नज़रिया: यूपी में क्या 'चवन्नी छाप' हो जाएगी कांग्रेस?

Webdunia
मंगलवार, 24 जनवरी 2017 (11:44 IST)
- मधुकर उपाध्याय (वरिष्ठ पत्रकार)
 
एक ज़माने में, आज़ादी की लड़ाई के समय, कांग्रेस का सदस्य बनने का शुल्क चार आना रखा गया था ताकि पार्टी में आने के इच्छुक लोग सदस्यता शुल्क की वजह से पीछे न हट जाएं। आम बोलचाल में ऐसे लोगों को 'चवन्नी बाबू' कहा जाता था। तब चार आने की क़ीमत थी और ऐसे लोगों का सम्मान भी। वक़्त बदला तो उसके साथ बहुत कुछ बदल गया। कांग्रेस ने आकर्षण खोया और वह एक बार फिर 'चवन्नी पार्टी' होने की ओर अग्रसर है। इस बार बिलकुल नए अर्थ में।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन को इसके उदाहरण की तरह देखा जा सकता है। कांग्रेस का मानना है कि यह समझौता राज्य में भारतीय जनता पार्टी को आगे बढ़ने से रोकने में कामयाब होगा और इससे बहुजन समाज पार्टी की सत्ता में वापसी 'असंभव' हो जाएगी, लेकिन यह तस्वीर का एक पहलू है।
 
इस पहलू के तरफ़दार समाजवादी पार्टी के साथ समझौते को 'सोची समझी रणनीति' क़रार देते हैं। उनके मुताबिक़ यह क़दम न उठाने पर राज्य की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका इतनी कम हो जाती कि भविष्य में उसकी संभावनाओं पर असर पड़ता। यह भी कि इसे 2019 के लोकसभा चुनावों की दिशा में 'ठोस क़दम' के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य भाजपा को रोकना है।
 
कांग्रेस में ही एक बड़ा वर्ग इन तर्कों से सहमत नहीं है। उसका कहना है कि गठबंधन से पार्टी की सीटों की संख्या मामूली बढ़ सकती है लेकिन आगे चलकर यह कांग्रेस के लिए बहुत नुक़सानदेह होगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'इससे हमने अपनी हैसियत खुद चवन्नी की बना ली। मान लिया है कि कांग्रेस की हैसियत इतनी ही है।'
 
सीधा गणित भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के 'चवन्नी' होने की पुष्टि करता है। गठबंधन में काफ़ी उठापटक के बाद राज्य की 403 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के हिस्से 105 सीटें आई हैं। यानी कि पच्चीस प्रतिशत से थोड़ा अधिक। इसे ही 'चवन्नी' कहा जा रहा है।
 
लोकसभा चुनाव अभी दो साल दूर हैं लेकिन अपनी हैसियत कम करने के बाद उसे ऊपर उठाना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा। हालांकि यह दूर की बात है। अगर समाजवादी पार्टी के साथ ऐसा ही समझौता तब भी हुआ तो कांग्रेस के हिस्से की 'चवन्नी' में लोकसभा की 20 सीटें ही आएंगी।
भले ही वे समाजवादी पार्टी के आधिकारिक पोस्टर न हों, वाराणसी में बेनियाबाग़ और दूसरे कई इलाक़ों में लगे पोस्टर-होर्डिंग इसी तरफ इशारा करते हैं। पोस्टरों में कुरुक्षेत्र के असल योद्धा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं। राहुल गांधी की भूमिका रथ हांकने वाले की है। और तो और, पोस्टर में कांग्रेस का 'पंजा' ग़ायब है, वहां सिर्फ 'साइकिल' है।
 
कांग्रेस महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद ने 1990 की तरह इस बार भी गठबंधन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कहकर कि उत्तर प्रदेश में 'गठबंधन का नेतृत्व अखिलेश यादव करेंगे,' उन्होंने रही-सही अस्पष्टता भी ख़त्म कर दी।
 
आज़ाद ने इस ओर भी संकेत किया कि गठबंधन का टूटते-टूटते बचना प्रियंका गांधी की वजह से हुआ। आख़िरी वक़्त में उन्होंने हस्तक्षेप किया। पार्टी का एक वर्ग इसे कांग्रेस राजनीति में प्रियंका की बढ़ती भूमिका की तरह देखता है। सवाल यह है कि अगर राजनीति में प्रियंका की भूमिका बढ़ेगी तो राहुल की भूमिका का क्या होगा? और यह भी कि प्रियंका क्या अंततः इतनी कारगर होंगी कि कांग्रेस को 'चवन्नी' वाली मानसिकता से निकालकर दोबारा अपने पैरों पर खड़ा कर सकें?
 
पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में समाजवादी पार्टी से समझौते का सवाल आया तो इसके पक्ष-विपक्ष में राय खुलकर सामने आई। बैठक में सभी शीर्ष नेता मौजूद थे। गठबंधन के समर्थकों ने जो कहा सो कहा, विरोध में यहां तक कहा गया कि ऐसा क़दम 'कांग्रेस के अस्थि विसर्जन की तैयारी' साबित होगा। इसे सुनकर अनसुना कर दिया गया। तात्कालिकता दूरगामी भविष्य के सामने टिक नहीं पाई।
Show comments

PM मोदी को पसंद आया खुद का डांस, एक्स पर किया कमेंट

राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लिखा खुला पत्र, पढ़िए क्या सलाह दी

PM मोदी ने संविधान को बदलने और खत्म करने का मन बना लिया : राहुल गांधी

LG ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ की NIA जांच की सिफारिश, खालिस्तानी संगठन से पैसा लेने का आरोप

Lok Sabha Elections 2024: क्या वाकई 2 चरणों में कम हुई वोटिंग, SBI की Research रिपोर्ट में सामने आया सच

Realme के 2 सस्ते स्मार्टफोन, मचाने आए तहलका

AI स्मार्टफोन हुआ लॉन्च, इलेक्ट्रिक कार को कर सकेंगे कंट्रोल, जानिए क्या हैं फीचर्स

Infinix Note 40 Pro 5G : मैग्नेटिक चार्जिंग सपोर्ट वाला इंफीनिक्स का पहला Android फोन, जानिए कितनी है कीमत

27999 की कीमत में कितना फायदेमंद Motorola Edge 20 Pro 5G

Realme 12X 5G : अब तक का सबसे सस्ता 5G स्मार्टफोन भारत में हुआ लॉन्च

अगला लेख