बीबीसी तमिल सेवा, नई दिल्ली
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने पोंगल पर्व के लिए तैयार निमंत्रण पत्र में तमिलनाडु के नाम में फेरबदल करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। रवि ने हाल ही में तमिलनाडु का नाम बदलकर तमिझगम करने की वकालत की थी। उनका तर्क था कि नाडु शब्द का अर्थ 'राष्ट्र' से है जो अलगाववाद की ओर इशारा करता है।
बीते मंगलवार को राज्यपाल आर एन रवि अपने तर्क को अमल में लेकर आए और निमंत्रण पत्र पर ख़ुद के लिए 'तमिझागा के राज्यपाल' शब्द का इस्तेमाल किया।
सामान्य रूप से तमिलनाडु के राज्यपाल के लिए आधिकारिक निमंत्रण पत्रों में 'तमिझनाडु आलुनार' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। राज्यपाल के इस क़दम के बाद तमिलनाडु की स्टालिन सरकार से उनकी ठन गई है।
डीएमके और उसके सहयोगियों ने राज्यपाल के इस रुख़ की आलोचना की है। आख़िर इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई और तमिलनाडु शब्द को लेकर विशेषज्ञों की क्या राय है, आइए जानते हैं।
विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
पिछले दिनों तमिलनडु गवर्नर हाउस में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। गवर्नर ने ये कार्यक्रम काशी तमिल संगमम् के आयोजकों को सम्मानित करने के लिए किया था।
इस कार्यक्रम में काशी तमिल संगमम् के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की तारीफ़ करते हुए गवर्नर आरएन रवि ने कहा, ''काशी तमिल संगमम् प्रधानमंत्री के दिमाग़ की उपज था। ये कार्यक्रम बहुत कम समय में आयोजित किया गया।''
उन्होंने कहा,'' तमिलनाडु में राजनीतिक हालात आजकल कुछ ऐसे ही हैं। जहां भी मौका मिलता है वे कहते हैं कि वे द्रविड़ हैं। लेकिन पूरे भारत में अगर तमिलों को लेकर कोई कार्यक्रम या प्रोजेक्ट हो तो तमिलनाडु इसका विरोध करता दिखता है।''
''दरअसल तमिलनाडु कहने से ज़्यादा उपयुक्त तमिझगम कहना है। ये राज्य ब्रिटिश शासन के दौरान गठित हुआ था। तमिझगम भारत का हिस्सा है। तमिझगम भारत की पहचान है। भारत अगले 25 साल में पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा।''
लेकिन राज्यपाल के भाषण की आलोचना करते हुए डीएमके वरिष्ठ नेता टी आर बालू ने कहा,'' राज्यपाल लगातार विवादास्पद बयान दे रहे हैं। उनकी गतिविधियों का एकमात्र लक्ष्य तमिलनाडु को बांटना और यहां आंदोलन और अशांति पैदा करवाना है। लगता है कि तमिलनाडु, तमिल लोग और तमिल भाषा राज्यपाल को बड़ी कड़वी लगती है। इसलिए उन्हें ही इनसे दूर रहने का फ़ैसला करना होगा। ''
लेखक और मदुरै के सांसद एस. वेंकटेशन ने ट्वीट कर लिखा है, ''गवर्नर वो अवधारणाएं लेकर आ रहे हैं जिसे त्यागी संगरालिनगर, अरिगनर अन्ना और कॉमरेड भूपेश गुप्ता पहले ही ख़त्म कर चुके हैं। भले ही ये पुरानी बात हो, लेकिन अभी भी ये लौट-लौट कर रही आ रही है।''
गवर्नर आरएन रवि ने हाल के दिनों में तमिल, तमिलनाडु, द्रविड़ विचारधारा, द्रविड़ आंदोलन और सनातन धर्म पर विवादास्पद बयान दिए हैं।
तमिलनाडु शब्द कितना पुराना है?
