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जिन कामों के लिए सांपों के ज़हर हैं रामबाण

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, शनिवार, 20 अक्टूबर 2018 (12:00 IST)
- अल्फी शॉ (बीबीसी अर्थ) 
 
ज़हर जान ले लेता है। हम सब ये बात जानते हैं। इसके ख़तरों से वाकिफ़ हैं। पर, अगर हम ये कहें कि ज़हर से जान बचाई जा सकती है, तो क्या आप यक़ीन करेंगे ?
 
ज़हर के जानकार डॉक्टर ज़ोल्टन टकास कहते हैं कि, 'ज़हर दुनिया में इकलौती क़ुदरती चीज़ है, जो विकास की प्रक्रिया से उपजी है जान लेने के लिए।' ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में मेडिसिन एक्सपर्ट डेविड वॉरेल ने 2015 में लिखा था कि दुनिया भर में हर साल दो लाख से ज़्यादा लोग सांप के काटने से मर जाते हैं। 
 
इस ज़हर की काट खोजने का काम जारी है। ये लंबी प्रक्रिया है। मज़े की बात ये है कि ज़हर की काट तलाशने में जुटे वैज्ञानिकों को इस ज़हर में ही कई बीमारियों का तोड़ मिलता दिखने लगा। बल्कि, दुनिया में ज़हर से तैयार कई दवाएं तो पहले से ही बिक रही हैं। दुनिया में कम से कम चार ऐसे जीव हैं, जिनका ज़हर इंसान के काम आ रहा है।
 
सांप
दुनिया में सांपों की जितनी नस्लें हैं, उतने ही तरह के ज़हर। किसी के काटने से तुरंत मौत हो जाती है। तो, किसी का ज़हर तड़पा कर मारता है। ज़्यादातर सांप अपने विषैले दांतों से ज़हरबुझा हमला करते हैं। जब शिकार के बदन पर सांप के विषैले दांत घुस जाते हैं, तो ज़हर सीधे शिकार के ख़ून में समा जाता है।
 
कुछेक सांप ऐसे भी होते हैं, जो थूक कर ज़हर फेंकते हैं। अफ्रीकी देश मोज़ांबिक में पाया जाने वाला स्पिटिंग कोब्रा ऐसा ही सांप है। अब सांप के ज़हर की इतनी वेराइटी है, तो ज़ाहिर है, उनके फ़ायदे भी कई तरह के होंगे। सांप के ज़हर से ऐसी दवाएं बनाई जाती हैं, जो दिल की बीमारियों से लड़ने में काम आती हैं।
 
टकास कहते हैं कि। 'सांप के ज़हर का दवाएं बनाने में इस्तेमाल, दूसरे क़ुदरती ज़हर के इस्तेमाल का रास्ता दिखाता है। ख़ास तौर से हाई ब्लड प्रेशर से लड़ने में सांप के ज़हर से बनी दवाएं काफ़ी इस्तेमाल हो रही हैं। दिल के दौरे और हार्ट फेल होने की स्थिति में भी सांप के ज़हर से बनी दवाएं बहुत कारगर हैं।'
 
टकास बताते हैं कि, 'जराराका पिट वाइपर सांप के ज़हर से बनी दवाओं ने जितने इंसानों की जानें बचाई हैं, उतनी किसी और जानवर ने नहीं।'
 
कोमोडो ड्रैगन
इस ड्रैगन की ज़हर की ग्रंथि, सांप के मुक़ाबले दूसरी तरह से काम करती है। ये जानवर अपनी तमाम ग्रंथियों से ज़हर खींचकर अपने दांतों से शिकार के शरीर में घुसा देता है। इसका ज़हर जब किसी शिकार के ख़ून में मिलता है, तो ख़ून जमता नहीं है। वो पूरे शरीर में फ़ैल जाता है।
 
यही वजह है कि कोमोडो ड्रैगन के शिकार के शरीर से लगातार ख़ून बहता रहता है। वैसे तो ये ख़तरनाक शिकारी है। मगर, इसके ज़हर में जो ख़ून को न जमने देने वाला गुण है, उसका फ़ायदा दवाएं बनाने में लिया जाता है। जब दिल के दौरे पड़ते हैं। या फेफड़ों में ऐंठन होती है, तो हमारे शरीर में ख़ून रुकने लगता है। कोमोडो ड्रैगन के ज़हर की मदद से इससे राहत देने वाली दवा तैयार होती है, ताकि ख़ून के थक्के न बनें।
 
बिच्छू
दुनिया में हर साल कम से कम 12 लाख लोग बिच्छू के डंक के शिकार होते हैं। बिच्छू के डंक मारने से हर साल तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत होती है। सबसे ख़तरनाक बिच्छू डेथस्टाकर स्कॉर्पियन कहा जाता है।
 
लेकिन, ये कैंसर के इलाज में अहम रोल निभा सकता है। इसके ख़तरनाक ज़हर में क्लोरोटॉक्सिन नाम के ज़हरीला तत्व होता है। इससे कैंसर का पता लगाया जा सकता है। और इससे कैंसर के ट्यूमर ठीक किए जा सकते हैं।
 
छछूंदर
यूं तो स्तनधारी जानवर ज़हरीले नहीं होते, लेकिन छछूंदर की कुछ नस्लों में ज़हर होता है। वैसे, ये ज़हर भी बहुत ख़तरनाक नहीं होता। इससे कोई इंसान मरता तो नहीं। मगर, छछूंदर के ज़हर से दर्द और सूजन आ जाती है।
 
भले ही इसके ज़हर की बहुत चर्चा नहीं होती। मगर, वैज्ञानिकों ने छछूंदर के ज़हर में दिलचस्पी दिखाई है। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि छछूंदर के ज़हर से कैंसर का इलाज किया जा सकता है क्या?
 
जानकार कहते हैं कि ज़हर, इंसान के शरीर में जिन केमिकल को निशाना बनाता है, वो ट्यूमर में पाए जाते हैं। इसलिए ज़हर की इस ख़ूबी का फ़ायदा उठाकर ट्यूमर को ख़त्म करने वाली दवाएं बनाने में करने की कोशिश हो रही है। ऐसा हुआ, तो ज़हर से जान नहीं जाएगी। तब ज़हर जीवनदान देगा।
 

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