प्रशांतो के रॉय
अगर किसी के पास मेरा आधार नंबर है, तो वो मेरे बारे में कौन सी जानकारियां हासिल कर सकता है? अब तक सरकार ने आधार को लेकर जो कहा है, उसके हिसाब से आपके आधार नंबर के ज़रिए कोई भी आप से जुड़ी कोई जानकारी नहीं हासिल कर सकता है।
आपके और सरकार के सिवा अगर किसी और के पास आपका आधार नंबर और नाम या फ़िंगरप्रिंट है, तो वो आधार के डेटाबेस से उसकी तस्दीक भर कर सकता है। सरकार के मुताबिक ऐसी बात पूछे जाने पर सिस्टम उसके जवाब में हां या ना ही कहेगा कि ये आंकड़े मिलते हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो थर्ड पार्टी यानी आपके और सरकार के सिवा किसी तीसरे के पास आपका आधार नंबर और नाम है, तो UIDAI (यूनिक आइडेंटिफ़िकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) सिर्फ़ उसे सही या ग़लत बता सकती है।
केवाईसी की ज़रूरत : हालांकि, आधार के ज़रिए 'ऑथेंटिफ़िकेशन प्लस' नाम की एक सेवा भी दी जाती है। इसमें किसी शख़्स का नाम, उम्र और पते की जानकारी दर्ज की जाती है। इस जानकारी को कोई सेवा प्रदाता यानी सेवा देने वाली कंपनी या पड़ताल करने वाली एजेंसी हासिल कर सकती है। असल में क़ानूनन बैंकिंग सेवाएं या कई और सेवाएं देने वाली कंपनियों को केवाईसी (KYC) यानी अपने ग्राहक को जानने की बाध्यता है।
कंपनियों को वेरिफ़िकेशन के लिए किसी शख़्स के आधार के ज़रिए जानकारी हासिल करना आसान हो गया है, क्योंकि उनके लिए अपने ग्राहक का वेरिफ़िकेशन करना ज़रूरी है। UIDAI ने आधार के ज़रिए e-KYC यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से वेरिफ़िकेशन की सुविधा देनी भी शुरू की है।
डिजिटल वेरिफ़िकेशन से तैयार होता डेटाबेस : इसकी वेबसाइट के मुताबिक़, ये सेवा कारोबार जगत के लिए है, जिसमें बिना काग़ज़ात की पड़ताल के, फ़ौरन किसी शख़्स का वेरिफ़िकेशन हो सकता है। मसलन, कोई मोबाइल कंपनी इस जानकारी को तुरंत लेकर अपने ग्राहक के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकती है। जबकि पहले काग़ज़ात के मिलान की लंबी और थकाऊ प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता था।
अब आपके आधार नंबर और फिंगरप्रिंट से UIDAI के डेटाबेस से आपके बारे में दूसरी जानकारियां फौरन मिल सकती हैं। दूसरी निजी कंपनियां आधार से मिली जानकारी के आधार पर ख़ुद का डेटाबेस भी तैयार कर सकती हैं। आपकी पहचान को दूसरी जानकारियों से जोड़ सकती हैं।
UIDAI का डेटाबेस : यानी कोई भी कंपनी आपके आधार से मिली जानकारी को आपकी दूसरी जानकारियों जैसे उम्र और पते के साथ जोड़कर, कर्मचारी का वेरिफ़िकेशन कर सकती हैं। या फिर ई-कॉमर्स कंपनियों पर आप जो लेन-देन करते हैं, उससे आपका विस्तृत प्रोफ़ाइल तैयार किया जा सकता है। ये डेटाबेस UIDAI के नियंत्रण से बाहर होगा। मगर आधार नंबर के ज़रिए इसका मिलान किया जा सकता है।
डिजिटल अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वाले निखिल पाहवा कहते हैं, "आधार नंबर के ज़रिए और जानकारी हासिल की जा सकती है।" निखिल आधार योजना के मुखर विरोधी हैं। पाहवा एक मिसाल देते हैं। वो कहते हैं कि दिसंबर में UIDAI ने एक नंबर ट्वीट किया।
पैसे ट्रांसफ़र का फ़र्ज़ीवाड़ा : इस नंबर पर जब आप कोई आधार नंबर एसएमएस के तौर पर भेजते हैं, तो जिस बैंक खाते से वो आधार नंबर जुड़ा होता है, उसके बैंक का नाम आ जाता है। बैंक खाते का नंबर हालांकि नहीं आता।
निखिल पाहवा कहते हैं, "इस नंबर के ट्वीट होने के बाद कई लोगों के पास फ़ोन कॉल आने लगे कि वो किसी बैंक के कर्मचारी हैं। फिर वो ये कहते कि उन्होंने एक ओटीपी भेजा है। कई लोगों से ओटीपी पूछकर उन्होंने लोगों के पैसे अपने खाते में ट्रांसफ़र करने का फ़र्ज़ीवाड़ा किया गया है। अगर किसी के पास मेरा आधा-अधूरा आधार नंबर है, तो क्या तब भी वो इससे मेरी जानकारी हासिल कर सकते हैं?
