जब नेहरू ने जैकलीन केनेडी के साथ होली खेली

Webdunia
शुक्रवार, 19 मई 2017 (13:04 IST)
रेहान फजल
जैकलीन 1962 में नौ दिन की भारत यात्रा पर आई थीं। चूँकि ये एक निजी यात्रा थी, इसलिए उन्हें सलाह दी गई कि किसी अमेरिकी एयरलाइन के बजाए एयर इंडिया से भारत जाएं। उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने रोम से दिल्ली के लिए एयर इंडिया की फ़्लाइट ली।
 
उनके साथ उनकी बहन राजकुमारी ली रैद्ज़ीविल और उनकी आया प्रोवी भी भारत आई थी। भारत आने से पहले ये तीनों पोप से मिलने वैटिकन गई थीं। ली इस बात से थोड़ा नाराज थीं कि पोप ने उनसे सिर्फ इसलिए मिलने से इंकार कर दिया था क्योंकि उनका तलाक हो चुका था जबकि उन्हीं पोप को उनकी आया प्रोवी से मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई जो तीन नाजायज बच्चों की मां थीं।
 
हालांकि ये एक निजी यात्रा थी, लेकिन तब भी भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन केनेडी के विमान का इंतजार कर रहे थे। विमान पालम के चक्कर पर चक्कर लगाए जा रहा था, लेकिन उतरने का नाम नहीं ले रहा था।
नेहरू ने उस समय अमेरिका में भारत के राजदूत बीके नेहरू से कहा कि पता लगाएं कि माजरा क्या है।
 
बीके नेहरू अपनी आत्मकथा 'नाइस गाइज फिनिश सेकेंड' में लिखते हैं, 'मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि जहाज के न उतरने का कारण ये है कि जैकलीन ने अपना मेकअप पूरा नहीं किया है। नेहरू को थोड़ा अचरज हुआ और वो थोड़ा मुस्कराए। मैंने उनसे कहा कि अमेरिका की इस प्रथम महिला को प्रोटोकॉल वगैरह की परवाह नहीं है। उनके लिए सुंदर दीखना, समय पर पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण है।'
 
बहरहाल जैकलीन उतरी और नेहरू ने गुलदस्तों से उनका स्वागत किया। पालम से तीनमूर्ति निवास तक के पूरे रास्ते में हज़ारों लोग जैकलीन कैनेडी के स्वागत में सड़कों के दोनों ओर खड़े थे। उनमें बहुत से लोग अपनी बैलगाड़ियों में 'अमेरिका की इस महारानी' के दर्शन करने आए थे।
 
अमेरिकी दूतावास पहुंचने के थोड़ी देर बाद भारत में अमरीकी राजदूत केन गालब्रेथ ने बीके नेहरू से कहा कि जैकलीन चाहती हैं कि भारत में वो जहां भी जाएं, आप उनके साथ चलें। इस तरह बीके नेहरू अपने ही देश में विदेशी राजदूत के मेहमान के मेहमान बन गए।
 
जैकलीन की रेलयात्रा : जैकलीन और उनकी बहन ने पहली रात प्रधानमंत्री निवास में बिताई। नेहरू ने उनके सम्मान में जबरदस्त भोज दिया। खाना जल्दी खत्म हो गया और इन दोनों के पास अपने अपने कमरों में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा। तभी परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष होमी भाभा ने सलाह दी कि आप हमारे साथ नाचती क्यों नहीं।
 
जैकलीन की बहन ली तो इसके लिए फौरन तैयार हो गई लेकिन जैकलीन थोड़ा झिझक रही थीं। बीके नेहरू और भाभा ने जैकलीन को उनके कमरे में छोड़ा और ली के साथ उस समय के दिल्ली के बेहतरीन होटल इंपीरियल के 'द टैवर्न' में डांस करने चले गए।
 
अगले दिन जैकलीन और उनकी बहन ली, केन और किटी गालब्रेथ, बीके नेहरू और विदेश मंत्रालय की एक अधिकारी सूनू कपाडिया जिन्हें जैकलीन का लियाजां अफसर बनाया गया था, एक विशेष रेलगाड़ी से आगरा के लिए रवाना हुए।
 
