ब्लॉग: 'जूलियट शांत रहें और अपना रोमियो ढूंढती रहें'

Webdunia
बुधवार, 29 मार्च 2017 (12:03 IST)
- दिव्या आर्य (दिल्ली)
रात हो या दिन, सड़क हो या सिनेमा हॉल, वो उम्र में मुझसे बड़ा हो या छोटा, अगर मुझे वो पसंद है तो उसके साथ व़क्त बिताना मेरी मर्ज़ी है। और मेरी इस मर्ज़ी के लिए मैं आज़ाद भी हूं, ज़िम्मेदार भी। अपनी सुरक्षा के लिए, अपने फ़ैसले के लिए, अपनी ख़ुशी और ग़म के लिए। धोखा तो मर्द भी खाते हैं पर उनकी सुरक्षा के लिए सरकारें और पुलिस दोहरी नहीं हो जातीं।
 
उन्हें समझदार और शक्तिशाली समझा जाता है। हम औरतों को अक़्सर नासमझ और कमज़ोर। पर हम खुद को कुछ और ही समझती हैं। उत्तर प्रदेश में चली 'एंटी रोमियो मुहिम' के बारे में जब एक कॉलेज जानेवाली लड़की से मैंने पूछा तो बोलीं, "इतना डर थोड़े ही है, घूमती-फिरती हूं मैं कई दोस्तों के साथ, समझदार हूं, और कोई हमें खा थोड़े ही जाएगा।"
 
ग़लत मत समझिएगा। औरतें ये नहीं कहतीं कि उन्हें सड़क पर गश्त लगाती पुलिस की ज़रूरत नहीं या वो देर रात अकेले जाने में महफ़ूज़ महसूस करती हैं। हिंसा का, छेड़छाड़ का, बलात्कार का डर तो है और उसके लिए पुलिस-क़ानून की ज़रूरत भी है।
 
पर जब हम जानते हैं कि राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े पिछले कई दशकों से बता रहे हैं कि बलात्कार के 95 फ़ीसदी से ज़्यादा मामलों में परिवार या जाननेवाले ही आरोपी होते हैं तो 'स्क्वाड' की ज़रूरत सड़क पर नहीं घर पर ज़्यादा महसूस होने लगती है।
 
उत्तर प्रदेश के ही कॉलेज की एक और छात्रा ने मेरी आंखों में आंखे डाल कर सीधे-सीधे पूछा था, "बताइए, घर पर कौन सुरक्षित है?"
 
"वहां तो हम अकेले ही जूझ रहे हैं। जिसके बारे में किसी से कुछ कह पाना भी मुश्किल है।" जब अक़्सर घर, परिवार, समाज और बिरादरी की इज़्ज़त का वास्ता देकर हमें चुप करा दिया जाता है। हमें अपने ऊपर ये इज़्ज़त का बोझ लादे जाने से दिक़्क़त है।
 
घर हो या बाहर, क्यों बार-बार कोशिश होती है हमारे फ़ैसले नियंत्रित करने की, हमारे आज़ाद ख़यालों को क़ैद करने की?
 
हमें परेशानी है तो केवल मनचलों से बचाए जाने के नाम पर हमारे रिश्तों की जांच होने से। ख़ौफ़ के इस माहौल से उलझन है, जो आखिर में हमें फिर घर की दहलीज़ में धकेलेगा। जब मेरी सुरक्षा के लिए कोई स्क्वाड ना हो, मेरे पिता या भाई ना हों, और फिर मुझे कह दिया जाए कि अब तुम असुरक्षित हो...
 
लंदन की दुकानों पर अक़्सर एक पोस्टर दिख जाता है जिस पर लिखा रहता है, "कीप काम एंड कैरी ऑन", यानी शांत रहो और आगे बढ़ते रहो। दूसरे विश्व युद्ध से पहले ब्रितानी सरकार ने ये पोस्टर हौसलाअफज़ाई के लिए जारी किया था।
 
आज के माहौल में औरतों की सुरक्षा के नाम पर नियंत्रण की ऐसी कोशिशों से बौखलाई मेरी एक दोस्त ने शायद इसीलिए उस पोस्टर को बदला। उसने लिख डाला, "स्टे काम जूलियट्स, गो लुक फॉर योर रोमियोज़", यानी सभी जूलीयट शांत रहें और अपना रोमियो ढूंढती रहें।

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च