कच्छतीवु द्वीप: पीएम मोदी ने जिस टापू का जिक्र किया, उसका इतिहास और भूगोल क्या है

BBC Hindi
शुक्रवार, 11 अगस्त 2023 (07:52 IST)
Katchatheevu : केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ संसद में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस पर अपने जवाब के दौरान पीएम मोदी ने कच्छतीवु का ज़िक्र करते हुए कांग्रेस पार्टी को घेरने की कोशिश की। 
 
बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव पर मणिपुर में भारत माता और हिंदुस्तान की हत्या होने की बात कही थी। पीएम मोदी ने आज संसद में राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास माँ भारती को छिन्न-भन्न करने का रहा है।
 
विपक्ष के सदन की कार्यवाही से वॉकआउट के बाद उन्होंने कहा, "ये जो बाहर गए हैं न... कोई पूछे इनसे (विपक्ष) कि कच्छतीवु क्या है। इतनी बड़ी बातें करते हैं न... पूछिए कि कच्छतीवु कहां है। इतनी बड़ी बातें लिखकर देश को गुमराह करने का प्रयास करते हैं।
 
पीएम मोदी बोले 'डीएमके वाले, उनकी सरकार, उनके मुख्यमंत्री मुझे चिट्ठी लिखते हैं कि मोदी जी कच्छतीवू वापस ले आइए। ये कच्छतीवु है कहां। तमिलनाडु से आगे। श्रीलंका से पहले एक टापू किसने किसी दूसरे देश को दे दिया था। कब दिया था। क्या ये भारत माता नहीं थी वहां। क्या वो माँ भारती का अंग नहीं था। इसे भी आपने तोड़ा। कौन था उस समय? श्रीमति इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। कांग्रेस का इतिहास माँ भारती को छिन्न-भिन्न करने का रहा है।'
 
कच्छतीवु द्वीप का इतिहास और भूगोल
कच्छतीवू भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका की मुख्य भूमि के बीच एक छोटा सा द्वीप है। इस द्वीप को वापस लेने के लिए लगातार मांगें उठती रहती है। कुछ लोग ये भी कहते हैं कि भारत ने इस द्वीप को सरेंडर कर दिया था। आइए हम विस्तार से जानते हैं कि कच्छतीवू द्वीप का पूरा मामला क्या है।
 
श्रीलंका के उत्तरी तट और भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के बीच पाक जलडमरूमध्य क्षेत्र है। इस जलडमरूमध्य का नाम रॉबर्ट पाल्क के नाम पर रखा गया था जो 1755 से 1763 तक मद्रास प्रांत के गवर्नर थे।
 
पाक जलडमरूमध्य को समुद्र नहीं कहा जा सकता। मूंगे की चट्टानों और रेतीली चट्टानों की प्रचूरता के कारण बड़े जहाज़ इस क्षेत्र से नहीं जा सकते।
 
कच्छतीवू द्वीप इसी पाक जलडमरूमध्य में स्थित है। ये भारत के रामेश्वरम से 12 मील और जाफना के नेदुंडी से 10.5 मील दूर है। इसका क्षेत्रफल लगभग 285 एकड़ है। इसकी अधिकतम चौड़ाई 300 मीटर है।
 
सेंट एंटनी चर्च भी इसी निर्जन द्वीप पर स्थित है। हर साल फरवरी-मार्च के महीने में यहां एक हफ़्ते तक पूजा-अर्चना होती है। 1983 में श्रीलंका के गृह युद्ध के दौरान ये पूजा-अर्चना बाधित हो गई थी।
 
'द गज़ेटियर' के मुताबिक़, 20वीं सदी की शुरुआत में रामनाथपुरम के सीनिकुप्पन पदयाची ने यहां एक मंदिर का निर्माण कराया था और थंगाची मठ के एक पुजारी इस मंदिर में पूजा करते थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने इस द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया।
 
कच्छतीवु द्वीप पर किसका नियंत्रण है?
कच्छतीवु बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। भारत और श्रीलंका के बीच इसे लेकर विवाद है। साल 1976 तक भारत इस पर दावा करता था और उस वक़्त ये श्रीलंका के अधीन था।
 