जानकारी का लीक होना : ये इस बात पर निर्भर करता है कि किसी के हाथ आपके आधार के कितने नंबर लगे हैं। वो सिर्फ़ कुछ अंकों से तो आपकी जानकारी हासिल नहीं कर सकते। मगर वो ये कोशिश ज़रूर कर सकते हैं कि उनमें दूसरे नंबर जोड़ें, जो शायद आपके आधार नंबर से मैच करें। अगर ऐसा हुआ, तो फिर वो आपके आधार में दर्ज जानकारी पा सकते हैं।
अगर किसी के पास मेरा आधार नंबर है, या ये लीक हो जाता है, तो क्या इसका बेजा इस्तेमाल हो सकता है? और हां, तो कैसे? अगर सिर्फ़ आधार नंबर लीक होता है, तो इसका दुरुपयोग नहीं हो सकता।
बायोमेट्रिक डेटा : लेकिन फिलहाल मोबाइल कंपनियां और आगे चलकर बैंक भी आपके बायोमेट्रिक डेटा का आधार नंबर से मिलान कर सकते हैं। हालांकि अगर ई-कॉमर्स कंपनियों के पास आपसे जुड़ी जानकारियों का डेटाबेस है और उन्हें आधार नंबर भी मिल जाता है। फिर ये जानकारी लीक हो जाती है, तो आपके लिए दिक़्क़त होगी। इससे आपकी निजता को ख़तरा है।
आप से जुड़ी जानकारी के आधार पर नागरिकों का बड़ा प्रोफ़ाइल तैयार किया जा सकता है। फिर इसे दूसरे लोगों को बेचा जा सकता है। या फिर नागरिकों की जानकारी उन अपराधियों के हाथ लग सकती है, जो अमीर लोगों को निशाना बनाने की फ़िराक़ में हैं।
कई सेवाओं से आधार के जुड़ने पर ख़तरा : किसी भी ख़राब सिस्टम का दुरुपयोग हो सकता है। जैसे कि पहचान के लिए आपके आधार नंबर की फोटोकॉपी मांगने वाले किसी भी सर्विस प्रोवाइडर से आपकी जानकारी लीक हो सकती है। निखिल पाहवा कहते हैं, "आधार नंबर आपकी स्थाई पहचान है। इसे जैसे-जैसे दूसरी सेवाओं से जोड़ा जा रहा है, उससे इस पर ख़तरा और भी बढ़ रहा है।"
"एक जगह से भी डेटा चोरी हुआ, तो आपकी पहचान में सेंध लगेगी। क्योंकि किसी के हाथ आपका आधार नंबर लगा, तो उसे फिर आपके फिंगरप्रिंट या ओटीपी की ही ज़रूरत होगी। इनके ज़रिए वो आपके बैंक खाते या दूसरी निजी जानकारियों को हासिल कर लेगा।"
हालांकि सरकार ने हमेशा ये कहा है कि किसी भी शख़्स के आधार से जुड़ा बायोमेट्रिक डेटा इनक्रिप्टेड है और बेहद सुरक्षित तरीक़े से रखा गया है। इसे लीक करने या चुराने वाले किसी भी शख़्स को जुर्माना देने के साथ जेल भी भेजा जा सकता है।
आधार नंबर को ऑनलाइन कंपनियों और रिटेल स्टोर से जोड़ना कितना सुरक्षित? : धीरे-धीरे तमाम ऑनलाइन कंपनियां आसानी से आपकी पहचान के लिए आधार नंबर मांग रही हैं। ख़तरा इस बात से है कि ये तमाम कंपनियां जब आपके आधार नंबर की बुनियाद पर आपसे जुड़ी जानकारियों का नया डेटाबेस तैयार कर लेंगी।
अगर इन कंपनियों के पास दर्ज आपकी ये जानकारी लीक होगी, तो दूसरी कंपनियां बिना आपके आधार नंबर के ही, आपके मोबाइल नंबर से आपकी जानकारी को जोड़कर आपका प्रोफ़ाइल तैयार कर सकती हैं। जैसे कि टैक्सी सेवाएं देने वाली कंपनियां या मोबाइल और बिजली कंपनियां।
निजता को ख़तरा : ऐसा हुआ तो आपकी निजता के लिए बड़ा ख़तरा है। बड़ी कंपनियों से आम तौर पर ऐसे डेटा की ऐसी चोरी नहीं होती। मगर ऐसी घटनाएं हुई भी हैं। जैसे कि पिछले साल दिसंबर में एयरटेल पेमेंट्स बैंक पर आधार से जुड़ी जानकारी के दुरुपयोग का आरोप लगा था। इसके बाद UIDAI ने एयरटेल पेमेंट्स बैंक की आधार से जुड़ी e-KYC सेवाओं पर रोक लगा दी थी। और इसके सीईओ शशि अरोरा को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
निखिल पाहवा के मुताबिक़, 'आप जितनी सेवाओं से आधार को जोड़ेंगे, उतना ही आपकी जानकारी लीक होने का ख़तरा बढ़ता जाएगा'। हालांकि UIDAI का दावा है कि उसका डेटाबेस, किसी और डेटाबेस से नहीं जुड़ा है। न ही उसमें दर्ज जानकारी किसी और डेटाबेस से साझा की गई है।
