मोदी सरकार क्या विपक्ष से बेरोज़गारी का मुद्दा भी छीन लेगी?

BBC Hindi
रविवार, 23 अक्टूबर 2022 (08:25 IST)
चंदन कुमार जजवाड़े, बीबीसी संवाददाता
भारत सरकार साल 2023 के अंत तक 10 लाख़ युवाओं को नौकरी देने की बात कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अक्टूबर यानी धनतेरस के दिन 'रोज़गार मेला' नाम से इसकी शुरुआत की। पीएम मोदी ने शनिवार को पहले चरण के तहत 75,000 युवाओं को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे।
 
ये भर्तियां यूपीएससी, एसएससी और रेलवे सहित केंद्र सरकार के 38 मंत्रालयों या विभागों में दी जाएगी। यानी इस मेगा प्लान में रेलवे, डिफ़ेंस, बैंकिंग, डाक और इनकम टैक्स जैसे विभाग शामिल हैं। इस योजना का एलान इसी साल जून में प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर किया था।
 
इसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी विभागों और मंत्रालयों में मानव संसाधन की समीक्षा की और इस मिशन के तहत अगले साल के अंत तक 10 लाख़ लोगों को भर्ती करने का आदेश दिया है।
 
22 अक्टूबर को जिन विभागों में नौकरियों के लिए चिट्ठी दी गईं उनमें रेलवे भी शामिल है। रेलवे भारत में सबसे ज़्यादा सरकारी नौकरी देने वाले विभागों में से एक है।
 
भारतीय रेल के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बीबीसी को बताया था कि इस दौरान क़रीब 8,000 युवाओं को रेलवे में नौकरी का ऑफ़र लेटर दिया जाएगा। इसमें अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले भी शामिल हैं। इससे पहले रोज़गार के मुद्दे पर विपक्ष ने लगातार केंद्र सरकार पर हमला किया है।
 
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तक मोदी सरकार को बेरोज़गारी के मुद्दे पर घेरते रहे हैं। यानी मौजूदा समय में बेरोज़गारी की समस्या विपक्ष के लिए केंद्र सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा रहा है।
 
बढ़ती बेरोज़गारी का मुद्दा उत्तर से लेकर दक्षिण भारत और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत तक विपक्ष को सरकार पर हमले का हथियार देता रहा है।
 
विपक्ष बना रहा रोज़गार को मुद्दा
सरकारी नौकरी की चाह रखने वालों में बड़ी तादाद बिहार के युवाओं की होती है। बीते कुछ साल में भारत में सरकारी नौकरी बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार में सरकार बनने पर 10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा तक किया था।
 
बीते अगस्त महीने में जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार बनने के बाद तेजस्वी यादव ने कम-से-कम चार-पाँच लाख़ लोगों को नौकरी देने की बात कही थी।
 
तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को अपने फ़ेसबुक पर कई तस्वीरें लगाई हैं। इनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव युवाओं को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी की चिट्ठी सौंपते दिख रहे हैं।
 
तेजस्वी यादव ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखा, "आज बिहार ने इतिहास रचा। आप सबों को हार्दिक बधाई। एक ही दिन में एक ही विभाग के नव चयनित 9,469 स्वास्थ्य कर्मियों को आज नियुक्ति पत्र सौंपा। बिहार ने जो राह दिखाई है, अब पूरे देश को हमारे नौकरी-रोज़गार के मुद्दे पर आना ही होगा।"
 
यानी इस पोस्ट से भी तेजस्वी यादव नौकरी और रोज़गार को बड़ा मुद्दा बनाते दिख रहे हैं।
 
बेरोज़गारी का रिकॉर्ड उच्च स्तर
नौकरी को लेकर यूपी, बिहार, झारखंड समेत तमाम राज्यों के अपने वादे और दावे रहे हैं। वहीं विपक्ष दलों के शासन वाले हर राज्य सरकार ने बढ़ती बेरोज़गारी को लेकर मोदी सरकार पर लगातार आरोप लगाया है।
 
दरअसल साल 2019 में ही भारत में 45 साल की सबसे बड़ी बेरोज़गारी के आंकड़े सामने आए थे। उस साल आम चुनावों से पहले इन आंकड़ों के लीक होने पर काफ़ी विवाद हुआ था।
 
ख़बरों के मुताबिक़, बाद में सरकार ने इसके आंकड़े ख़ुद जारी किए और माना कि भारत में बेरोज़गारी दर पिछले चार दशक में सबसे ज़्यादा हो गई है।
 
सरकार ने पहले लीक हुई रिपोर्ट को यह कहते हुए ख़ारिज किया था कि बेरोज़गारी के आंकड़ों को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
 
लेकिन विपक्ष इस ख़बर के सामने आने के बाद से ही रोज़गार के मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठाती रही है।
 
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत में 20 अक्टूबर, 2022 को बेरोज़गारी दर 7.8 फ़ीसदी है। इसमें शहरी बेरोज़गारी दर 7.5 फ़ीसदी, जबकि गांवों के लिए यह आंकड़ा 7.9 फ़ीसदी है।
 
इस साल केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि अप्रैल 2014 से मार्च 2022 के बीच आठ साल में केंद्र सरकार के विभागों में स्थायी नौकरी पाने के लिए क़रीब 22 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था।
 
