नज़रिया: 'चीन से टकराव मोल लेना भारत को महंगा पड़ेगा'

Webdunia
शनिवार, 1 जुलाई 2017 (10:55 IST)
- राहुल बेदी (रक्षा विशेषज्ञ)
भूटान की सरहद पर भारत और चीन में तनाव के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि 1962 के भारत और 2017 के भारत में फ़र्क है। इससे पहले मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन ने कहा था कि भारत को 1962 के युद्ध से सबक लेना चाहिए। अरुण जेटली के इस बयान को रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी काफ़ी आक्रामक मान रहे हैं। उनका नज़रिया यहां पढ़िए।
 
मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अरुण जेटली किस दम पर यह बात कह रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि 1962 के बाद से भारत ने बहुत प्रगति की है। सैन्य शक्ति के मामले में भी भारत काफ़ी मज़बूत हुआ है लेकिन चीन की तुलना में तो भारत कुछ भी नहीं है। चीन का तिब्बत और उस पूरे इलाक़े में जो आधारभूत ढांचा है वह हिन्दुस्तान से 100 फ़ीसदी ज़्यादा है।
 
अपने इन ठिकानों तक रेल, हैलिपैड, एयरफ़ील्ड के ज़रिए चीन आसानी से पहुंच सकता है। चीन एक हफ़्ते में वहां रेल से पहुंच सकता है। वहीं हमारे हिन्दुस्तान में जो 72 सड़कें बननी थीं उनमें से महज आठ या दस सड़कें ही बनी हैं। ऐसें में मुझे समझ में ये बात नहीं आ रही है कि जेटली साहब क्या कह रहे हैं?
 
चीन को धमकाने के लिए हिन्दुस्तान के पास कोई मज़बूती नहीं है। हमारी क्षमता मामूली है। फ़ौज तो कहती है कि हमारे पास जो भी है उससे लड़ेंगे। आर्मी चीफ़ बिपिन रावत ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत ढाई फ्रंट पर लड़ सकता है। इसका मतलब है कि चीन, पाकिस्तान और स्थानीय विद्रोहियों के साथ भारत लड़ सकता है।
 
यह आर्मी चीफ़ का यह राजनीतिक बयान है। यह बयान भारतीयों के लिए है जिसका कोई मतलब नहीं है। लेकिन मौजूदा तनाव को लेकर शायद पर्दे के पीछे इस पर बात हो रही होगी कि इसे ख़त्म किया जाए क्योंकि यही हिन्दुस्तान के हित में है। चीन के साथ टकराव मोल लेना हिन्दुस्तान के लिए काफ़ी मंहगा पड़ सकता है।
china
चीन के मुक़ाबले कहां है भारत?
हिन्दुस्तान की जो क्षमता है उस हिसाब से वह चीन के सामने कहीं नहीं टिकता है। हाल ही में एयरफ़ोर्स चीफ़ धनोवा ने जो इंटरव्यू दिया है उसमें उन्होंने कहा कि भारत के पास टू फ्रंट वॉर के लिए पर्याप्त हवाई जहाज़ नहीं है। इसका मतलब यह है कि धनोवा ने बिपिन रावत के उलट बयान दिया है। अगर स्थिति बिगड़ी तो हिन्दुस्तान का हाल बुरा ही होगा। भारत चीन का मुक़ाबला बहुत ही मुश्किल से कर पाएगा।
 
भारत के पास न एयरक्रॉफ़्ट है, न हेलिकॉप्टर है, न उस इलाक़े तक पहुंच है, न कोई मिसाइल रेजिमेंट है और न ही कोई टैंक है। अख़बारों में एक और रिपोर्ट आई है कि चीन 38 टन के टैंक का परीक्षण कर रहा है। ये परीक्षण वहां हो रहा है जहां पाकिस्तान और भारत के बीच कलह है। चीन जो हाइवे बना रहा है उसे हाइवे-40 कहते हैं। इसका मतलब यह है कि चीन इस पर 40 टन का टैंक चला सकता है।
 
इस इलाक़े में हिन्दुस्तान का तो नामोनिशान ही नहीं है। यहां सड़कें भी नहीं हैं। भारतीय आर्मी के लिए आज भी वहां सामान खच्चर के ज़रिए भेजा जाता है या फिर एयरड्रॉप होता है। जेटली कैसे कह रहे हैं कि वो चीन का मुक़ाबला कर लेंगे?
 
(बीबीसी हिंदी रेडियो के संपादक राजेश जोशी से बातचीत पर आधारित।)
Show comments

जरूर पढ़ें

पाकिस्तान में बेनाम सामूहिक कब्रों के पास बिलखती महिलाएं कौन हैं...?

नरेंदर सरेंडर... भोपाल में PM मोदी पर राहुल गांधी ने बोला जमकर हमला

क्या ये वन नेशन, वन हसबैंड योजना है, मोदी के नाम का सिंदूर लगाएंगे, Operation Sindoor पर भगवंत मान के बयान पर बवाल

Operation Sindoor में भारतीय नुकसान पर फिर आया CDS अनिल चौहान का बयान, जानिए क्या कहा

सोनम की सास से बातचीत की आखिरी ऑडियो क्‍लिप वायरल, पढ़िए पूरी बात, लापता होने से पहले क्‍या कहा था बहू ने?

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Realme C73 5G लॉन्च, सस्ती कीमत में महंगे फोन के फीचर्स

TECNO POVA Curve 5G : सस्ता AI फीचर्स वाला स्मार्टफोन मचाने आया तहलका

फोन हैकिंग के हैं ये 5 संकेत, जानिए कैसे पहचानें और बचें साइबर खतरे से

NXTPAPER डिस्प्ले वाला स्मार्टफोन भारत में पहली बार लॉन्च, जानिए क्या है यह टेक्नोलॉजी

Samsung Galaxy S25 Edge की मैन्यूफैक्चरिंग अब भारत में ही

अगला लेख