अज़रबैजान में अर्दोआन के कविता पढ़ने पर भड़का ईरान

Webdunia
शनिवार, 12 दिसंबर 2020 (13:10 IST)
ईरान के विदेश मंत्रालय ने अज़रबैजान में अर्दोआन की टिप्पणी को लेकर तुर्की के राजदूत को तलब किया है।
 
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यब अर्दोआन अज़रबैजान की राजधानी बाकू गए थे। पिछले महीने ख़त्म हुए युद्ध में अज़रबैजान की अर्मीनिया पर जीत के बाद अर्दोआन वहां सेना की विजय परेड देखने गए थे।
 
अर्दोआन ने इस मौक़े पर अज़ारी-ईरानी कविता पढ़ी जो 19वीं शताब्दी में रूस और ईरान के बीच अज़रबैजान के विभाजन के बारे में थी। उसी को लेकर ईरान को चिंता है कि इसकी वजह से ईरान में अज़ारी अल्पसंख्यकों के बीच अलगाववाद की भावना भड़क सकती है।
 
ईरान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर लिखा, "तुर्की के राजदूत को बता दिया गया है कि दूसरों की ज़मीन पर दावा करने और विस्तारवादी देशों का दौर जा चुका है। ईरान किसी को भी अपनी अखंडता में दख़ल देने की इजाज़त नहीं देता।"
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Pres. Erdogan was not informed that what he ill-recited in Baku refers to the forcible separation of areas north of Aras from Iranian motherland

Didn't he realize that he was undermining the sovereignty of the Republic of Azerbaijan?

NO ONE can talk about OUR beloved Azerbaijan

— Javad Zarif (@JZarif) December 11, 2020 >
विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने भी ट्वीट किया, "राष्ट्रपति अर्दोआन को नहीं पता कि जो उन्होंने बाकू में ग़लत तरीके से पढ़ा है। उसका मतलब ईरान की मातृभूमि से उसके इलाक़ों को ज़बर्दस्ती अलग करना है।
 
ज़रीफ का इशारा ईरान में अज़ारी लोगों के क्षेत्र की ओर था। ज़रीफ ने कहा, "कोई हमारे प्रिय अज़रबैजान के बारे में नहीं बोल सकता।"
 
ईरान की न्यूज़ एजेंसी आईएसएनए के मुताबिक़ जो कविता पढ़ी गई, वो "पूरे तुर्की में अलगाववाद के प्रतीकों में से एक है।" एजेंसी के मुताबिक़ इस कविता में "अरास नदी के दोनों तरफ़ रहने वाले अज़ारी लोगों में दूरी को लेकर शिकायतें हैं।"
 
कविता में ये पंक्तियां भी हैं: "उन्होंने अरास नदी को बांट दिया और उसमें पत्थर और डंडे भर दिए। मैं तुमसे अलग नहीं होना चाहता। उन्होंने हमें ज़बर्दस्ती अलग कर दिया।"
 
ईरान के विदेश मंत्रालय ने बताया कि तुर्की के राजदूत को अर्दोआन के 'दख़ल देने वाली और अस्वीकार्य टिप्पणी' को लेकर तलब किया गया है और 'तुरंत स्पष्टीकरण' देने को कहा है।
 
तुर्की की होगी अहम भूमिका : एनटीवी के मुताबिक़ अर्दोआन ने अपने दौरे में कहा कि युद्ध में अज़रबैजान ने जिन इलाक़ों को लिया है, तुर्की उनके पुनर्निमाण में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलियेव इस पर एक साल के अंदर क़दम उठाने को राज़ी हो गए हैं।
 
उन्होंने अज़रबैजान को तुर्की के सहयोग की बात भी दोहराई, "जब तक तुर्की और अज़रबैजान साथ हैं, वे हर मुश्किल से निकल आएंगे और एक सफलता से दूसरी सफलता की ओर बढ़ते रहेंगे।"
 
सितंबर में शुरू हुई लड़ाई 44 दिन तक चली और दोनों तरफ़ के क़रीब 5600 लोग मारे गए, जिनमें से ज़्यादातर सैनिक थे। आख़िरकार अर्मीनिया को शांति समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा।
 
रूस की मध्यस्थता से सीज़फायर शुरू हो चुका है और रूस ने इलाक़े में अपने शांतिदूत भी नियुक्त कर दिए हैं। एक दूसरे समझौते के मुताबिक़ रूस और तुर्की मिलकर सीज़फायर को मॉनिटर करेंगे। तब से अर्मीनिया में हज़ारों लोग प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयन के इस्तीफ़े के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
 

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