सेक्स से होने वाली चार नई ख़तरनाक बीमारियां

Webdunia
बुधवार, 6 फ़रवरी 2019 (11:20 IST)
आए दिन दुनिया में नई-नई बीमारियां सामने आती हैं और यौन संक्रमण से होने वाली बीमारियां (एसटीआई) कोई अपवाद नहीं हैं। ऐसे ही चार बैक्टीरियां के बारे में हम आपको बता रहे हैं जो लोगों के स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
 
 
नाइसेरिया मेनिन्जाइटिस
नाइसेरिया मेनिन्जाइटिस को मेनिन्गोकस के नाम से भी जानते हैं। ये बैक्टीरिया दिमाग़ और रीढ़ की हड्डियों को संक्रमित कर सकता है। लेकिन इससे कई ज़्यादा ये यूरोजेनिटल संक्रमण के लिए जाना जाता है।
 
70 के दशक का अध्ययन बताता है कि कैसे एक चिम्पैंज़ी के नाक और गले से होता हुआ ये बैक्टीरिया उसके जननांग तक जा पहुंचा और उसे यूथरल संक्रमण हुआ।
 
लगभग 5 से 10 फ़ीसदी नौजवानों में नाइसेरिया मेनिंजाइटिस बैक्टीरिया गले या नाक के माध्यम से पहुंचते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक ये संक्रमण एक शख्स से उनके पार्टनर में ओरल सेक्स और अन्य तरह के संपर्क से पहुंच सकता है।
 
कुल पांच तरह के एन। मेनिन्जाइटिस दुनिया भर में होने वाले यौन संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार हैं। हालांकि इस बैक्टीरिया के लिए दो वैक्सीन उपलब्ध हैं जिनकी मदद से इस बैक्टीरिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

 
माइकोप्लाज़मा जेनिटेलियम
माइकोप्लाज़मा जेनिटेलियम दुनिया के सबसे सूक्ष्म बैक्टीरिया में से एक है, लेकिन इससे होने वाले सेक्शुअल ट्रांसमिटेड संक्रमण दुनिया में बड़ी परेशानी का कारण बनता जा रहा है। इसे 1980 के दशक में पहचाना गया, इस बैक्टीरिया ने इस वक्त लगभग 1 फ़ीसदी से 2 फ़ीसदी लोगों को संक्रमित किया है। ख़ास कर ये युवा और वयस्कों में ज्यादा तेज़ी से फैलता है।
 
ये बैक्टीरिया महिलाओं की प्रजनन प्रणाली में पैल्विक सूजन का कारण बनता है। जिससे बांझपन, गर्भपात, समय से पहले प्रसव और यहां तक कि भ्रूण की मृत्यु तक हो सकती है।
 
कॉन्डोम का इस्तेमाल इस संक्रमण को पार्टनर तक पहुंचने से रोक सकता है। शोधकर्ताओं ने एम. जेनिटेलियम को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं खासकर एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।
 
 
शिगेला फ़्लेक्ज़ेनरी
इसे शिग्लोसिस के नाम से भी जानते हैं। ये इंसानी मल के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संपर्क में आने से फैलता है। इस संक्रमण के बाद पेट में तेज़ दर्द, डायरिया जैसी शिकायत होती है औ इसके इस तरह ये बैक्टीरिया अपना संक्रमण आगे तक फैलाता है।

 
वैज्ञानिकों का मानना है कि एस। फ़्लेक्ज़ेनरी मूल रूप से ओरल सेक्स और एनल सेक्स के जरिए फैलता है। दुनिया भर में इसके संक्रमण के मामले तेज़ी से सामने आ रहे हैं।

 
लिंफोंग्रानुलोमा वेनेरेउम (एलजीवी)
क्लैमाइडिया ट्रेकोमैटिस के असामान्य तनाव के कारण होने वाला यह एसटीआई (सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफ़ेक्शन), 'भयानक संक्रमण' का कारण बन सकता है।
 
एलजीवी के संक्रमण के कारण अस्थायी पिंपल, जननांग में अल्सर की परेशानी हो सकती है और फिर इसका बैक्टीरिया शरीर के लसिका तंत्र पर आक्रमण कर देता है। रेक्टल संक्रमण आंत से जुड़ी बीमारियां दे सकता है। मलाशय की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
 
पिछले एक दशक से एलजीवी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में तेजी से बढ़ता जा रहा है। खास तौर पर ये बीमारी बाईसेक्शुअल और गे लोगों में आम होती जा रही है।
 

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