'उस आदमी ने बंदूक मेरे सिर पर रख दी'

Webdunia
मंगलवार, 13 दिसंबर 2016 (14:47 IST)
- सुशांत मोहन (मुंबई)

"मंच थोड़ी ऊंचाई पर था और हम स्कर्ट पहन कर डांस कर रहे थे कि तभी कुछ लोग नीचे से हमारी तस्वीरें खींचने लगे, हमने विरोध करना चाहा लेकिन विरोध करने से पेमेंट कटने का डर रहता है।" बैंगलुरु की रहने वाली डांसर-कोरियोग्राफ़र प्रीता परेरा बताती हैं स्टेज पर परफ़ॉर्म करने वाले कलाकारों को अपने काम के दौरान जिन तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है वो किसी को भी परेशान कर देने के लिए काफ़ी हैं।
हाल ही में पंजाब के भटिंडा में एक शादी समारोह के दौरान चली गोली लगने से शादी में आई एक डांसर की मौत हो गई, यह डांसर गर्भवती थी और ऑर्केस्ट्रा ग्रुप में निजी समारोहों में नाचती थी। लेकिन इस तरह एक आर्टिस्ट की एक शादी में गोली लगने से मौत हो जाना अपने आप में कोई पहली घटना नहीं है। देश के अलग-अलग शहरों में स्टेज पर कार्यक्रम पेश करने वालों से बात करने से पता लगता है कि ये कलाकार कितनी मुश्किल परिस्थितियों में काम कर रहे हैं।
 
प्रीता परेरा बीते 18 सालों से स्टेज डांस का ग्रुप चलाती हैं और वो बताती हैं कि पैसा दे देने के बाद लोग डांसर्स को अपनी प्रॉपर्टी मान लेते हैं, "डांसर्स या लाइव कलाकार की सबसे बड़ी ज़रूरत होती है 'ग्रीन रूम' जहां वो कपड़े बदल सकें, मेकअप कर सकें लेकिन यहां पैसे दे देने के बाद क्लाइंट को यह ख़्याल ही नहीं आता कि आने वाली लड़कियां कपड़े कहां बदलेंगी।"
 
प्रीता बताती हैं, "हमें अक्सर टॉयलेट में जाकर या किसी पर्दे के पीछे जाकर कपड़े बदलने को कह दिया जाता है। ऑर्गनाइज़र या क्लाइंट से इसकी शिकायत करने पर वो एडजस्ट करने की बात कह देते हैं। लेकिन अक्सर ऐसे मौकों पर अश्लील तस्वीरें खींच ली जाती हैं, क्या किसी डांसर को इससे भी एडजस्ट कर लेना चाहिए?"
 
प्रीता बताती हैं कि चाहें शादियों में परफ़ॉर्म करना हो या किसी कॉर्पोरेट पार्टी में, महिला परफ़ॉर्मर्स को हर जगह कोई न कोई समस्या झेलनी पड़ती है। प्रीता बताती हैं, "उत्तर भारत में शराब पीकर गोली चल जाना, स्टेज पर किसी का चढ़ आना, बदतमीज़ी या छेड़छाड़ आम बात है, वहीं दक्षिण या पश्चिमी भारत में लोग आपको रिकॉर्ड करने की, चेंजिग रूम में झांकने की कोशिश करते हैं।"
दिल्ली की शीना 10 से ज़्यादा सालों से स्टेज पर परफ़ॉर्म कर रही हैं और इस काम की शुरुआत उन्होंने अपने घर को आर्थिक संकट से निकालने के लिए की थी, "क्लाइंट भूल जाते हैं कि हम भी इंसान है, एक बार पैसे दे दिए तो वो हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं।"

वो याद करते हुए बताती हैं, "हम एक शादी में परफ़ॉर्म कर रहे थे और दूल्हे के नज़दीकी चाचा या ताऊ ने ज़्यादा शराब पी ली थी, वो स्टेज़ पर चढ़ आए और मुझे और मेरे साथियों को छूने लगे। हमने जब इसकी शिकायत की तो शादी ऑर्गनाइज़ करने वाली फ़ैमिली का कहना था कि वो हमारे ख़ास हैं, थोड़ा एडजस्ट कर लो।"
 
शीना कहती हैं, "यही एडजस्ट करना ही आपको मुश्किल में डाल सकता है क्योंकि बदतमीज़ी करते आदमी को आपने नहीं रोका तो उसकी हिम्मत और बढ़ जाती है। मैं ऐसे मामलों में तुरंत पुलिस को बुला लेती हूं।"
 
