क्या खराब होती है सस्ती जेनरिक दवाओं की क्वालिटी?

Webdunia
गुरुवार, 20 अप्रैल 2017 (14:52 IST)
- सलमान रावी
दवाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार अब जेनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल को लेकर प्रस्ताव लाने जा रही है। इस प्रस्ताव के तहत सभी डॉक्टर अब मरीज़ों के प्रिस्क्रिप्शन पर दवाओं के ब्रांड की बजाय उनके जेनेरिक नाम ही लिखेंगे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसको लेकर 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट' में संशोधन की तैयारियां भी शुरू कर दीं हैं।
 
सरकार के इस फैसले से दवा बनाने वाली कम्पनियों में काफी बेचैनी देखी जा रही है। अमूमन सभी दवाएं एक तरह का 'केमिकल सॉल्ट' होती हैं जिन्हे शोध के बाद अलग अलग बीमारियों के लिए बनाया जाता है। इनमें जो जेनेरिक दवाएं हैं वो सस्ती होती होती हैं जबकि जो कंपनियां इन दवाओं का ब्रांड बनाकर बेचती हैं, वो महंगी होती हैं।
 
ब्रांडेड दवाएं : यह आरोप लगते रहे हैं कि ब्रांडेड दवा बनाने वाली कंपनियों और डॉक्टरों के बीच एक तरह की डील होती है जिससे वो ज़्यादा से ज़्यादा ब्रांडेड दवाएं ही मरीज़ों को लिखते हैं। आरोप यह भी हैं कि इसके लिए डॉक्टरों को अच्छा कमीशन भी मिलता है।
 
मगर ऑल इंडिया स्मॉल स्केल फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के सलाहकार राकेश जैन कहते हैं कि अगर ऐसा होता है तो दवा की गुणवत्ता की बजाय उसके मूल्य पर ही सारा फोकस आ जाएगा। वो मानते हैं कि कुछ दवा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच सांठ गांठ होती है। मगर उनका कहना है कि यह बात भी सच है कि 'ब्रांडेड' दवाओं की गुणवत्ता भी अच्छी होती है। वो कहते हैं कि अगर नया क़ानून बनता है तो फिर दवा की दुकानों और कंपनियों के बीच सांठ गांठ शुरू हो जाएगी।
 
केंद्र सरकार : डॉक्टर अनूप सराया दिल्ली के जानेमाने डॉक्टर हैं और एम्स में काम करते हैं। उनका मानना है कि दवा की दुकान वाले वही दवा बेचेंगे जिन्हें बेचने से उन्हें ज़्यादा मुनाफ़ा होगा। डॉक्टर सराया कहते हैं कि जिस तरह राजस्थान के हर सरकारी अस्पताल से मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं, वही फॉर्मूला अगर केंद्र सरकार हर राज्य में लागू करे तो लोगों को ज़्यादा फायदा होगा।
 
वो कहते हैं, "राजस्थान में सरकारी अस्पताल में कोई भी चला जाए उसे मुफ्त दवा मिलती है। यह योजना 400 से 500 करोड़ रुपए की है। केंद्र सरकार चाहे तो सभी राज्यों में इस तरह की परियोजना शुरू की जा सकती है जिससे आम लोगों को फायदा होगा।" 'अलायन्स ऑफ़ डॉक्टर्स फॉर एथिकल हेल्थकेयर' प्रगतिशील डाक्टरों की संस्था है जो जेनेरिक दवाइयों के लिए लम्बे समय से संघर्ष करती आ रही है। संस्था के अरुण गादरे कहते हैं कि यह मांग मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स में भी थी।
 
बाजार में सस्ती : सरकार के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां जेनेरिक दवाओं का सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है। गादरे का कहना था, "कई कंपनियां सस्ती जेनेरिक दवाइयां बना सकती हैं जो बाज़ार में सस्ती मुहैया कराई जा सकती हैं। विश्व भर में भारत में ही सबसे ज़्यादा जेनेरिक दवाओं का उत्पादन होता है। भारत कई अफ्रीकी देशों में सस्ती जेनेरिक दवाइयां भेजता आ रहा है। अपने लोगों के लिए भी सस्ती दवाइयां बन सकती हैं।"
 
भारत का स्वस्थ्य मंत्रालय 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट' में संशोधन की तैयारी में जुटा हुआ है। जानकारों का कहना है कि अगर जेनेरिक दवाओं का लिखना डॉक्टरों के लिए अनिवार्य किया जाता है तो सरकार को दवा की दुकानों निगरानी की व्यवस्था बनानी होगी ताकि ऐसा न हो जाए कि डॉक्टरों के लिखने के बावजूद दवा के दुकानदार महंगी दवाएं ही बेचते रहे।
Show comments

जरूर पढ़ें

Marathi row : बिहार आओ, पटक-पटककर मारेंगे, मराठी भाषा विवाद में BJP सांसद निशिकांत दुबे की राज ठाकरे को धमकी

Video : 15 फुट लंबे किंग कोबरा को 6 मिनट में महिला वन अधिकारी ने बचाया, वीडियो देख खड़े हो जाएंगे रोंगटे

Chirag Paswan : बिहार में NDA की परेशानी को क्यों बढ़ा रहे हैं मोदी के 'हनुमान', कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश पर निशाना

Bihar : पूर्णिया में एक ही परिवार के 5 सदस्यों की हत्या, 250 लोगों ने डायन बताकर परिवार को मारा

सऊदी अरब में मृत्युदंड रिकॉर्ड स्तर पर, जानिए कितने लोगों को दी फांसी

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Nothing Phone 3 की क्या है कीमत, जानिए इसके 10 दमदार फीचर्स

Nothing Phone 3 कल होगा लॉन्च, स्मार्टफोन में मिलेंगे ये खास फीचर्स, इतनी हो सकती है कीमत

POCO F7 5G : 7550mAh बैटरी वाला सस्ता स्मार्टफोन, जानिए Price और Specifications

10000 रुपए से कम कीमत में 6000mAh बैटरी वाला धांसू 5G फोन, फीचर्स कर देंगे हैरान

Apple, Google, Samsung की बढ़ी टेंशन, डोनाल्ड ट्रंप लॉन्च करेंगे सस्ता Trump Mobile T1 स्मार्टफोन

अगला लेख