अगर देश भर में डीएनए बैंक बन गए तो...

Webdunia
शनिवार, 7 जुलाई 2018 (11:12 IST)
अब देश भर में डीएनए डेटा बैंक बनाए जाएंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को इससे संबंधित विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक का नाम है- डीएनए बेस्ड टेक्नॉलॉजी (यूज़ ऐंड रेग्युलेशन) बिल, 2018।
 
इस बिल में डीएनए डेटा बैंकों से अहम और संवेदनशील जानकारियां लीक करने वालों के लिए तीन साल की जेल की सज़ा का प्रावधान भी है। बिल में यह भी कहा गया है कि डीएनए डेटा (डीएन प्रोफ़ाइल, डीएनए सैंपल और डीएनए रिकॉर्ड्स) का इस्तेमाल सिर्फ किसी शख़्स की पहचान के लिए किया जा सकेगा, बाकी किसी और वजह से नहीं। यह बिल संसद में 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा।
 
डीएनए बैंक बनाए जाने का सुझाव देने वाला यह विधेयक विधि आयोग ने तैयार किया था। प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर डीएनए बैंक बनाए जाएंगे और इनमें पीड़ितों, अहम मामलों के संदिग्धों, और लापता लोगों का डीएनए डेटाबेस रखा जाएगा। इसके अलावा इन बैंकों में बड़े मामलों के अभियुक्तों और ऐसे शवों का डीएनए डेटाबेस भी होगा जिनकी शिनाख़्त न की जा सकी हो।
 
बिल में अनाधिकृत लोगों या संस्थाओं को डीएनए प्रोफ़ाइल से सम्बन्धित जानकारी देने वालों के लिए तीन साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। यही सज़ा, ग़ैरक़ानूनी तरीके से डीएनए प्रोफ़ाइल से जुड़ी जानकारी हासिल करने की कोशिश पर भी हो सकती है। सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को भी इस बारे में सूचित किया था।
 
चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की एक बेंच ने अडीशन सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद के उस बयान पर विचार किया जिसमें उन्होंने कहा था कि डीएनए बैंक बनाने के लिए सरकार को शीघ्र और प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए।
 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई भी की है जिसमें कहा गया था कि भारत में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई डीएनए डेटाबेस नहीं है जो उन शवों की पहचान कर सके जिन्हें स्वीकार करने वाला कोई नहीं है। याचिका में ऐसे शवों की डीएनए प्रोफ़ाइल मेंटेन करने की सलाह दी गई जिससे कि उनके परिवारों की पहचान करने में मदद मिल सके।
 
केंद्र सरकार के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस विधेयक का उद्देश्य डीएनए आधारित फ़ोरेंसिक तकनीकों का विस्तार और न्याय व्यवस्था को और मज़बूत करना है। केंद्र सरकार के मुताबिक इस विधेयक के प्रावधानों से किसी प्राकृतिक आपदा या त्रासदी की घड़ी में पीड़ितों की पहचान तो होगी ही, साथ ही लापता लोगों और मृतकों के परिजनों की पहचान भी की जा सकेगी।
 
60 से ज़्यादा देशों में पहले से है क़ानून
साठ से ज़्यादा देशों ने आपराधिक मामलों की जांच में इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए क़ानून बनाए हैं। भारत में यह प्रावधान पहले से ही है कि ज़रूरत पड़ने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट को जानकारी देकर कई अपराधों के मामलों में संदिग्धों की डीएनए प्रोफ़ाइल बनाने के लिए जैविक नमूने लिए जा सकते हैं। कई प्रयोगशालाओं में डीएनए प्रोफ़ाइल से जुड़ी जांच करने की व्यवस्था है। इससे मिले सबूत अदालतों में माने भी जाते हैं।
 
किसके नमूने लिए जाएंगे?
जिन लोगों की डीएनए प्रोफ़ाइल रखी जाएगी उनमें शामिल हैं वे लोग जिन्हें या तो यौन हमले या हत्या जैसे मामलों में दोषी क़रार दिया गया है या जिन पर मुक़दमा चल रहा है; ऐसे शव जिनकी पहचान नहीं हुई है या वो लोग जो आपदा के शिकार हुए; गुमशुदा लोगों या बच्चों के रिश्तेदार और उस जगह से लिए गए नमूने जहां अपराध हुआ हो।

सम्बंधित जानकारी

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

itel A90 : 7000 रुपए से भी कम कीमत में लॉन्च हुआ iPhone जैसा दिखने वाला स्मार्टफोन

सिर्फ एक फोटो से हैक हो सकता है बैंक अकाउंट, जानिए क्या है ये नया व्हाट्सएप इमेज स्कैम

Motorola Edge 60 Pro : 6000mAh बैटरी वाला तगड़ा 5G फोन, जानिए भारत में क्या है कीमत

50MP कैमरे और 5000 mAh बैटरी वाला सस्ता स्मार्टफोन, मचा देगा तूफान

Oppo K13 5G : 7000mAh बैटरी वाला सस्ता 5G फोन, फीचर्स मचा देंगे तहलका

अगला लेख