वह दिन मेरी राजनीति का आखिरी दिन होगा।

अफसोस : यदि आप राजनीति में आना चाहते हैं तो पहले वकालत करिए। एक चीफ जस्टिस थे जम्मू-कश्मीर के जो बाद में भारत के भी चीफ जस्टिस बने आदर्श सेन आनंद। उन्होंने मेरी माँ से कहा था कि इसे कॉमर्स की जगह वकालत कराओ। तब मैंने उनकी नहीं सुनी थी। मुझे इसका अफसोस है। इससे संविधान, कानून को समझने में मदद मिलती है।

सबसे स्मार्ट : नई पीढ़ी में ज्योतिरादित्य हमेशा बढ़िया कपड़े पहनते हैं । वो संसद में भी आते हैं तो उनके कुर्त े- पैजामे और जैकेट सब मैचिंग के होते हैं । उनका मुकाबला हम में से कोई नहीं कर सकता।

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