अगर मैं विदेशी नागरिक हूं, क्या तब भी मुझे आधार की ज़रूरत है? : अगर आप भारत में काम कर रहे विदेशी नागरिक हैं, तो आप कुछ सेवाएं आसानी से हासिल करने के लिए आधार नंबर पा सकते हैं। क्योंकि इनमें से कई सेवाओं के लिए आधार होना अनिवार्य बना दिया गया है। हालांकि इस बारे में आख़िरी फ़ैसला सुप्रीम कोर्ट में आधार पर चल रही सुनवाई से होगा।
जैसे कि मोबाइल नंबर या सिम लेने के लिए आधार अनिवार्य होगा या नहीं, या बैंक और क्रेडिट कार्ड हासिल करने के लिए आधार ज़रूरी होगा या नहीं। ये बातें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर निर्भर करेंगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने आधार को तमाम सेवाओं से जोड़ने की मियाद अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दी है।
अप्रवासी भारतीयों या भारतीय मूल के लोगों के लिए आधार कितना ज़रूरी है? : निखिल पाहवा कहते हैं, "आधार नागरिकता का पहचान पत्र नहीं है, ये भारत में रहने वालों का नंबर है। विदेश में रहने वाले भारतीय, आधार नंबर नहीं ले सकते। इसके लिए उन्हें पिछले एक साल में कम से कम 182 दिन भारत में रहने की शर्त पूरी करनी होगी।"
इसका ये मतलब है कि उन्हें बैंक खातों के वेरिफिकेशन के लिए आधार देने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें अपने सिम कार्ड और पैन को भी आधार से जोड़ने की ज़रूरत नहीं। क्या किसी सेवा देने वाली कंपनी का मेरे आधार से जुड़ी जानकारी मांगना कानूनी है, जबकि मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है?
फिलहाल तो सुप्रीम कोर्ट ने तमाम सेवाओं से आधार को जोड़ने की मियाद अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दी है। ऐसे में इन सेवाओं का आपसे आधार नंबर और जानकारी मांगना कानूनी तो है। मगर निखिल पाहवा कहते हैं, "ये ठीक नहीं है।"
डिजिटल लेन-देन : पाहवा कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई निजी कंपनियां आधार को जोड़ने या इससे जुड़ी जानकारी मांगने से गुरेज़ नहीं कर रही हैं। लेकिन आप उन्हें ये जानकारी देने से मना कर सकते हैं।" "बुनियादी बात ये है कि फिलहाल अगर कोई आपसे आधार नंबर या बायोमेट्रिक डेटा मांगता है, तो आप उसे ये जानकारी देने से मना कर सकते हैं। लेकिन इसका ये नतीजा भी हो सकता है कि कोई कंपनी या बैंक आपको सेवाएं देने से इनकार भी कर सकता है।
जैसे टेलीकॉम कंपनियों को संचार विभाग ने एक नोटिस भेजा है। इसमें टेलीकॉम कंपनियों को कहा गया है कि वो सारे मोबाइल नंबरों को आधार से जोड़ें। मोबाइल नंबर कई बार लोगों की पहचान के तौर पर भी इस्तेमाल होते हैं। कई डिजिटल लेन-देन और मोबाइल वॉलेट में भी इनकी ज़रूरत होती है।
आधार से जोड़ने की शर्त : इसलिए इनका वेरिफ़िकेशन और आधार से जोड़ने की शर्त सरकार ने रखी है। निखिल पाहवा कहते हैं, "मेरी राय में आधार स्वैच्छिक होना चाहिए। इससे जुड़ी जानकारी बदलने का विकल्प भी मिलना चाहिए। इसे किसी की बायोमेट्रिक पहचान, जैसे फिंगरप्रिंट वग़ैरह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। लोगों को ये अधिकार होना चाहिए कि वो चाहें तो अपना आधार रद्द कर सकें।"
UIDAI की वेबसाइट के मुताबिक़, फिलहाल, "आधार को छोड़ने की कोई नीति नहीं है। जिनके पास आधार है, वो अपने बायोमेट्रिक को UIDAI की वेबसाइट पर लॉक या अनलॉक करके सुरक्षित या सार्वजनिक कर सकते हैं।"