मिशेल रॉबर्ट्स, हेल्थ ए़डिटर, बीबीसी न्यूज़ ऑनलाइन
चीन में वैज्ञानिकों ने फ़्लू के एक ऐसे नए स्ट्रेन की पहचान की है जिसमें महामारी का स्वरूप लेने की क्षमता है।
फ़िलहाल उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़, ये स्ट्रेन सुअरों में होता है लेकिन ये इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है।
शोधार्थी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ये वायरस अपना स्वरूप बदल सकता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बेहद आसानी से फैल सकता है और एक महामारी का रूप ले सकता है।
वे कहते हैं कि इस वायरस में वे सभी लक्षण हैं जो बताते हैं कि ये इंसानों को संक्रमित कर सकता है। इस वजह से इस वायरस पर नज़र रखना ज़रूरी है।
चूंकि ये एक नया वायरस है, ऐसे में लोगों में इसके प्रति कम या बिलकुल रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होगी।
महामारी का ख़तरा
जब दुनिया भर के विशेषज्ञ कोरोना वायरस को ख़त्म करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। तब भी शीर्ष रोग विशेषज्ञ इंफ़्लूएंजा के नए और बुरे स्ट्रेन को लेकर सचेत बने हुए हैं।
साल 2009 में सामने आया स्वाइन फ़्लू आउटब्रेक उतना ख़तरनाक नहीं था जितना लोगों ने सोचा था क्योंकि वह वायरस पहले भी सामने आ चुके कई वायरसों जैसा ही था। और इस वजह से लोगों में उस वायरस से संघर्ष करने की क्षमता थी
उस वायरस का नाम A/H1N1pdm09 था जिसकी वैक्सीन अब वार्षिक फ़्लू वैक्सीन के तहत दी जाती है ताकि लोग सुरक्षित रहें।
चीन में जिस वायरस की पहचान की गई है, वह 2009 के स्वाइन फ़्लू जैसा ही है लेकिन कुछ नए बदलावों के साथ।
अब तक इस वायरस से कोई ख़तरा पैदा नहीं हुआ है लेकिन प्रोफ़ेसर किन-चाओ चेंग और उनके साथी मानते हैं कि इस पर नज़र रखी जानी चाहिए।
वैज्ञानिक मानते हैं कि G4 EA H1N1 नाम का ये वायरस इंसानी श्वासनली में पनपने के साथ साथ अपनी संख्या में वृद्धि भी कर सकता है। उन्होंने चीन के सुअर उद्योग में काम करने वाले लोगों में संक्रमण के सबूत देखे हैं।
वर्तमान फ़्लू वैक्सीन संक्रमित व्यक्ति को इस वायरस से बचाने में सक्षम नहीं हैं। हालाँकि, अगर ज़रूरत पड़ती है तो उन्हें इसके लिए तैयार किया जा सकता है।
ब्रिटेन की नौटिंघम यूनिवर्सिटी में काम करने वाले प्रोफ़ेसर किन - चो चेंग ने बीबीसी को बताया, "फ़िलहाल, कोरोना वायरस की वजह से हमारा ध्यान कहीं और है और होना भी चाहिए। लेकिन हमें कभी भी नए ख़तरनाक वायरसों से नज़रें नहीं हटानी चाहिए"
हालाँकि, ये वायरस तात्कालिक समस्या नहीं है लेकिन वे कहते हैं कि हमें इस वायरस को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंस में वैज्ञानिकों ने लिखा है कि सुअरों और उनके आसपास काम कर रहे लोगों में वायरस पर नज़र रखे जाने की व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज वेटरनेरी मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर जेम्स वुड्स कहते हैं कि ये काम ऐसा है जो हमें ये याद दिलाता रहता है कि हमारे सामने नए पेथोजेन्स आने का जोख़िम लगातार बना रहता है। और पालतु पशुओं जिनकी जंगली जानवरों की अपेक्षा इंसानों से काफ़ी नज़दीकी है, महामारी लाने वाले वायरसों के स्रोत बन सकते हैं।