इस दौरान केंद्र सरकार में महज़ 7.22 लाख लोगों को स्थायी नौकरी मिली। आसान शब्दों में कहें तो जितने लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया, उसमें से केवल 0.32 प्रतिशत लोगों को नौकरी मिली। इस मुद्दे पर ख़ुद बीजेपी सांसद वरुण गांधी केंद्र सरकार पर सवाल उठा चुके हैं।
 
वरुण गांधी ने एक ट्वीट कर सरकार से सवाल किया था, "जब देश में लगभग एक करोड़ स्वीकृत पद ख़ाली हैं, तब इस स्थिति के लिए कौन ज़िम्मेदार है?" भारत में बेरोज़गारी से बनी स्थिति का ये सिर्फ़ एक उदाहरण है।
 
क्या माहौल बदल सकती है मोदी सरकार?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार की तरफ़ से अगले क़रीब डेढ़ साल में 10 लाख़ लोगों को नौकरी देने का वादा विपक्ष से बेरोज़गारी का मुद्दा भी छीन सकता है।
 
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के एमडी महेश व्यास ने बीबीसी को बताया, "सरकार का वादा बहुत बड़ा है। केंद्र सरकार 10 लाख़ लोगों को नौकरी देने की जो पहल कर रही है वह बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण है।"
 
बढ़ती बेरोज़गारी को लेकर युवाओं का आक्रोश भी कई बार सड़कों पर दिखा है। बिहार, यूपी, तेलंगाना, राजस्थान और हरियाणा जैसे कई राज्यों में नौकरी की मांग में प्रदर्शन हो चुके हैं। नौकरी की तलाश में युवाओं का आक्रोश सड़कों पर दिखा है।
 
महेश व्यास कहते हैं, "भारत में नौकरी की मांग को लेकर ज़्यादा आंदोलन नहीं होते। बिहार या यूपी जैसे राज्यों में पिछले दिनों जो हंगामा हुआ, वो नियमों में बदलाव की वजह से था। चाहे रेलवे की एनटीपीसी परीक्षा के नियमों का मामला हो चाहे अग्निवीर स्कीम का, इस दौरान जो हंगामा हुआ वो नियमों में बदलाव को लेकर हुआ था।"
 
"बच्चे कुछ समझकर नौकरी की तैयारी करते हैं, फिर उन्हें पता चलता है कि उन्हें चार साल के लिए नौकरी मिलेगी और इसी बात को लेकर उन्होंने प्रदर्शन किया था।"
 
दरअसल देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार की 'अग्निपथ योजना' के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए थे। बिहार और मध्य प्रदेश में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसक घटनाएं भी हुई थीं।
 
भारत सरकार इस योजना के तहत अल्पावधि के लिए सेना में 17।5 साल से लेकर 21 साल की उम्र वाले युवाओं की भर्ती करेगी। युवाओं ने सेना में पुराने तरीक़े से भर्ती की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। इस योजना को लेकर काफ़ी सियासी गहमागहमी हुई थी।
 
इससे पहले इसी साल की शुरुआत में रेलवे की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) परीक्षा में भर्ती प्रक्रिया को लेकर भी काफ़ी हंगामा हुआ था। बाद में रेलवे ने एक कमेटी बनाकर छात्रों के सुझावों के आधार पर इसमें बदलाव किए थे।
 
ज़ाहिर है मोदी सरकार के लिए भी बेरोज़गारी की समस्या बहुत बड़ा मुद्दा है। इसलिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में अगले पाँच साल में 60 लाख़ रोज़गार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में 10 लाख़ लोगों को नौकरी दे पाना बड़ी उपलब्धि होगी।
 
हालांकि कितने लोगों को किस विभाग में और कैसी नौकरी दी जाएगी, इस मुद्दे पर बीबीसी ने भारत सरकार के श्रम और रोज़गार मंत्रालय से जानकारी हासिल करने की कोशिश की। लेकिन उनका कहना है कि इसका आंकड़ा फ़िलहाल पास मौजूद नहीं है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Aadhaar और PAN को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला

मिनटों में 500 साल की कैलकुलेशन,130 करोड़ की लागत, बाढ़, सूखा, तूफान की सटीक जानकारी, 3 परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित

Cold Play बैंड से लेकर Diljit Dosanjh शो तक क्‍यों लाखों में बिक रहे लाइव कंसर्ट के टिकट?

क्या शेयर बाजार है Overbought, आ सकता है बड़ा करेक्शन?

योगी मॉडल को लेकर हिमाचल कांग्रेस में क्लेश, सुक्खू सरकार की सफाई, मंत्री विक्रमादित्य को हाईकमान की फटकार

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

iPhone 16 को कैसे टक्कर देगा OnePlus 13, फीचर्स और लॉन्च की तारीख लीक

iPhone 16 सीरीज लॉन्च होते ही सस्ते हुए iPhone 15 , जानिए नया आईफोन कितना अपग्रेड, कितनी है कीमत

Apple Event 2024 : 79,900 में iPhone 16 लॉन्च, AI फीचर्स मिलेंगे, एपल ने वॉच 10 सीरीज भी की पेश

iPhone 16 के लॉन्च से पहले हुआ बड़ा खुलासा, Apple के दीवाने भी हैरान

Samsung Galaxy A06 : 10000 से कम कीमत में आया 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी वाला सैमसंग का धांसू फोन

अगला लेख