शौचालय का वो ख़तरनाक रास्ता...

दिव्या आर्य, बीबीसी संवाददाता, कुरमाली, हरियाणा

Webdunia
महज़ शौचालय जाना एक लड़की के लिए कितना घातक हो सकता है, यह तब सामने आया जब पिछले महीने बदायूं में रात को खेत गईं दो लड़कियों का कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या कर उन्हें पेड़ से लटका दिया गया।

BBC

लेकिन भारत के गांवों में शौच के लिए खेत जाना आम है। शर्म और संकोच के चलते, वहां महिलाएं तड़के सुबह और देर शाम ही खेत जाती हैं। मानो यह समय उनके लिए आरक्षित हो। इसी समय तड़के चार बजे, दिल्ली से क़रीब 60 किलोमीटर दूर, मैं पहुंची हरियाणा के कुरमाली गांव। वहां एक-दो नहीं, दर्जनों लड़कियां और महिलाएं, हाथ में पानी की बोतल लिए खेतों की तरफ़ जाती मिलीं।

सुबह-रात का नियम : 38 साल की कैलाश ने इशारे से बताया कि इस दौरान भी लड़के छेड़खानी के लिए आ जाते हैं, इसलिए एकसाथ जाना ज़रूरी है। उनकी बेटी सोनू बोली, 'हम इधर-उधर कहीं नहीं जाते, सीधा खेत और फिर वापस, और वह भी किसी के साथ ही जाते हैं।'

पिछले साल सोनू को दस्त लग गए थे, तो सुबह-रात का नियम तोड़ दिन में खेत जाना पड़ा। कैलाश बताती हैं, 'घंटों खेत में रुकना पड़ा। एक चादर बिछाकर वहीं पेड़ के नीचे सोनू को आराम करवाया और जब तक तबीयत नहीं सुधरी मैं उसके साथ वहीं रही'।

लड़कों का डर : दिन के 14-15 घंटे शौचालय की सुविधा का न होना तकलीफ़देह हो सकता है। बहुत पूछने पर महिलाएं बताती हैं कि अक्सर घर में एक तसला इस्तेमाल करती हैं, ताकि लड़कियों को दिन में खेत न जाना पड़े। बार-बार इस्तेमाल से तसला गंदा हो जाता है तो उसे जल्द फेंक दिया जाता है।

अगर सबको इतनी तकलीफ़ है तो घर में शौचालय क्यों नहीं बनवाते? मुझे बताया जाता है कि तकलीफ़ दरअसल ‘सबको’ नहीं है। 300 परिवारों के गांव में 30 घरों में शौचालय हैं। उनमें एक के मालिक संतराम के मुताबिक़ पुरुष तो शौच के लिए कहीं भी जा सकते हैं, दिक्कत सिर्फ़ महिलाओं की ह ै।

ग़रीबी : एक मुश्किल यह भी है कि महिलाओं की इस दिक्कत को समझने वाले कम हैं। संतराम कहते हैं कि शौचालय बनाने में 10,000 रुपए का ख़र्च आता है. मेरे सिर्फ़ चार बच्चे हैं तो मैंने बना लिया। ज़्यादातर लोगों के 6-8 बच्चे हैं, तो उनके पास इतने पैसे नहीं।

संतराम का यह तर्क मुझे नहीं भाता। भारत सरकार शौचालय बनाने के लिए वित्तीय सहायता देती है। और इस गांव में घरों में टेलीविज़न, डिश की छतरियां और जगह-जगह मोटरबाइक और गाड़ियां खड़ी दिखती हैं। मुद्दा ग़रीबी है या पैसे ख़र्च करनेवाले की प्राथमिकता?

प्राथमिकता : गांववाले ख़ुद मुझे बताते हैं कि सुख-सुविधा के ये साधन ज़्यादातर दहेज में आए हैं। लेकिन दहेज में कोई बेटी के लिए शौचालय बनवाने का ख़र्च नहीं देता। घरों में आराम के साधन ख़रीदे जाते हैं, पर शौचालय पर ख़र्च नहीं किया जाता।

कैलाश कहती हैं कि घर के आदमी कहते हैं कि इतने पैसे नहीं बचते कि शौचालय पर ख़र्च किए जाएं, और हम महिलाएं ज़िद करें, तो चुप करा दिया जाता है।

वेबदुनिया पर पढ़ें

जरूर पढ़ें

Indore में हेलमेट पर cctv कैमरा लगाकर घूम रहा राजू, चौंका देगी पूरी कहानी

भारतीय कर रहे ज्‍यादा नमक का सेवन, इन बीमारियों का बढ़ रहा खतरा, ICMR रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Bihar polls: तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के 'सूत्र' को बताया 'मूत्र', बयान पर मचा बवाल

Imran Khan : क्‍या जेल से रिहा होंगे इमरान खान, PTI पार्टी ने शुरू किया आंदोलन

Uttarakhand में क्यों पड़ी ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की जरूरत? अब CM पुष्कर सिंह धामी ने खुद दिया जवाब

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Samsung Galaxy Z Fold 7 : सैमसंग का धांसू फ्लिप स्मार्टफोन, कीमत सुनेंगे तो हो जाएंगे हैरान

OnePlus Nord 5 : 20 घंटे चलने वाली बैटरी, 50 MP कैमरा, वन प्लस का सस्ता स्मार्टफोन लॉन्च

Nothing Phone 3 की क्या है कीमत, जानिए इसके 10 दमदार फीचर्स

Nothing Phone 3 कल होगा लॉन्च, स्मार्टफोन में मिलेंगे ये खास फीचर्स, इतनी हो सकती है कीमत

POCO F7 5G : 7550mAh बैटरी वाला सस्ता स्मार्टफोन, जानिए Price और Specifications