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भारत और मलेशिया के बीच क्यों अहम बना पाम ऑइल

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BBC Hindi

, सोमवार, 20 जनवरी 2020 (08:33 IST)
स्विट्ज़रलैंड के दावोस में 21 से 24 जनवरी के बीच वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की बैठक होने वाली है। चर्चा है कि इस बैठक से इतर मलेशिया के वाणिज्य मंत्री डारेल लेइकिंग और भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मुलाक़ात कर सकते हैं। न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक मलेशिया सरकार के प्रवक्ता ने इस बात की जानकारी दी है। हालांकि, रॉयटर्स के ही मुताबिक़ वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने व्यस्त कार्यक्रम होने के चलते ऐसी किसी मुलाक़ात होने की योजना से इंकार किया है। 
 
इस मुलाक़ात को लेकर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के भारत के ख़िलाफ़ बयान के बाद दोनों देशों में व्यावसायिक स्तर पर टकराव चल रहा है जिसके केंद्र में है- भारत में मलेशिया से आयात होने वाला पाम ऑइल यानी ताड़ का तेल। भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और नया नागरिकता क़ानून (सीएए) लाने पर प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के बयान के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया है। 
 
भारत और मलेशिया के संबंधों में पिछले साल सितंबर में ही तल्ख़ी आने लगी थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा में महातिर मोहम्मद ने कहा था कि 'संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद जम्मू और कश्मीर पर भारत ने कब्ज़ा किया हुआ है।' भारत ने इसे ख़ारिज करते हुए कहा था महातिर का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं है। इसके बाद से ही इस बात की चर्चा होने लगी थी कि भारत सरकार मलेशिया के ख़िलाफ़ कोई सख़्त कदम उठा सकती है। 
 
इसके बाद पाम ऑइल का कारोबार ख़बरों में आ गया और दोनों देशों के बीच तनाव का असर पाम ऑइल के आयात पर होने की चर्चा होने लगी। उसी समय सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने अपने 875 सदस्यों को एक परामर्श ज़ारी करते हुए मलेशिया से पाम ऑइल खरीदने से बचने की सलाह दी थी। इसके पीछे की दोनों देशों के तनाव को वजह बताया था। 
 
मलेशिया का एक और बयान : इसके बाद भी मलेशिया का रुख नहीं बदला और प्रधानमंत्री महातिर ने एक बार फिर भारत को नापसंद आने वाला बयान दे दिया। पिछले साल दिसंबर में महातिर मोहम्मद ने सीएए को लेकर चिंता ज़ाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि मुझे ये देखते हुए बहुत अफ़सोस होता है कि खुद के धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाला भारत कुछ मुसलमानों को नागरिकता से वंचित कर रहा है। इस क़ानून की वजह से पहले से ही लोग मर रहे हैं तो अब इसे लगा करने की क्या ज़रूरत है जब लगभग 70 सालों से सभी एक नागरिक के तौर पर एकसाथ रह रहे हैं। 
 
भारत में भी सीएए को धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाला बताते हुए विरोध प्रदर्शन हुए हैं। हालांकि इसका समर्थन भी किया जा रहा है। भारत ने फिर से महातिर के बयान को 'तथ्यों के आधार पर ग़लत' बताया था और उन्हें भारत के अंदरूनी मामलों पर बोलने से बचने के लिए कहा था। जनवरी की शुरुआत में भारत ने अपने नियम बदलते हुए रिफ़ाइंड पाम ऑइल को 'मुक्त' से 'सीमित' की श्रेणी में डाल दिया था। 
 
लेकिन, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि नियमों किसी देश को ध्यान में रखकर नहीं बदला गया है। हालांकि उन्होंने माना था कि दो देशों के बीच किसी भी तरह का कारोबार उनके संबंधों पर निर्भर करता है। इसके बाद से मीडिया में ख़बरें आने लगी थीं कि भारत सरकार ने अपने कारोबारियों को अनौपचारिक रूप से मलेशिया से पाम ऑइल ख़रीदने से मना किया है। महातिर मोहम्मद कहते रहे हैं कि वो नहीं झुकेंगे लेकिन इसके बावजूद पाम ऑइल के कारोबार ने उनकी चिंताएं बढ़ाई हैं। 
 
पाम ऑइल का महत्व : इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा बड़ा पाम तेल उत्पादक और निर्यातक देश है। पाम ऑइल का इस्तेमाल दुनिया भर में खाना पकाने से लेकर जैव ईंधन, नूडल्स, पिज़्ज़ा के आटे और लिपस्टिक में होता है। 2019 तक भारत मलेशिया के पाम ऑइल का सबसे बड़ा खरीदार था और मलेशिया के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ दोनों के बीच 40 लाख टन से ज़्यादा का व्यापार होता था। 
 
सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर बीवी मेहता कहते हैं कि कश्मीर पर महातिर मोहम्मद के बयान के बाद से उनके कई सदस्य सावाधानी बरतते हुए इंडोनेशिया से व्यापार करने लगे हैं। बीवी मेहता ने बताया कि हमें ऐसा लगता है कि भारत सरकार दोनों देशों के बीच चलते तनाव के चलते टैरिफ़ (आयात शुल्क) या अन्य तरह के प्रतिबंध लगा सकता है। हम इस बीच के नहीं फ़ंसना चाहते हैं।

हाल में आए आंकड़ों में भी इस बदलाव का पता चलता है। हालांकि, मलेशिया से निर्यात कम होने के पीछे और भी कारण हो सकते हैं जैसे निर्यात कर में बढ़ोतरी होना। भारत में मलेशिया से पाम ऑइल का आयात 310,648 टन से गिरकर सितंबर 2019 में 138,647 टन पर आ गया था। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने 15 जनवरी को एक रिपोर्ट में अज्ञात स्रोत के हवाले ये भी लिखा था कि भारत पाम ऑइल के बाद माइक्रोप्रोसेसर्स के आयात पर भी प्रतिबंध लगा सकता है। 
 
आर्थिक स्तर पर प्रतिक्रिया : जानकारों का मानना है कि भारत का ये कदम एक तरह से आर्थिक स्तर पर जवाब देने जैसा है। आमतौर पर चीन ये तरीक़ा अपनाता है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया में 9 जनवरी को छपी एक रिपोर्ट में लिखा था कि भारत ने महातिर मोहम्मद के बयान को भड़काऊ मानते हुए अपना धैर्य खो दिया है' और ऐसा लगता है कि भारत कुआलालंपुर में मलेशिया की मुस्लिम देशों की बैठक के बाद कुछ प्रतिबंध लगा सकता है।' 
 
अंग्रेज़ी अख़बार मिंट में विदेशी मामलों की संपादक एलिज़ाबेथ रॉश ने 15 जनवरी को लिखा था- ''जैसे-जैसे भारत का आर्थिक दबदबा बढ़ता जा रहा है, वह अपनी चिंताओं और मूल हितों के प्रति सहानुभूति न रखने वाले देशों के लिए अपनी तरह से प्रतिबंध तैयार कर रहा है।''
 
पूर्व राजदूत विवेक काटजू ने 16 जनवरी को हिंदी अख़बार हिंदुस्तान में लिखा था कि महातिर ने भारत के "आंतरिक मामलों" में "हस्तक्षेप" करके "अंतरराष्ट्रीय संबंधों के पहले सिद्धांत को अनदेखा" किया है। 15 जनवरी को मिंट से बात करते हुए विदेश मंत्रालय के पूर्व अधिकारी कंवल सिब्बल ने कहा था कि यह कदम भारत के "महातिर के बयानों पर नाराज़गी दिखाने का एक तरीक़ा" है क्योंकि वो इसे भारत के "मूल राष्ट्रीय हितों" के ख़िलाफ़ मान रहे हैं।
 
मलेशिया का जवाब : मलेशिया में हज़ारों किसान अपने जीवनयापन के लिए पाम ऑइल के निर्यात पर निर्भर करते हैं और महातिर मोहम्मद ने अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा है कि उनकी सरकार इसे लेकर कोई समाधान निकालेगी। कुआलालंपुर में दैनिक अख़बार मलय मेल ने 14 जनवरी को महातिर मोहम्मद के हवाले से एक बयान दिया था कि "ज़रूर हमें इसकी चिंता है क्योंकि हम भारत को बहुत सारा पाम ऑइल बेचते हैं। लेकिन, दूसरी तरफ़ हमें कुछ ग़लत होने पर भी बोलने की ज़रूरत है। 
 
अगर हम गलत चीज़ों को होने देंगे और सिर्फ़ पैसों के बारे में सोचेंगे तो बहुत सारी चीज़ें गलत हो जाएंगी।" मलेशिया की ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने दोनों देशों से कूटनीतिक तरीक़े से मामले को सुलझाने की अपील की थी। मलेशिया की प्राथमिक उद्योग मंत्री टेरेसा कॉक ने 16 जनवरी ने कहा था कि संबंधित हितधारकों और कारोबारियों के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारत से जुड़ना ज़रूरी है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मलेशिया दूसरे देशों में पाम ऑइल बेचने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत को रिप्लेस करना आसान नहीं होगा।
 

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