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दिल्ली हिंसा: अशोक नगर में मस्जिद की मीनार पर किसने लगाए झंडे - ग्राउंड रिपोर्ट

हमें फॉलो करें दिल्ली हिंसा: अशोक नगर में मस्जिद की मीनार पर किसने लगाए झंडे - ग्राउंड रिपोर्ट

BBC Hindi

, बुधवार, 26 फ़रवरी 2020 (18:09 IST)
फ़ैसल मोहम्मद अली, बीबीसी संवाददाता, दिल्ली के अशोक नगर से
सफ़ेद और हरे रंग से पुती मस्जिद के सामने दर्जनों लोगों की भीड़ जमा है। इस मस्जिद का सामने वाला हिस्सा जला दिया गया है।
 
बुधवार सुबह जब बीबीसी ने अशोक नगर की गली नंबर पाँच के पास बड़ी मस्जिद के बाहर मौजूद युवकों से बात करने की कोशिश की तो उनकी प्रतिक्रिया में आक्रोश साफ़ दिख रहा था।
 
हम उनके पीछे-पीछे चलकर मस्जिद के अंदर गए। अंदर फ़र्श पर अधजली क़ालीनें नज़र आईं। इधर-उधर टोपियां भी बिखरी पड़ी थीं। जिस जगह इमाम खड़े होते हैं, वो जलकर पूरी तरह से काली हो चुकी है।
 
ये वही मस्जिद है जिसे लेकर मंगलवार को ख़बरें आईं थीं कि हमलावर भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने यहां मीनार पर तिरंगा और भगवा झंडा फहरा दिया था।
 
इसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिसके बाद दिल्ली पुलिस का बयान आया था कि अशोक नगर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है।
 
मगर जब हम यहां पहुंचे तो मस्जिद की मीनार पर तिरंगा और भगवा झंडा लगा हुआ पाया। मस्जिद के बाहर जुटे लोगों ने बताया कि मंगलवार को इलाक़े में घुस आई भीड़ ने यह सब किया है।
 
'बाहर से आए थे लोग'
मस्जिद के अंदर मौजूद आबिद सिद्दीक़ी नाम के शख़्स ने दावा किया कि रात को पुलिस मस्जिद के इमाम को उठाकर ले गई थी। हालांकि इस बारे में पुख़्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है। मस्जिद के इमाम से बात नहीं हो सकी है।
 
जब हम यहां पहुंचे तो पास ही में एक पुलिस की गाड़ी खड़ी थी जो कुछ देर बाद मौक़े से चली गई।
 
मस्जिद को पहुंचाए गए नुक़सान से आहत रियाज़ सिद्दीक़ी नाम के शख़्स कहते हैं, "आख़िर लोगों को ऐसा करके क्या हासिल होता है?"
 
हम इस इलाक़े के हिंदुओं से भी बात की। इन लोगों का कहना था कि ये मस्जिद यहां कई सालों से है। उनका कहना था कि इस मस्जिद को नुक़सान पहुंचाने वाले लोग बाहर से आए थे।
 
स्थानीय हिंदुओं का कहना था कि अगर वे बाहर से आए लोगों को रोकने की कोशिश करते तो शायद वे भी मारे जाते।
 
इस घटना की गंभीरता और माहौल की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ ऐसे दृश्य और मौक़े पर मौजूद लोगों के बयान हटा दिए गए हैं जिनसे भावनाएँ भड़क सकती थीं। ऐसा बीबीसी की संपादकीय नीतियों के अनुरूप किया गया है।

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