रेलवे बोर्ड ने जैकलीन के लिए भारत में उपलब्ध बेहतरीन रेल सैलून का बंदोबस्त किया था। खाने और वाइन का भी अच्छा प्रबंध था। जैकलीन को ये सब बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि अमेरिका में वो विमान से उड़ने की आदी थी और अर्से बाद वो ट्रेन से सफर कर रही थीं। जैकलीन ने फतहपुर सीकरी का अकबर का महल और ताज महल देखा। अगले दिन उन्हें विमान से अपनी यात्रा जारी रखनी थी, लेकिन जैकलीन ने इच्छा प्रकट की कि वो यहां से वाराणसी जाना चाहेंगी और वो भी ट्रेन से।
 
नेहरू लिखते हैं, 'सूनू मेरे पास दौड़ी दौड़ी आईं और पूछने लगी कि क्या इतने कम नोटिस पर वाराणसी की यात्रा आयोजित की जा सकती है। मैंने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन करनैल सिंह को फोन मिलाया। उन्होंने आनन फानन में इसकी व्यवस्था कराई और हम सब लोग ट्रेन से वाराणसी के लिए रवाना हो गए। लेकिन अपने उत्साह में मैं इसके बारे में विदेश मंत्रालय को बताना भूल गया। दिल्ली वापस लौटने पर मुझे इस बात की डांट पिलाई गई कि मैंने अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है।'
 
वाराणसी से जैकी उदयपुर गईं जहां महाराणा के महल में दो रातें रूकी। महल इतना भव्य था कि जैकी ने अपने पति को चिट्ठी लिख कर कहा कि इसके एक विंग में पूरा का पूरा व्हाइट हाउस समा जाएगा।
 
बीके नेहरू लिखते हैं, 'वहीं एक रात जैकी ने कहा कि हम लोग लेक की तरफ घूमने चलें। हम लोग वहां गए, चांदनी रात में लेक का नज़ारा लिया और वापस लौट आए। अगले दिन सूनू ने मुझे बताया कि नाश्ते के वक्त हमारे सुरक्षा जवानों ने अमेरिकी सुरक्षा जवानों से मजाक किया, 'हमारे साहब ने आपकी मेमसाहब को किडनैप कर लिया और आपको पता ही नहीं चला। शायद हमारे सुरक्षा जवान हम पर दूर से नजर रख रहे थे।'
 
महल में उस दौरान जैकलीन के अलावा बीकानेर के महाराजा कर्णी सिंह के अलावा अमेरिका की एक बहुत सुंदर फोटोग्राफर भी ठहरी हुई थी। उदयपुर की महारानी ने जैकलीन कैनेडी से शिकायत की कि उनके पति का इस फोटोग्राफर से चक्कर चल रहा है। आप इस मामले में मेरी मदद करें।
 
नेहरू लिखते हैं कि जैकलीन ने उस फोटोग्राफर को बुला कर खूब झाड़ लगाई और उसके कैमरे को खोल कर उस महिला द्वारा खींची गई सारी फिल्म को एक्सपोज कर दिया। जाहिर था वो भारतीय जनता द्वारा उन्हें दिए गए 'अमेरिकी महारानी' के खिताब को बहुत गंभीरता से ले रही थीं।'
 
राज महल में रूकने पर आपत्ति : जैकलीन का अगला पड़ाव जयपुर था। महाराजा जयपुर और महारानी गायत्री देवी दोनों जैकलीन की बहन ली रैद्ज़ीविल के निजी दोस्त थे। उन्होंने दोनों मेहमानों को न्योता दिया था कि वो दोनों बहनें उनके साथ ही ठहरें और दोनों इसके लिए राजी भी थीं। लेकिन राज्य सरकार को इस पर ऐतराज था। कारण ये था कि उस समय राज्य सरकार और महाराजा के बीच उनके अधिकारों को ले कर एक तरह की जंग छिड़ी हुई थी।
 
सरकार को इस बात पर आपत्ति थी कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति की पत्नी राज भवन के बजाए महाराजा के साथ रूकती हैं तो इससे उनके रसूख में वृद्धि होगी। जैकलीन का तर्क ये था कि ये एक निजी यात्रा है और भारत सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वो ये तय करे कि उन्हें रहना कहां है।
 