साल 1974 से 1976 की अवधि के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने श्रीलंका की तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमाव भंडारनायके के साथ चार सामुद्रिक सीमा समझौते पर दस्तखत किए थे। इन्हीं समझौते के फलस्वरूप कच्छतीवु श्रीलंका के अधीन चला गया।
 
लेकिन तमिलनाडु की सरकार ने इस समझौते को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और ये मांग की थी कि कच्छतीवु को श्रीलंका से वापस लिया जाए।
 
कच्छतीवु पर केंद्र और तमिलनाडु के बीच विवाद
साल 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया और कच्छतीवु को वापस भारत में शामिल किए जाने की मांग दोहराई गई। कच्छतीवु को लेकर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच का विवाद केवल विधानसभा प्रस्तावों तक ही सीमित नहीं रहा।
 
साल 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने कच्छतीवु को लेकर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक घसीटा। उनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कच्छतीवु समझौते को निरस्त किए जाने की मांग की।
 
जयललिता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से श्रीलंका और भारत के बीच हुए उन दो समझौतों को असंवैधानिक ठहराए जाने की मांग की जिसके तहत कच्छतीवु को तोहफे में दे दिया गया है।
 
ब्रितानी हुकूमत के समय क्या स्थिति थी
ये दलील दी जाती रही है कि कच्छतीवू साल 1974 तक भारत का हिस्सा था और ये रामनाथपुरम के राजा की जमींदारी के तहत आता था। रामनाथपुरम के राजा को कच्छतीवु का नियंत्रण 1902 में तत्कालीन भारत सरकार से मिला था।
 
मालगुजारी के रूप में रामनाथपुरम के राजा जो पेशकश (किराया) भरते थे, उसके हिसाब-किताब में कच्छतीवु द्वीप भी शामिल था। रामनाथपुरम के राजा ने द्वीप के चारों ओर मछली पकड़ने का अधिकार, द्वीप पर चराने का अधिकार और अन्य उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग करने का अधिकार पट्टे पर दिया था।
 
इससे पहले जुलाई, 1880 में, मोहम्मद अब्दुलकादिर मराइकेयर और मुथुचामी पिल्लई और रामनाथपुरम के जिला डिप्टी कलेक्टर एडवर्ड टर्नर के बीच एक पट्टे पर दस्तखत हुए। पट्टे के तहत डाई के निर्माण के लिए 70 गांवों और 11 द्वीपों से जड़ें इकट्ठा करने का अधिकार दिया गया।
 
उन 11 द्वीपों में से कच्छतीवु द्वीप भी एक था। इसी तरह का एक और पट्टा 1885 में भी बना। साल 1913 में रामनाथपुरम के राजा और भारत सरकार के राज्य सचिव के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
 
इस पट्टे में कच्छतीवु का नाम भी शामिल था। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत और श्रीलंका दोनों पर शासन करने वाली ब्रितानी हुकूमत ने कच्छतीवू को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता दी, लेकिन इसे श्रीलंका का हिस्सा नहीं माना।
 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Gold Prices : शादी सीजन में सोने ने फिर बढ़ाई टेंशन, 84000 के करीब पहुंचा, चांदी भी चमकी

Uttar Pradesh Assembly by-election Results : UP की 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम, हेराफेरी के आरोपों के बीच योगी सरकार पर कितना असर

PM मोदी गुयाना क्यों गए? जानिए भारत को कैसे होगा फायदा

महाराष्ट्र में पवार परिवार की पावर से बनेगी नई सरकार?

पोस्‍टमार्टम और डीप फ्रीजर में ढाई घंटे रखने के बाद भी चिता पर जिंदा हो गया शख्‍स, राजस्‍थान में कैसे हुआ ये चमत्‍कार

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

सस्ता Redmi A4 5G लॉन्च, 2 चिपसेट वाला दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन

Vivo Y19s में ऐसा क्या है खास, जो आपको आएगा पसंद

क्या 9,000 से कम कीमत में आएगा Redmi A4 5G, जानिए कब होगा लॉन्च

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

अगला लेख