...तो ज्यादा रुपए कमा रहा होता

बीबीसी की एक मुलाकात में सचिन पायलट

संजीव श्रीवास्तव
बेहद समझदार, युवा और छोटी-सी उम्र में सार्वजनिक जीवन में खूब नाम कमाने वाली शख्सियत का नाम है सचिन पायलट। सचिन चर्चित राजनीतिक हस्ती स्वर्गीय राजेश पायलट के बेटे हैं और फिलहाल सांसद भी हैं।

सचिन सबसे पहले, मैंने आपकी तारीफ में ये सब बातें कहीं। ये बातें आमतौर पर किसी राजनेता के साथ जो़ड़कर नहीं देखी जातीं, तो आप कैसे राजनीति में पहुँचे?
जो आपने मेरे बारे में तीन बातें कहीं। पहली बात समझदारी की तो कहना चाहूँगा कि इस पी़ढ़ी में काफी लोग समझदार हैं। दूसरे, इस देश की आधे से ज्यादा जनता मुझसे भी युवा है। मैं 30 साल का हूँ, जबकि देश की 54 फीसदी आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है। रही बात अच्छे दिखने की तो मेरा मानना है कि कोई सुंदर-बदसूरत नहीं होता, इन्सान अच्छा-बुरा होता है। जहाँ तक राजनीति की बात है तो राजनीति मेरे परिवार में रही।

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मेरी दिलचस्पी भी बचपन से ही राजनीति में थी फिर कुछ ऐसे हालात बने, मेरे पिता राजेश पायलट साहब का निधन हुआ। बाद में पार्टी ने मुझे चुनाव ल़ड़ने को कहा और जनता के प्रेम से मैं संसद में पहुँचा।

दुनिया के प्रतिष्ठित ह्वार्टन स्कूल से आपने एमबीए किया। कभी मन में यह भी आया कि कुछ समय निजी क्षेत्र में नौकरी कर मोटा पैसा कमाया जाए या फिर हालात ऐसे बने कि आपको सीधे राजनीति में आना पड़ा?
मैंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद गुड़गाँव स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में ढाई-तीन साल काम किया। फिर ह्वार्टन में एडमिशन मिला और मैं एमबीए के लिए वहाँ चला गया। एमबीए के बाद की बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाई थीं, लेकिन बहुत कुछ बहुत जल्द बदल गया। लेकिन यह बात जरूर है कि ह्वार्टन में मेरे साथ पढ़ाई करने वाले मेरे दोस्त आज मुझसे कहीं अधिक पैसा कमा रहे हैं।

दिल पर हाथ रखकर बताना कि क्या उन दोस्तों में से लगभग सभी आपसे जगह बदलने को तैयार नहीं होंगे?
जो बहुत समझदार हैं शायद वे जगह नहीं बदलें। लेकिन जिन्हें बाहर से यह लगता है कि राजनीति बहुत अच्छी है, इसमें कुछ नहीं करना पड़ता बस मंच पर खड़े हो जाओ, हाथ हिला दो, थोड़ा-बहुत भाषण, टीवी पर इंटरव्यू और गाड़ी चल जाती है, वे जगह बदल सकते हैं।

सचिन, अभी आपने यह बताया कि आप बहुत युवा नहीं हैं और 54 फीसदी लोग आपसे भी युवा हैं, लेकिन कई लोग मानते हैं कि आप इन युवा चेहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्या आप इससे सहमत नहीं हैं?
नहीं। पूरी तरह से नहीं। मीडिया राजनीति से जुड़े लोगों की छवि बनाता है और कई बार यह छवि हकीकत से काफी अलग होती है। मेरा मानना है कि आदमी का व्यक्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद क्या करता है और क्या कहता है। और जिस ग्रामीण परिवेश से मैं आता हूँ वहाँ इस तरह की शब्दावली की कोई जगह नहीं है।

क्या आप इस बात से भी इत्तफाक नहीं रखते कि आप भारत के सबसे आकर्षक पुरुषों में से हैं?
नहीं। मेरा मानना है कि यह बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है, फिर भी जिस किसी ने मेरे बारे मैं ये बातें कही हैं मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूँ।

आपके पिता राजनीति में थे, माँ राजनीति में हैं। आपकी राजनीतिक सोच में इनका कितना योगदान है?
देखिए, हर आदमी का अपना नजरिया होता है और काम करने की अपनी शैली होती है, लेकिन यह बात भी स्वाभाविक है कि आप अपने आसपास व परिवार से काफी कुछ सीखते हैं। मैंने अपने पिता से काफी कुछ सीखा। हालाँकि वे लंबे समय तक हमारे साथ नहीं रहे, लेकिन चंद वर्षों में जो कुछ देखने-सीखने को मिला, उसे मैंने गाँठ बाँधा है। चाहे वह बात करने का तरीका हो, जिंदगी जीने का तरीका हो। लोगों को इज्जत-सम्मान देना और अपनी जड़ों को न भूलना। ये कुछ बातें हैं, जो मैंने अपने परिवार से सीखी हैं।

राजेश पायलट के स्वभाव की वह कौन-सी बात थी, जिसने आपको सबसे अधिक प्रेरित किया?
मेरे पिता की राजनीति की शुरुआत वायुसेना से हटने के बाद हुई। शुरुआती वर्षों में उन्होंने काफी संघर्ष किया। मेरे पिता कहा करते थे कि फौज में हमें बताया जाता था कि जो दिल में हो, उसे झट से बता देना चाहिए, लेकिन राजनीति में बिलकुल उल्टा है। यहाँ दिल, दिमाग और जुबान पर अलग-अलग बातें हैं। उन्होंने इससे अलग करने की पूरी-पूरी कोशिश की। उन्होंने साफगोई बरतने की पूरी-पूरी कोशिश की। लोग उन्हें इसलिए भी पसंद करते थे कि वे दिल की बात कह देते थे, हालाँकि कई मर्तबा उन्हें इसका काफी नुकसान भी हुआ।

