वो रहस्यमयी नाक़ाबपोश औरतें

Webdunia
गुरुवार, 20 जुलाई 2017 (11:10 IST)
- रोडोल्फो कोंट्रेरास 
मुस्लिम महिलाओं के बीच हिजाब या पर्दे या बुर्क़े का चलन बड़े पैमाने पर है। अलग अलग देशों में अलग तरह के हिजाब, चेहरा और सिर ढंकने में इस्तेमाल किए जाते हैं। मगर, ईरान के होर्मोज़्गान सूबे की महिलाएं सिर्फ़ बुर्क़ा नहीं, बल्कि चेहरे पर अलग तरह के मुखौटे भी लगाती हैं।

होर्मोज़्गान सूबा, ईरान के दक्षिण में है। यहां समंदर किनारे बसने वाले लोगों को बंदारी यानी बंदरगाह के पास बसने वाले लोग कहा जाता है। बंदारी महिलाएं, चेहरे पर तरह-तरह के मुखौटे लगाती हैं। इस वजह से पूरी दुनिया में ईरान की बंदारी महिलाओं की अलग ही पहचान है।
 
कई सदियों से ईरान का ये इलाक़ा मशहूर स्पाइस रूट का हिस्सा रहा था। यानी इस समुद्री रास्ते से होकर भारत और दूसरे देशों के बीच मसालों का कारोबार होता था। इस रास्ते को अरबों के अलावा अफ्रीकी, ईरानी और यूरोपीय कारोबारी भी इस्तेमाल करते थे।
 
ईरान के इस इलाक़े के लोगों का पहनावा देश के बाक़ी हिस्सों से अलग है। वो रंग-बिरंगे कपड़े पहनती हैं। जबकि बाक़ी ईरानी महिलाएं आम तौर पर सिर से पैर तक काले बुर्क़े में ढंकी नज़र आती हैं।
होर्मोज़्गेन की महिलाओं के पहनावे की सबसे बड़ी ख़ासियत है उनका बोरेग़ेह या मुखौटा। शिया हों या सुन्नी, सब इसे पहनती हैं।
बंदारी महिलाएं सदियों से ये मुखौटे पहनती आ रही हैं। पहले के ज़माने में इसका सबसे बड़ा मक़सद था आक्रमणकारियों से ख़ुद को बचाना। कहा जाता है कि जब इस इलाक़े पर पुर्तगाल का क़ब्ज़ा था, तब ग़ुलामी से बचने के लिए वो ये मुखौटे पहनने लगीं। पुर्तगाली सरदार अक्सर ख़ूबसूरत महिलाओं को अगवा कर ले जाते थे। इसीलिए मुखौटे का चलन यहां आम हो गया।
 
आज की तारीख़ में तरह-तरह के मुखौटे, होर्मोज़्गेन सूबे के मज़हब और संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं। ये मुखौटे बंदारी महिलाओं की आंखों और चेहरे को सूरज़ की तेज़ रौशनी से भी बचाते हैं। इस इलाक़े में सूरज अक्सर तल्ख़ तेवर दिखाता है। यूं तो अरब देशों से लेकर फारस तक सभी देशों में बुर्क़े का चलन है। लेकिन इन ईरानी महिलाओं के मुखौटे इन्हें अलग ही पहचान देते हैं।
 
पूरे होर्मोज़्गेन सूबे में महिलाएं तरह-तरह के मुखौटे पहने हुए दिख जाएंगी। किसी में सिर्फ़ आंख खुली होगी, तो किसी में चेहरे को कोई अलग ही रूप देने की कोशिश होती है। कुछ चमड़े से बने होते हैं, तो कुछ कढ़ाई वाले कपड़े से। इन सबसे कम से कम महिलाओं का माथा तो ढंकता ही है। नाक भी अक्सर ढंकी होती है। कुछ महिलाओं के मुखौटों से उनका मुंह भी बंद हो जाता है। अलग समुदायों और इलाक़ों में अलग-अलग तरह के मुखौटे होते हैं। इन मुखौटों से ही ये पता लगाया जा सकता है कि महिला किस इलाक़े की रहने वाली है।
एक ख़ास मुखौटा जो मूंछों के आकार का होता है, वो यहां के क़ेश्म जज़ीरे की महिलाएं पहनती हैं। कहते हैं कि जब हमला करने वाले आते थे, तो उन्हें मर्दों का धोखा देने के लिए महिलाएं ये मूंछों वाले मुखौटे पहना करती थीं।
 
आज होर्मोज़्गेन सूबे की बहुत सी महिलाओं ने मुखौटे पहनना छोड़ दिया है। वो आम तौर पर हिजाब लेकर चलती हैं। बहुत सी महिलाएं हैं जो मुखौटे नहीं पहनतीं, मगर उन्हें किसी मर्द के साथ तस्वीरें खिंचवाने पर ऐतराज़ होता है। क्योंकि यहां पर महिलाओं का बेपर्दा होकर मर्दों के सामने आना समाज के नियमों के ख़िलाफ़ है।
 
इन परंपराओं और मुखौटों की वजह से बंदरी महिलाएं बाक़ी दुनिया से कटी हुई सी मालूम होती हैं। लेकिन, धीरे-धीरे बंदारी समुदाय में भी खुलापन आ रहा है।
Show comments

जरूर पढ़ें

तुम्हें बाप की कसम है, अगर हम नेता बनें तो वोट मत देना

इश्क की खातिर की LoC पार, PoK के युवक से निकाह की ख्वाहिशमंद फातिमा गिरफ्तार

सुरक्षाबलों के लिए क्‍यों चुनौती बन रहे आतंकी, BSF अधिकारी ने दिया यह जवाब...

केजरीवाल को जिंदा जलाने की कोशिश, आप नेता भारद्वाज का सनसनीखेज आरोप

Dehradun : अल्पसंख्यक समुदाय के पुरुषों को फंसाने का डाला दबाव, आरोपी महिला पर मामला दर्ज

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

सस्ता Redmi A4 5G लॉन्च, 2 चिपसेट वाला दुनिया का पहला 5G स्मार्टफोन

Vivo Y19s में ऐसा क्या है खास, जो आपको आएगा पसंद

क्या 9,000 से कम कीमत में आएगा Redmi A4 5G, जानिए कब होगा लॉन्च

तगड़े फीचर्स के साथ आया Infinix का एक और सस्ता स्मार्टफोन

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

अगला लेख