व्हाइट हाउस और भारत सरकार के बीच चले कई संवादों के बाद बीच का रास्ता ये निकाला गया कि जैकलीन एक रात राज भवन में रूकेंगी और फिर दो रातों के लिए महाराजा के महल में चली जाएंगी।
 
उस समय गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के राज्यपाल हुआ करते थे। वो स्वतंत्रता सेनानी थे। शालीन और विनम्र भी थे। लेकिन उनमें इस पद के लिए जरूरी लालित्य और स्टाइल का अभाव था।
 
राज्यपाल के साथ नहीं बैठीं जैकलीन : रात में उन्होंने जैकलीन कैनेडी के लिए भोज का आयोजन किया। जैकलीन उनके दाएं और उनकी बहन ली उनके बाएं बैठी हुई थीं।
 
बीके नेहरू लिखते हैं, 'राज्यपाल महोदय कुछ भी नहीं खा रहे थे और डकारें ले रहे थे। वो भी जोर जोर से। मैंने उनसे पूछा कि आप कुछ खा क्यों नहीं रहे हैं? उन्होंने जवाब दिया कि उनका हाजमा ठीक नहीं है। इसलिए उन्होंने सात बजे ही दो उबले अंडों का अपना खाना खा लिया था। खाने के बाद जैकलीन ने अमेरिकी राजदूत को सूचित किया कि वो अगले दिन राज्यपाल के साथ कार में बैठ कर आमेर का किला देखने नहीं जाएंगी।'
 
अगली सुबह मुझे बताया गया कि मैं ली रैद्ज़ीविल के साथ कार में न बैठकर राज्यपाल और जैकलीन के बीच उनकी कार में बैठूंगा। उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो किसी भी हालत में डकार लेते राज्यपाल की बगल में नहीं बैठेंगी, इसलिए मुझे उनके और राज्यपाल के बीच बैठाया गया।
 
राज भवन से आमेर तक का सफर हम तीनों के लिए बहुत ही कष्टप्रद था, क्योंकि कार की दो लोगों की सीट पर हम तीन लोग बैठे हुए थे, और राज्यपाल को तंग करने के लिए जैकलीन ने सिगरेट भी सुलगा ली थी।
 
जैकलीन की होली
अगला दिन जैकलीन कैनेडी की भारत यात्रा का अंतिम दिन था और संयोग से उस दिन होली थी। हवाई अड्डे जाने से पहले जैकलीन नेहरू को गुड बाई कहने उनके निवास स्थान तीनमूर्ति भवन गईं।
 
उन्होंने हमेशा की तरह काफी फैशनेबल कपड़े पहन रखे थे। अमेरिकी राजदूत गालब्रैथ को होली के बारे में पता था, इसलिए वो कुर्ता पायजामा पहन कर आए थे।
 
बीके नेहरू लिखते हैं, 'मैंने भी होली के मिजाज के खिलाफ लाउंज सूट पहन रखा था। मुझे पता था कि नेहरू होली खेलने के शैकीन थे। जैसे ही जैकलीन पहुंची, एक चांदी की ट्रे में छोटी छोटी कटोरियों में कई रंगों के गुलाल उनके सामने लाए गए। नेहरू ने जैकलीन के माथे पर गुलाल का टीका लगाया। उन्होंने भी नेहरू के माथे पर टीका लगा दिया। वहां मौजूद इंदिरा गांधी ने भी यही किया।'
 
लेकिन जब मेरी बारी आई तो मैंने एक मुट्ठी भर हरा गुलाल ले कर जैकलीन की पूरी नाक रंग दी। जैकलीन पहले ही नेहरू से कह चुकी थी कि मुझे उस दिन इन कपड़ो में नहीं आना चाहिए था और गालब्रेथ की तरह ही कपड़े पहनने चाहिए थे। जैसे ही मैंने जैकलीन को रंग लगाया, वो बोली मैं आपको सबक सिखाती हूं। उन्होंने हरे गुलाल की पूरी कटोरी उठा कर मेरे सूट पर पलट दी।'
 
रंग गीले नहीं थे, इसलिए बी के नेहरू का सूट खराब नहीं हुआ। थोड़े पानी की मदद से जैकलीन का चेहरा और बीके नेहरू का सूट दोनों साफ हो गए। उन्होंने अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ के साथ पालम हवाई अड्डे पर जैकलीन कैनेडी को विदाई दी।
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