भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बनने जा रहे पहले हिंदू मंदिर के भूमि पूजन में शामिल हुए। पीएम मोदी नौ फरवरी से पश्चिम एशियाई देशों के दौरे पर हैं।
दुबई में मौज़ूद बीबीसी सहयोगी रौनक कोटेचा ने बताया कि चूंकि प्रधानमंत्री 11 फरवरी को दुबई में होंगे इसलिए वो वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए अबूधाबी में मंदिर के 'भूमिपूजन' में शामिल हुए।
यूएई सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए 20,000 वर्ग मीटर जमीन दी थी। यूएई सरकार ने साल 2015 में उस वक़्त ये एलान किया था जब प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय दौरे पर वहां गए थे।
ये मंदिर क्यों होगा इतना ख़ास?
मंदिर अबू धाबी में 'अल वाकबा' नाम की जगह पर 20,000 वर्ग मीटर की ज़मीन में बनेगा। हाइवे से सटा अल वाकबा अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है।
मंदिर को बनाने की मुहिम छेड़ने वाले बीआर शेट्टी हैं जो अबू धाबी के जाने-माने भारतीय कारोबारी हैं। वो 'यूएई एक्सचेंज' नाम की कंपनी के एमडी और सीईओ हैं।
वैसे तो मंदिर साल 2017 के आख़िर तक बन कर तैयार हो जाना था लेकिन कुछ वजहों से देरी हो गई। अब पीएम मोदी के दौरे और भूमिपूजन के बाद मंदिर की नींव रखी जाएगी और काम शुरू होगा।
रौनक के बताया कि फिलहाल वहां बस ज़मीन है और उसके आस-पास किसी तरह की बाउंड्री या साइन बोर्ड नहीं है। पहली नज़र में ये एक रेगिस्तान जैसा लगता है।
कौन-कौन से देवी-देवता होंगे?
मंदिर में कृष्ण, शिव और अयप्पा (विष्णु) की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को विष्णु का एक अवतार बताया जाता है और दक्षिण भारत ख़ासकर केरल में इनकी पूजा होती है।
रौनक ने बताया, " सुनने में आ रहा है कि मंदिर काफी शानदार और बड़ा होगा। इसमें एक छोटा 'वृंदावन' यानी बगीचा और फव्वारा भी होगा। मंदिर बनने को लेकर अबू धाबी के स्थानीय हिंदुओँ में उत्साह और ख़ुशी का माहौल है।
फिलहाल इन्हें पूजा या शादी जैसे समारोह करने के लिए दुबई आना पड़ता है और इसमें तकरीबन तीन घंटे का वक़्त लगता है। दुबई में दो मंदिर (शिव और कृष्ण के) और एक गुरुद्वारा पहले से हैं। अबू धाबी में चर्च ज़रूर हैं, लेकिन कोई मंदिर नहीं हैं।
अबू धाबी में ही मंदिर क्यों?
भारतीय दूतावास के आंकड़ों के मुताबिक यूएई में तकरीबन 26 लाख भारतीय रहते हैं जो वहां की आबादी का लगभग 30% हिस्सा है। रौनक बताते हैं कि बीआर शेट्टी का अबूधाबी में लंबा-चौड़ा कारोबार है, इसलिए उन्हें लगा कि यहां रहने वाले हिंदुओं के लिए एक प्रार्थना स्थल होना चाहिए।
यूएई में कैसे रहते हैं हिंदू?
रौनक बताते हैं कि सभी हिंदू अपने घरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां रखते हैं और बाक़ायदा पूजा-पाठ करते हैं। गणेश चतुर्थी, नवरात्र से लेकर होली और दिवाली सारे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।
उन्होंने कहा, "लोग बोट में ले जाकर गणपति विसर्जन करते हैं। दिवाली में तो यहां आपको लगेगा ही नहीं कि आप भारत में नहीं है। चारों ओर रौशनी और जश्न का माहौल रहता है।"
भारत के लिए क्यों अहम है यूएई?
यूएई कुछ साल पहले तक भारत का सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार था। अब भी चीन और अमेरिका के बाद ये तीसरे स्थान पर है।
पेट्रो डॉलर के 'असली किंग' तो हिंदू ही हैं
कच्चे तेल और ऊर्जा के क्षेत्र में यूएई भारत का एक महत्वपूर्ण पार्टनर है। भारत को गैस और तेल की ज़रूरत है और यूएई इसका एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है और इससे भी बड़ा भागीदार बनने की क्षमता रखता है।
यूएई की आर्थिक क़ामयाबी का मतलब ये है कि इसकी अर्थव्यवस्था 800 अरब डॉलर की है। यूएई में रहने वाले प्रवासी भारतीय अमेरिका और यूरोप से कई मायने में अलग हैं। निवेश के लिए इसे मार्केट चाहिए जो भारत के पास है। फिलहाल भारत में इसका निवेश केवल तीन अरब डॉलर का है।
(बीबीसी संवाददाता सिंधुवासिनी से बातचीत के आधार पर)