अनुच्छेद 370: कश्मीर में बदलाव हमारी ज़िंदगी में नई सुबह है- नज़रिया

Webdunia
शुक्रवार, 23 अगस्त 2019 (07:47 IST)
मेधावी रैना, कश्मीरी पंडित छात्रा, बीबीसी हिंदी के लिए
कश्मीर को लेकर ढेरों विचार जिनमें हमेशा राज्य से जुड़े वास्तविक तथ्यों की अनदेखी होती है, देखने को मिलते हैं और बड़ी संख्या में लोग इससे भ्रमित भी होते हैं। जब ज़मीनी राय से लोग परिचित न हों तो उन विचारों को उधार के चश्मे से ही सही ठहराया जा सकता है।
 
बहरहाल, अनुच्छेद 370 पर सरकार के फ़ैसले पर दुनिया बंटी हुई है लेकिन यह प्रत्येक कश्मीरी, चाहे वो पंडित हों या फिर मुस्लिम, सबके लिए एक नई सुबह लेकर आया है।
 
जिन लोगों को 1989-90 में कश्मीर छोड़ना पड़ा, उनके लिए कश्मीर खोई हुई ज़मीन भर है लेकिन साथ में वह अच्छी यादों का पिटारा भी है। मैं कभी कश्मीर नहीं गई और ईमानदारी से कहूं तो इसकी कभी परवाह भी नहीं की। मेरे माता-पिता ने मुझे और मेरे भाई को उस दुनिया में रखा, जहां उनके अतीत का कोई ज़िक्र नहीं था।
 
अतीत से पुरानी मुलाक़ात
 
खुशहाली में मेरा बचपन बीता। इस बचपने में मेरे स्कूल में फ़ैंसी ड्रेस प्रतियोगिता भी होती थी। इसको लेकर मेरे माता-पिता ख़ासे उत्साहित रहा करते थे और वे मेरे कपड़े खुद से तैयार करते।
 
जिस दिन प्रतियोगिता होती, उस दिन स्कूल के बच्चे न्यूज़पेपर, टूथपेस्ट और ट्रैफ़िक सिग्नल जैसे कपड़े पहनकर आते, जिनमें अच्छी-अच्छी टैगलाइन लिखी होती थीं। लेकिन मैं उनमें सबसे अलग दिखती।
 
मैं सिर पर टोपी पहनती, बिंदी लगाती और ऐसा कपड़ा पहनकर जाती जिससे मेरे पांव तक ढके होते। क्या थी वो ड्रेस! मैं सबसे अलग दिखती थी। मेरी मां मुस्कुराते हुए बताया करती थीं, 'इसे पैहरण कहते हैं।' उनके हाथ में कैमरा होता था ताकि वे मेरा परफ़ॉर्मेंस रिकॉर्ड कर सकें।
 
इस बहाने वह अपने बच्चों को अपनी खोई हुई विरासत और अतीत से जोड़ पाती थीं। इस बहाने उन्हें गुज़रे वक़्त और अपने घर की याद भी आती होगी लेकिन मेरा ध्यान तो उस अजीब सी ड्रेस पर लगा रहता था जिसे मेरे लिए मां तैयार किया करती थीं।
 
समय बदलने के साथ रोल भी बदला, इस बार कॉलोनी की फ़ैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में मां को कश्मीरी बनना था और मैं उनकी परफ़ॉर्मेंस को रिकॉर्ड कर रही थी।
 
जब वह स्टेज पर पहुंचीं तो उन्होंने एक कहानी सुनाई जो हमने कभी नहीं सुनी थी। कहानी सुनाते वक़्त उनके आंसू बह रहे थे। मेरा उत्साह अब उलझन में तब्दील हो चुका था और मैं समझ नहीं पा रही थी कि ऐसा क्यों हुआ है।
 
उस दिन उन्होंने मुझे बताया कि किस तरह उन्हें अपने परिवार और हज़ारों कश्मीर पंडितों को अपनी ज़िंदगी बचाने के लिए अपने ही घरों को छोड़कर भागना पड़ा था। इन लोगों को अपने ही घरों से दूर अनजान सी जगह पर जाना पड़ा था।
 
जब मैंने पूरी कहानी सुनी तो मुझे उनके आंसुओं का मतलब समझ में आया लेकिन फिर भी इस बात पर यक़ीन करना मुश्किल था कि इतने लंबे समय तक उन्होंने उसे दबाए रखा था।
 
वह दर्द भरी कहानी
 
उन्होंने जो कहानी सुनाई वह कुछ ऐसी थी, "हमारा तीन मंज़िला घर था, जो एक तरह से तुम्हारे नानू की दवाइयों का गोदाम भी था। तुम्हारे नानू व्यापारी थे जबकि नानी टीचर थीं। तो हमारा घर काफ़ी व्यस्त रहा करता था।
 