तमिल राष्ट्रवादी कार्यकर्ता त्यागु कहते हैं कि तमिलनाडु शब्द भारत शब्द के प्रचलित होने से पहले से प्रचलन में रहा है।
वो बताते हैं, ''तमिलनाडु शब्द भारत शब्द के प्रचलन में आने से सदियों पहले से इस्तेमाल हो रहा है। प्राचीन ग्रंथ 'शिलप्पदिकारम' में कवि इलांगो आदिगल ने चेर राजा सेंगुत्तुवन की यह कह कर प्रशस्ति की है, 'आप ही हैं जिन्होंने गर्जना करने वाले समुद्रों से घिरे तमिलनाडु को बनाया है। तमिलनाडु शब्द और ग्रंथ 'परिपादल' में भी आया है।''
उन्होंने कहा, ''तमिलनाडु शब्द के इस्तेमाल की मांग लंबे समय से की जाती रही है। कांग्रेस पार्टी तीन शब्द इस्तेमाल करती थी- मद्रास, मदारास और चेन्नई। जब तमिलनाडु शब्द इस्तेमाल करने की मांग हुई तो कामराज ने कहा कि दूसरे देश के लोग इसे नहीं समझ पाएंगे।''
वो बताते हैं, ''उन दिनों यहां से एक क़िस्म के कपड़े का निर्यात होता था। इसे 'ब्लीडिंग मद्रास' कहा जाता था। इसलिए विदेशी लोग सिर्फ़ मद्रास का नाम जानते थे। इसी का हवाला देते हुए कामराज ने कहा था कि विदेशी इसे कैसे समझेंगे।''
त्यागु ने बताया, ''आयात-निर्यात जारी रखने के लिए हमें मद्रास शब्द को बरक़रार रखना होगा। उन्होंने चेन्नई शब्द के इस्तेमाल का विकल्प रखा।''
उन्होंने कहा, ''इसके बाद डीएमके, कम्युनिस्ट पार्टी और मा पो सिवगनम के तमिरासु कलागम जैसी पार्टियां राज्य का नाम तमिलनाडु रखने पर ज़ोर देती रहीं। शंकरनार कांग्रेस नेता थे, लेकिन उन्होंने मद्रास का नाम तमिलनाडु रखने के लिए 72 दिनों तक उपवास कर जान दे दी थी। उस वक्त भक्तवत्सलम ने विधानसभा में ये सवाल उठाया था कि अगर तमिल 'नाडु' (देश) हुआ तो भारत को क्या कहा जाए?
त्यागु ने बताया, ''जब डीएमके पार्टी के सी एन अन्नादुरई 1967 में मुख्यमंत्री बने तो मद्रास का नाम तमिलनाडु रखने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया। जब ये प्रस्ताव पारित हो गया तो हर किसी ने नारा लगाया, ' जय तमिलनाडु'। संसद में इस प्रस्ताव को पारित होने में एक साल लगा।''
''इससे पहले पश्चिम बंगाल सीपीआई के नेता भूपेश गुप्ता ने एक प्राइवेट बिल पेश किया था। लेकिन कांग्रेस ने वोटिंग के ज़रिये इस बिल को गिरा दिया था।
भारत के ख़िलाफ़ नहीं
प्रोफ़ेसर करुणानाथन कहते हैं कि किसी ख़ास संस्कृति वाले नस्लीय समूह में उसका अपना एक राष्ट्रवाद होना स्वाभाविक है।
वो कहते हैं, ''तमिल भाषा भारत के बनने से पहले से अस्तित्व में है। तमिल की एक अपनी एक संस्कृति और विरासत है। इसलिए स्वाभाविक है कि इसके साथ एक राष्ट्रवाद जुड़ा है। यहां तक कि जब सोवियत संघ अस्तित्व में था तो उसके अलग-अलग राज्यों के पीछे 'तान' लगा था, जैसे कज़ाकिस्तान। ये तान भी तमिलनाडु के नाडु जैसा है।''
वो कहते हैं, ''वे लोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे शब्द चाहते हैं। प्रदेश शब्द का मतलब है किसी देश का प्रांत। एक देश की अवधारणा में ऐसा ही होता है। भारत राज्यों का एक संघ है और हरेक की अपनी विशेषता है। वे इसी विशिष्टता को ख़त्म करना चाहते हैं। ''
इतिहास के प्रोफ़ेसर करुणानाथन कहते हैं, ''उन्हें 'नाडु' से कोई दिक़्क़त नहीं है। उन्हें तमिलनाडु से दिक़्क़त है। उन लोगों ने ख़ुद कोंगु नाडु और कोंगु देशम जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू किया था। क्या ये भारत की एकता के ख़िलाफ़ नहीं है। जो लोग इस शब्द को ख़त्म करना चाहते हैं वो ये बताएं कि इसमें क्या ग़लत है''
वो कहते हैं,''इसी गवर्नर ने सनातन धर्म और धर्म के बारे में बयान दिया। उनके इस तरह के बयान संविधान के ख़िलाफ़ हैं। भारत कभी भी एक देश नहीं रहा है। वो जो कह रहे हैं वो पूरी तरह से झूठी बात है। एक गवर्नर से इस तरह के झूठ की अपेक्षा नहीं की जाती।''
त्यागु का कहना है कि तमिलनाडु नाम के लिए बड़े पैमाने पर लोगों ने आंदोलन किया था। बलिदान दिया था। वह कहते हैं, ''गवर्नर ख़ुद तमिलनाडु के गवर्नर के तौर पर वेतन ले ले रहे हैं। अगर वो अपने सिद्धांतों में इतना ही विश्वास करते हैं तो ये वेतन लेना छोड़ दें।''