पंजाब की घटना की कड़ी निंदा करते हुए वो कहती हैं, "मैं इस ख़बर से दुखी हूं लेकिन हैरान नहीं हूं क्योंकि यहां तो एक डांसर की मौत हुई है, कुछ साल पहले मैं अपने ग्रुप के साथ इटावा की एक शादी में गई थी, हमने देखा कि वहां कुछ लोग बंदूकें लाए थे और थोड़ी ही देर बाद वे गोलियां चलाने लगे। एक गोली दूल्हे को जा लगी और वो वहीं ढेर हो गया।"
 
शीना कहती हैं कि भारत में शराब पी लेने के बाद लोग क्या कुछ नहीं करते, वो यह भी भूल जाते हैं कि चलती हुई गोलियों से किसी की जान भी जा सकती है, "उस शादी के बाद मैंने कभी भी ऐसे किसी कार्यक्रम में परफ़ॉर्म नहीं किया जहां मैंने बंदूक देख ली। मेरा एक 10 साल का बेटा है और मेरे पति और मैं मिल कर घर चलाते हैं ऐसे में किसी शराबी या दबंग के लिए अपने बच्चे या अपने परिवार का भविष्य ख़तरे में नहीं डाल सकती।"
अगर इन महिलाओं की माने तो निजी कार्यक्रमों में लोगों का आपे से बाहर आ जाना या अश्लील हो जाना एक आम समस्या है और इससे सिर्फ़ महिलाओं को ही दिक्क़त नहीं होती पुरुषों को भी दिक्क़़तों का सामना करना पड़ता है।
 
26 वर्षीय भुवन, ग्वालियर से हैं और प्राइवेट पार्टीज़ में मंच संचालन का काम करते हैं, वो करनाल की एक शादी की बात याद करते हुए बताते हैं "मैं और मेरी सहयोगी एंकर एक बड़ी शादी को होस्ट कर रहे थे, वहां आए मेहमानों के लिए एक के बाद एक मनोरंजन के कार्यक्रम हो रहे थे और एक रूसी लड़कियों का समूह अपनी परफ़ॉर्मेंस कर स्टेज से उतरा ही था कि एक नशे में धुत आदमी हमसे रूसी लड़कियों को दोबारा बुलाने की ज़िद्द करने लगा।"
 
वो याद करते हैं, "हमने उसे समझाया कि वो कलाकार दोबारा नहीं आ सकते तो उस आदमी ने बंदूक निकाल कर मेरे सर पर रख दी। वो या तो रूसी कलाकारों को बुलाना चाहता था या फिर मेरी सहयोगी को कुछ आपत्तिजनक करने के लिए कह रहा था।"
 
भुवन कहते हैं, "हम बेहद डर गए, मेरी सहयोगी रोने लगी और वो आदमी बंदूक़ को हवा में लहराने लगा उस दिन मुझे एहसास हुआ कि हम कितने ख़तरनाक माहौल में काम कर रहे हैं और हमारी जान किसी भी पल जा सकती है। पंजाब की घटना के बाद तो यह डर और भी पुख़्ता हो जाता है।" लेकिन यह घटनाएं सिर्फ़ शादियों तक ही आम नहीं हैं, कॉरपोरेट कंपनियो द्वारा रखी जाने वाली पार्टियों में भले ही पढ़े लिख तबक़े के मर्द आते हैं लेकिन वहां भी इस तरह कि घटनाएं आम होती हैं।
प्रीता बताती हैं, "मैं अब निजी पार्टियों या शादियों में नहीं जाती लेकिन मेरे करियर के शुरुआती दिनों में एक टेलिकॉम कंपनी (जो अब बंद हो गई है) के लाँच फ़ंक्शन में मुझे बुलाया गया। हमारा परफ़ॉर्मेंस हो गया और हम पेमेंट का इंतज़ार करने लगे इतने में कंपनी के मैनेजर, जो हमारे क्लाइंट भी थे, ने कहा कि पैसे तभी मिलेंगे जब तुम मेरे लिए अकेले नाचोगी।"
 
प्रीता बताती हैं कि अगर उस दिन उनके साथी वहां नहीं होते तो शायद वो उस रात वहां से वापिस नहीं आ सकती थीं। लाइव परफ़ॉर्मर्स के साथ में यह दिक्क़त आम है कि लोग उनसे अच्छे से पेश नहीं आते, शराब के नशे में धुत्त या दिखावे में बंदूक़ें चलाते लोग यह भूल जाते हैं कि ये महिलाएं भी किसी परिवार से आती हैं और यहां सिर्फ़ मनोरंजन के लिए हैं उपभोग के लिए नहीं।
 