हर सुबह मैं पास के डबलरोटी बनाने वाले से लावासा लेकर आती थी। सुबह सुबह वह मुझे बता ही देता था कि मैं उसकी पहली ग्राहक हूं। मेरे स्कूल में तीन झरने थे जिनमें हम तैरा करते थे। स्कूल जिस जगह स्थित था वहां जीवन उत्सव से कम नहीं था।
 
जन्माष्टमी जोश से मनाते थे लेकिन धीरे धीरे उत्साह की जगह डर ने ले ली। घाटी में आंतकी हमले होने का डर बढ़ने लगा था। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमें ये जगह छोड़नी पड़ेगी।
 
कश्मीरी पंडितों पर जब हमला बढ़ने लगा था तब घाटी सुरक्षित नहीं रह गई थी। तुम्हारे नानू के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी हुआ था और उसके कुछ घंटों के अंदर हमें वहां से भागना पड़ा। कुछ ही देर में हमारा जीवन बदल चुका था। तुम्हारी नानी थीं जिनकी वजह से हमलोग बच पाए थे।"
 
यह सब सुनकर मैं चकित रह गई थी, मेरा दिल भी ग़ुस्से से भर गया था लेकिन मैं ख़ुद को असहाय पा रही थी। उनके दर्द को समझने के सिवा मेरे पास उन्हें देने के लिए कुछ भी नहीं था।
 
उनको सुनकर मेरी दिलचस्पी अपने पैतृक घर को लेकर हुई कि क्या वो भी ऐसा ही घर था। मैंने अपने पिता से पूछा तो उन्होंने अपने घर की तस्वीरें दिखाईं जो वे अपनी हाल की यात्रा के दौरान ले आए थे। मेरे मस्तिष्क में उसकी याद बनी हुई है।
 
वे एक ऐसी इमारत के सामने खड़े थे जो दो मंज़िला जान पड़ती थी। लेकिन अब दूसरे मंज़िल की खिड़की बची हुई थी जिसके दरवाज़े टूट चुके हैं और उनसे पेड़ पौधे निकल आए हैं। इन सबके बीच उस इमारत की खिड़कियों में की गई लकड़ी की शानदार नक्काशी मौजूद थी।
 
वह इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी थी लेकिन उसके सामने मेरे पिता मुस्कुराते हुए खड़े थे।
 
'यहां क्या हुआ था पापा?'
 
मेरे पिता ने बताया, "उन लोगों ने तुम्हारे दादू को गांव छोड़ने को कहा और घर में आग लगा दी थी।"
 
जगी है उम्मीद
यह वह घर था जहां मेरे पिता का बचपन बीता था। जब वे वहां दोबारा गए होंगे तो उन्होंने क्या सोचा होगा, इसकी मैं कल्पना भी नहीं कर पा रही हूं।
 
अपने कश्मीर के बारे में मेरी अपनी कोई याद नहीं है, ऐसे में मैं कैसे बता सकती हूं कि कैसा महसूस होता होगा? लेकिन मेरे माता पिता को किन स्थितियों से गुजरना पड़ा होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। मेरा जन्म और लालन पालन महाराष्ट्र में हुआ, मैंने ख़ुद को हमेशा यहीं का माना, यह हमेशा रहेगा भी।
 
लेकिन यह मेरे माता पिता का सच नहीं हो सकता है, लेकिन उनके सामने भी स्थायी रूप से यहां बसने के सिवा दूसरा रास्ता कहां था।
 
वापस जाने के लिए कुछ भी नहीं था। लेकिन यह सोच 6 अगस्त, 2019 को थोड़ी सी बदली, जब राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में संशोधन करने का आदेश जारी किया, इसके बाद यह उम्मीद तो पैदा हुई है कि हम अपने घर लौट सकते हैं।
 
मेरी मां मुस्कुराते हुए कहती हैं कि वह आशान्वित हैं। ऐसे कहते हुए उनका चेहरा दमकने लगता है और मैं जानती हूं उनकी बात के मायने क्या हैं। उन्होंने बताया है, "अतीत के बारे में तो अब कुछ नहीं किया जा सकता है लेकिन हम भविष्य की ओर देख सकते हैं। मैं इस बदलाव को देख रही हूं। आख़िरकार अपना घर तो अपना ही घर होता है।"
 
इतना कुछ होने के बाद भी उनमें वापसी की इच्छा बाक़ी है, तो मैं भी अपना भविष्य वहां देख सकती हूं जहां मेरे माता पिता का ख़ूबसूरत अतीत रहा है।
 
जैसा कि कहा गया है, बदलाव मुश्किल भरा होता है लेकिन ख़ूबसूरत होता है। घर की वापसी मुश्किल होगी लेकिन अब हमारे लिए यह असंभव नहीं है। यह नई सुबह ही है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च

अगला लेख