मुंबई का कमाठीपुरा इलाका। यहां पिछले दिनों अभिनेत्री वीना मलिक ने अपनी पहली फिल्म 'ज़िदंगी 50-50' के प्रमोशन के लिए कंडोम बांटे। इस फिल्म में एक वेश्या का रोल निभा रही वीना ने कहा कि अपने किरदार को समझने के लिए उन्होंने कई बार इस जगह के चक्कर लगाए।
रेड लाइट एरिया के रूप में मशहूर ऐसे कई इलाकों से निकले किरदारों को हिंदी फिल्मों में जगह मिली है। फिर वो गुरुदत्त की 'प्यासा' में वहीदा रहमान द्वारा निभाया गया गुलाबो का रोल हो या फिर पिछले साल रिलीज़ हुई आमिर खान की फिल्म 'तलाश' में करीना कपूर का रोज़ी नाम का किरदार।
हिंदी सिनेमा में वेश्यावृत्ति के इर्द-गिर्द कई फिल्में बनाई गई हैं लेकिन वीना मलिक का दावा है कि वो पहली कलाकार है जो अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए मीडिया के सामने इस इलाके में पहुंची हैं।
कुछ वक्त पहले आमिर ख़ान ने अपनी क्लिक करें फिल्म 'तलाश' के संगीत लांच के लिए भी एक रेड लाइट एरिया का चयन किया थ ा, लेकिन बाद में ये कार्यक्रम मुंबई के एक होटल में किया गया था जिसे लाल बत्ती इलाके का रूप दिया गया था।
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सेक्स वर्कर के लिए अहमियत : ये इलाका फिल्मों के प्रमोशन के लिए खासा ध्यान बटोरता है, लेकिन कौन-सी फिल्में यहां रहने वालों का ध्यान बटोरती हैं? फिल्म प्रमोशन के लिए बंटने वाले कंडोम इस इलाके में रहने वाले सेक्स वर्कर के लिए असल में कितनी अहमियत रखते हैं?
कमाठीपुरा में रहने वाली नंदिनी एक किन्नर हैं जो बताती हैं, 'पहले लोग बोलते थे कि बिना कंडोम के बैठो और डबल पैसे ले लो। अब भी कई लोग ज्यादा पैसों के लिए बिना कंडोम के सेक्स करने को राजी हो जाते हैं। लेकिन हम किन्नर लोग ऐसा नहीं करते। हमको पेट के लिए, कमाने के लिए जीना है भई।'
जहां तक फिल्मों की बात है तो नंदिनी हंसते हुए कहती हैं कि बेचने के लिए फिल्म वालों को सब कुछ दिखाना पड़ता है पर ठीक है चलता है, ये तो उनकी रोज़ी रोटी है।
पिछले पंद्रह सालों से पद्मा वेश्यावृत्ति में हैं और उनका इस काम से जुड़ना किसी फिल्मी कहानी जैसा ही है। पद्मा ने बताया कि वो आंध्रप्रदेश की रहने वाली हैं और उन्हें शादी का झांसा देकर इस लाइन में धोखे से लाया गया।
पद्मा ने दो साल बतौर बार-डांसर भी काम किया। फिलहाल उनकी एक बेटी है जिसे वो इस काम से दूर रखना चाहती हैं। अपनी बेटी की अच्छी पढ़ाई के लिए पद्मा अब भी रेड लाइट एरिया में काम करती हैं।
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समलैंगिक : अजित मांजरेकर समलैंगिक सेक्स वर्कर हैं और उन्हें लगता है कि हिंदी फिल्मों में उनके जैसे लोगों का चित्रण कुछ सही तरीके से नहीं होता।
हालांकि अजित को 'दोस्ताना' फिल्म में अभिषेक बच्चन का रोल पसंद आया था लेकिन फिर भी वो मानते हैं कि फिल्मों में समलैंगिक विषय के बारे में लोग खुलकर बात करने में हिचकिचाते हैं।
शकीला को कमाठीपुरा में रहते हुए बारह साल हो गए है। वो फिल्में देखना पसंद करती हैं। शकीला के पसंदीदा हीरो सलमान खान है और जूही चावला भी उन्हें पसंद है। शकीला के मुताबिक करीना कपूर और कैटरीना कैफ की फिल्में परिवार के साथ बैठकर नहीं देखी जा सकती।
वहीं प्रिया की शादी हो गई है और उनके पति चायनीज़ रेस्तरां में कुक हैं। दो बच्चों की मां प्रिया अब भी वेश्यावृत्ति में हैं और मानती हैं कि फिल्मों में वेश्याओं का सही चित्रण होता है।
प्रिया को तब्बू की फिल्म 'चांदनी बार' का क्लाइमेक्स देखकर बहुत दुख हुआ था। चांदनी बार में तब्बू ने एक बार गर्ल का रोल निभाया था।
प्रिया कहती हैं 'ऐसी फिल्मों को देखकर सोचती हूं कि हम ऐसी लाइन में क्यों आ ग ए, लेकिन फिर हमारा नसीब खराब था इसलिए आ गए। इसलिए ज्यादा सोचने का नहीं।'