चाहिए ऐसा दंपत्ति जो मंगल का एकांत झेल सके

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एक करोड़पति व्यक्ति के नेतृत्व में एक दल प्रयोग के लिए एक ऐसे अधेड़ दंपत्ति की तलाश कर रहा है जो मंगल ग्रह तक जा कर वापस आ सके।

इस दल का नेतृत्व पूर्व अंतरिक्ष पर्यटक रह चुके डेनिस टीटो कर रहे हैं। इंस्पिरेशन मार्स फाउंडेशन नाम के संस्थान का यह अभियान पूरी तरह से 'निजी पूँजी' से चलाया जाएगा। इनकी योजना है कि करीब डेढ़ साल चलने वाला यह अभियान जनवरी 2018 तक आरंभ हो जाए।

इस संस्थान ने एक अध्यन किया है जिसके अनुसार इस तरह का अभियान मौजूदा तकनीकों के जरिए चलाया जा सकता है। इस संस्थान को अभी इस अभियान के लिए क्लिक करें पैसे जुटाने हैं।

क्यों चाहिए अधेड़ : जो लोग इस अभियान में शामिल हैं उनमे से जेन पॉइंटर हैं जिन्होंने दो साल एक चारों तरफ से बंद संसार से कटे हुए वातावरण में बिताए थे।

जेन पॉइंटर ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि इस अभियान के लिए एक अधेड़ दंपत्ति की खोज इसलिए की जा रही है क्यों कि किसी पुराने दंपत्ति में ही इतना सामंजस्य होता है जितना कि दो साल तक अंतरिक्ष में दीन दुनिया से कटे रहते हुए एक साथ रहने के लिए चाहिए ।

जेन पॉइंटर ने कहा, 'मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि अगर आपके पास कोई ऐसा है जिसके ऊपर आप पूरी तरह से भरोसा कर सकते हैं तो यह सामान्य बात नहीं है।'

जेन पॉइंटर जिन्होंने अपने साथ प्रयोग में शामिल एक आदमी से बाद में विवाह भी कर लिया था वो कहती हैं कि जिस तरह की परिस्थितियों का सामना मंगल जाने वाले दंपत्ति को करना होगा वो बहुत ही चुनौतीपूर्ण होंगी।

वो जोर देकर कहती हैं, 'इस काम के लिए ऐसे दंपत्ति की खोज की जा रही है जो मुश्किलों का सामना करते हुए भी एकदूसरे के साथ खुश रहें।' योजना के अनुसार एक अधेड़ दंपत्ति का चयन किया जाएगा जिनकी सेहत और प्रजनन क्षमता पर रेडिएशन का ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़े।

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कैसे होगा?
जिन लोगों का चयन मंगल ग्रह जाने के लिए होगा उन्हें कड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी और यात्रा के दौरान धरती पर मौजूद केंद्र से उन्हें पूरे समय मनोवैज्ञानिक सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।

अंतरिक्ष इतिहास के विशेषज्ञ और लिंकन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्रिस्टोफर रिले मानते हैं कि किसी दंपत्ति को भेजने का विचार अच्छा है। प्रोफेसर रिले कहते हैं, 'कोई ऐसा जोड़ा जिसके बच्चे हो चुके हों मंगल की यात्रा पर जाए तो बेहतर है क्योंकि उनकी प्रजनन क्षमता पर इस यात्रा का बड़ा प्रभाव होगा।'

इस अभियान के तहत मंगल ग्रह तक जा कर वहां नीचे उतरे बिना वापस आना होगा इसकी वजह से अभियान की कीमत में जबरदस्त कमी आ जाएगी। इस अभियान के लिए जनवरी 2018 को इसलिए चुना गया है क्योंकि उस वक्त पृथ्वी और मंगल अपनी अपनी कक्षाओं में सर्वाधिक पास होंगे।

इन दोनों ग्रहों की नजदीकी की वजह से यह यात्रा डेढ़ साल में निपट जाएगी। अगर यह समय बीत जाता है तो इस यात्रा में दो से तीन साल तक का समय लग सकता है।

विशेषज्ञों की राय : ब्रिटिश नेशनल स्पेस सेंटर के अनु ओझा भी मानते हैं कि मंगल तक जाने और आने के विमान मौजूद है।

विमान के अन्दर यात्रीओं को बेहद कम में अपना गुजारा करना होगा। इस विमान में दो यात्रियों के लिए पांच दिन के भोजन का वजन करीब 1,360 किलो होगा। इसके अलावा इस विमान पर 28 किलोग्राम टॉयलेट पेपर भी होंगे।

ओझा के अनुसार अगर किसी को मंगल भेजना है तो इसके लिए विमान में कुछ तकनीकी सुधार करने होंगे मसलन पेशाब को शोधित कर पानी बनाने और रेडिएशन के प्रभावों को कम करने के क्षेत्र में।

इस अभियान के लिए डेनिस टीटो ने आरंभिक पूंजी लगाई है, लेकिन इसके लिए कहीं और पैसे की जरूरत है।

ओझा कहते हैं, 'जब तक कुछ अरबपति एक या दो अरब डॉलर इस अभियान पर खर्च कर भूल जाने के लिए नहीं तैयार होते यह अभियान हो ही नहीं सकता।'

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