शादी या पार्टियों में आने वाले कलाकारों के प्रति लोगों की मानसिकता का उदाहरण देते हुए भुवन कहते हैं, "लोग हमसे पूछते हैं कोई लड़की है आपके साथ? अगर है तो वो दिखती कैसी है? वो क्या कपड़े पहनेगी? तब मैं कड़े शब्दों में उनसे कहता हूं कि वो क्या पहनेगी इससे ज़्यादा आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वो वहां क्या करेगी।"
 
प्रीता कहती हैं, "जो सवाल या ट्रीटमेंट हमारे साथ किया जाता है वो कभी एक सिलेब के साथ कोई कर के दिखाए, हमारी ज़रूरत है इसलिए हम 5000 रुपये के लिए भी कहीं पर नाचने जाते हैं और लोग इस ज़रूरत का ही फ़ायदा उठाने की कोशिश करते हैं।"
 
इन सभी कलाकारों का मानना है कि सिर्फ़ बंदूक या शराब ही एक ख़तरा नहीं है, लोगों की मानसिकता भी एक बड़ी समस्या है। किसी सुंदर लड़की या टाइट जींस या तैयार होकर आई लड़की को लोग 'चालू' मान लेते हैं ऐसे में अपनी सुरक्षा को लेकर वो चिंतित तो हैं लेकिन उन्हें इसका रास्ता नहीं सूझता।
 
25 वर्षीया हनी जो दिल्ली में विभिन्न मॉल और कॉलेजों में होने वाले फ़ेस्ट या समारोहों में लोगों को गेम खिलवाती हैं, बताती हैं, "नोएडा के एक कॉलेज में अचानक एक लड़कों का ग्रुप मेरी तरफ़ अश्लील और भद्दे इशारे करने लगा लेकिन हमारे ऑर्गनाइज़र ने कहा कि ऑडियंस को बुरा नहीं लगना चाहिए, तुम स्टेज पर रहो। उन लड़को को किसी ने नहीं रोका, वहां एक पूरा हुजूम था लेकिन किसी ने उन्हें नहीं रोका ऐसे में हम कैसे सुरक्षित महसूस करें।"
 
शीना कहती हैं, "मेरे इवेंट में मैं अपने परिवार के किसी सदस्य को ले जाती हूं और कई बार अगर मुझे देर होने लगती है तो तुरंत मेरे पति वहां पहुंच जाते हैं क्योंकि एक बार किसी मुसीबत में फ़ंस गए तो तुरंत तो आपको बचाने कोई नहीं आएगा।" पंजाब की घटना के बाद से यह सभी कलाकार डरे हुए हैं लेकिन आर्थिक मज़बूरियों के चलते काम छोड़ नहीं सकते।
 
प्रीता कहती हैं, "अगर 4 महीने की गर्भवती कोई लड़की किसी शादी में कुछ शराब पिए लोगों के सामने नाच रही है तो यक़ीन मानिए उसकी कुछ मजबूरियां रही होंगी। जितना मैं जानती हूं उस लड़की को उस दिन के लिए 3000 रुपये मिल रहे होंगे, क्या 3000 रुपये के लिए आए आदमी की जान की कीमत नहीं है?" स्टेज पर परफ़ॉर्म करने वाले कलाकारों का कोई संगठन नहीं होने के कारण इन कलाकारों के हितों की या सुरक्षा की बात करने वाली कोई संस्था भी नहीं है।
 
भुवन कहते हैं, "मुंबई में जिस तरह फ़िल्मों में काम करने के लिए आर्टिस्ट कार्ड होना ज़रुरी है वैसे ही लाइव कलाकारों के लिए भी कुछ व्यवस्था होनी चाहिए वर्ना छोटे शहरों में चलने वाली गोलियों से कोई न कोई मरता रहेगा, महिला कलाकारों का चंद पैसों के लिए शोषण होगा। इसे रुकना ही चाहिए।"
 
अधिकारियों से की गई बातचीत में सिर्फ़ यह बात सामने आई की क़ानूनन शादी या अन्य समारोहों में बंदूक़ें ले जाना प्रतिबंधित है लेकिन इसके अलावा इन कलाकारों की सुरक्षा के लिए कोई विशेष नियम नहीं बनाए गए और विडंबना देखिए की पंजाब में हुई घटना में भी मामला दुर्घटनावश गोली चलने से हुई मौत का दर्ज हुआ है, हत्या का नहीं।
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