दक्षिण अफ्रीका में समलैंगिक महिलाएं खौफ में जी रही हैं, क्योंकि यहां के नगरों में बलात्कार और हत्या का साया उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर मंडरा रहा है।
23 वर्षीय नॉक्सोलो कोसाना हाल ही में समलैंगिक महिलाओं पर हुई हिंसा का शिकार हुई। केपटाउन में उनके घर से कुछ ही कदम की दूरी पर उन पर चाकू से वार किया गया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वे अपनी ‘गर्लफ्रेंड’ के साथ घर लौट रही थीं।
जिन लोगों ने उन पर हमला किया, वो उनके मोहल्ले के लड़के थे। उस खौफनाक हादसे के बारे में नॉक्सोलो कोसाना ने बीबीसी को बताया, 'वो लड़के हमारा पीछा कर रहे थे। मेरी तरफ देखकर वे मुझे ये कह कर धमकी देने लगे कि वो मुझे देख लेंगें।'
इससे पहले कि कोसाना इस धमकी का जवाब दे पातीं, एक नोंकदार चाकू से उनकी पीठ पर वार किया गया और वो बेहोश हो कर सड़क पर गिर पड़ी। गुस्से में कोसाना कहती हैं, 'मैं जानती हूं कि वो लोग मुझे जान से मारना चाहते थे।'
खामोशी की मौत : दक्षिण अफ्रीका में पिछले दस सालों में 31 समलैंगिक औरतों को मौत के घाट उतार दिया गया। गत अप्रैल में आठ पुरुषों ने 24 वर्षीय नोक्सोलो नॉग्वाजा के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
बलात्कार के बाद नोक्सोलो के चेहरे पर पत्थरों से वार किए गए और कांच के टुकड़ों से उन पर कई वार किए गए। नोक्सोलो पर हुआ ये हमला उन कई हमलों में से एक है जिसे दक्षिण अफ्रीका के पुरुष-प्रधान समाज में समलैंगिक औरतों को सज़ा के तौर पर किया जाता है।
बलात्कार को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर पुरुष समलैंगिक महिलाओं को ‘सुधारने’ की कोशिश करते हैं और दक्षिण अफ्रीका में इस चलन में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
लुलेकी शिजवे नाम की एक परोपकारी संस्था का कहना है कि केप टाउन में हर सप्ताह 10 से ज्यादा युवतियों को बलात्कार का शिकार बनाया जाता है। संस्था की संस्थापक डूमी फुंडा कहती हैं कि ज्यादातर मामले इसलिए सामने नहीं आते क्योंकि पीड़ितों को डर रहता है कि वे समाज में हंसी का पात्र न बन कर रह जाएं।
एक समलैंगिक महिला थांडो सिबिया कहती हैं, कहती हैं, 'पुलिस हमारा ये कह कर मजाक बनाती है कि जब हमारी जैसी महिलाएं पुरुषों की ओर आकर्षित ही नहीं होतीं हैं, तो वो हमारा बलात्कार कैसे कर सकते हैं? वो हमसे पूछते हैं कि बलात्कार के समय हमने क्या महसूस किया। ये बेहद अपमानजनक है।'
थांडो कहती हैं कि ज्यादातर मामले पुलिस स्टेशन तक इसलिए नहीं जाते क्योंकि पुलिस उनका जम कर मजाक बनाती है।
' मर्दानगी को खतरा' कुछ लोगों का कहना है कि अफ्रीकी समाज में समलैंगिकता को स्वीकृति नहीं मिली है, खासतौर पर महिलाओं में समलैंगिकता के चलन को टेढ़ी नजरों से देखा जाता है।
अफ्रीका समलैंगिक अधिकार समूह ‘बिहाइंड द मास्क’ के सदस्य लेसेगो लवाले कहते हैं, 'अफ्रीकी समाज बेहद पुरुष-प्रधान है। यहां महिलाओं को सिखाया जाता है कि उन्हें पुरुषों से ही शादी करनी चाहिए और अगर वे इस सीख से परे जा कर कुछ करती हैं तो उन्हें सुधारने का ठेका पुरुष अपने हाथों में ले लेते हैं। यहां के पुरुष समलैंगिक महिलाओं को उनकी मर्दानगी पर खतरे के रूप में देखते हैं।'
पूरे अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका ही एकमात्र देश हैं जहां समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता दी गई है। संविधान में लैंगिक भेदभाव को वर्जित बताया गया है, लेकिन जमीनी हालात बेहद अलग है।