आप भी इस चीज पर अमल करने की कोशिश करते हैं?
जहाँ तक संभव हो, अमल करने की कोशिश करता हूँ। लेकिन मैं राजनीति में हूँ इसलिए थोड़ा देख-संभलकर काम करना पड़ता है।

जब पढ़ाई के सिलसिले में अमेरिका गए तो कैसा अनुभव रहा?
मैं पहले भी अमेरिका गया था, लेकिन पढ़ने के लिए वहाँ जाने की बात अलग थी। अमेरिका में बहुत स्वतंत्रता है, लेकिन जिम्मेदारियाँ भी उतनी ही हैं। खाना पकाना, रहना, धोना सब कुछ खुद करना होता है। इसके अलावा मैं जो कोर्स कर रहा था, वह काफी मुश्किल था। 60-70 देशों के छात्र आपके साथ पढ़ते हैं, तो उनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है।

अच्छा, एक बात ईमानदारी से बताएँ कि ह्वार्टन में दाखिला कैसे हुआ?
यही तो बात है कि राजनेता का परिवार चाहे कुछ भी करे, लोग हर काम को आशंका और सवालिया नजर से देखते हैं। चलिए यह मान भी लें कि मैं कैसे भी ह्वार्टन में पहुँचा, लेकिन वहाँ से पास होकर तो आया।

ह्वार्टन से पढ़ाई के बाद नौकरियों के प्रस्ताव मिले होंगे, तो आप अमेरिका में ही क्यों नहीं रुके?
इस बारे में मेरा अपने पिता से करार था कि पढ़ाई खत्म करके मैं भारत वापस लौटूँगा। यह अलग बात है कि जब मैं पढ़ ही रहा था तो उनकी दुर्घटना में मौत हो गई। लेकिन मेरा मानना है कि अमेरिका या दूसरे देशों में ऐसा खास आकर्षण नहीं है। आखिर क्या नहीं है यहाँ। यहाँ दोस्त हैं, परिवार है, अच्छी नौकरियाँ हैं तो फिर बाहर जाने की क्या जरूरत है?

जब आप राजनीति में आए, पहली बार चुनाव और पार्टी की राजनीति में तो क्या बहुत मुश्किल था?
यह कहना गलत होगा कि सब कुछ बहुत आसान था और कोई चुनौती नहीं थी। लेकिन यह बात भी सच है कि सभी लोगों, पार्टी, कार्यकर्ताओं ने बहुत प्यार दिया और उत्साहवर्धन किया। इससे ही हमने सीखा कि राजनीति में जीवन कैसे जिया जाता है।

चूँकि ज्यादातर राजनेताओं की छवि थोड़ा कम पढ़े-लिखे, ज्यादा मजबूत पृष्ठभूमि की नहीं है, जैसी आपकी है तो क्या राजनीति में इससे आपको कुछ फायदा मिलता है?
पढ़ाई किसी भी व्यक्ति के जीवन की पूँजी है। बाकी सब चीजों में उतार-चढ़ाव लगा रहता है। जहाँ तक राजनेताओं की पढ़ाई का सवाल है तो हमारी राजनीति में भी कई नेता बहुत पढ़े-लिखे हुए हैं, मसलन जवाहरलाल नेहरू।

आपकी जिंदगी का सबसे खुशनुमा दिन?
मुझे लगता है कि पहली बार पिता बनना। इसे व्यक्त तो नहीं किया जा सकता और निश्चित तौर पर यह मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा दिन था।

खेलों में दिलचस्पी है?
हाँ, मुझे क्रिकेट का शौक रहा है। कॉलेज के दिनों में मैंने निशानेबाज के तौर पर कुछ राष्ट्रीय चैंपियनशिपों में शिरकत भी की है।

अच्छा एक निजी सवाल। आपने प्रेम विवाह किया है। क्या यह पहली नजर का प्रेम था या..?
मैं और मेरा परिवार सारा और उनके परिवार को लंबे समय से जानता था। मैं उनसे कई साल पहले मिला था, हम दोनों ने एक-दूसरे को समझा और फिर 2004 में हमने शादी कर ली।

आपका एक बेटा भी है न? क्या नाम है उसका?
जी हाँ, आरन नाम है। इसका मतलब होता है ताकत का पहा़ड़।

पसंदीदा अभिनेता?
कई हैं, लेकिन आमिर बहुत पंसद हैं।

और पसंदीदा अभिनेत्री?
नरगिस, मधुबाला। आजकल भी कई अभिनेत्रियाँ अच्छा अभिनय कर रही हैं, लेकिन कोई भी नरगिस, मधुबाला जैसी नहीं हैं।

जो युवा राजनीति में आने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए सचिन पायलट की क्या राय होगी?
मेरा मानना है कि राजनीति ऐसा पेशा है, जो सिर्फ काम के लिए नहीं है बल्कि जिंदगी जीने का तरीका है। अगर आपके पास राजनीति में पूरा वक्त देने का हौसला और संकल्प है तो इस क्षेत्र में आ सकते हैं। राजनीति में सही वजहों से उतरा जाए तो अच्छा रहेगा। राजनीति में सिर्फ इसलिए न आया जाए कि मुझे खादी पहननी है और भाषण देना है। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि उनका लक्ष्य प्राथमिक तौर पर समाजसेवा होना चाहिए।

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