- फैक्ट चेक टीम, बीबीसी न्यूज
सोशल मीडिया पर कुछ हथियारबंद लड़ाकों की एक तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि इन लड़ाकों के बीच में बैठा शख्स जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का लापता छात्र नजीब अहमद है।
जिन लोगों ने ये तस्वीर शेयर की है, उनका कहना है कि जेएनयू के छात्र नजीब अहमद तथाकथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट में शामिल हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जब #MainBhiChowkidar नाम के सोशल मीडिया कैंपेन की शुरुआत की थी तो पीएम मोदी से सबसे तीखा सवाल जेएनयू से लापता हुए छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने ही पूछा था।
उन्होंने ट्वीट कर पीएम मोदी से पूछा, “अगर आप चौकीदार हैं तो मेरा बेटा कहाँ है। एबीवीपी के आरोपी गिरफ्तार क्यों नहीं किए जा रहे हैं। मेरे बेटे की तलाश में देश की तीन टॉप एजेंसी विफल क्यों हो गई हैं?”
उनके इस ट्वीट के खबरों में आने के बाद दक्षिणपंथी रुझान वाले फेसबुक ग्रुप्स में, शेयर चैट और व्हॉट्सऐप पर एक पुरानी तस्वीर बहुत तेजी से शेयर की गई है जिसमें नजीब के होने का दावा किया जा रहा है।
बीबीसी के कई पाठकों ने भी व्हॉट्सऐप के जरिए ‘फैक्ट चेक टीम’ को यह तस्वीर और इससे जुड़ा एक संदेश भेजा है।
वायरल तस्वीर की पड़ताल
अपनी पड़ताल में हमने पाया है कि ये तस्वीर जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की नहीं हो सकती।
सरसरी तौर पर देखें तो नजीब अहमद और वायरल तस्वीर में दिखने वाले शख्स के चेहरे में बमुश्किल कोई समानताएँ हैं।
लेकिन वायरल तस्वीर से जुड़े तथ्य नजीब अहमद के इस तस्वीर में होने के सभी दावों को सिरे से खारिज कर देते हैं।
नजीब अहमद 14 अक्तूबर 2016 की रात में जेएनयू के हॉस्टल से लापता हुए थे। जबकि वायरल तस्वीर 7 मार्च 2015 की है।
यह तस्वीर इराक के अल-अलम शहर से सटे ताल कसीबा नामक कस्बे में खींची गई थी।
यह तस्वीर अंतरराष्ट्रीय
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के फोटोग्राफर ताहिर अल-सूडानी ने खींची थी।
समाचार एजेंसी के मुताबिक तस्वीर में दिख रहे हथियारबंद लोग इस्लामिक स्टेट के लड़ाके नहीं, बल्कि इराक सिक्योरिटी फोर्स की मदद करने वाले शिया लड़ाके हैं।
2 अप्रैल 2015 को इराकी बलों ने यह
आधिकारिक घोषणा की थी कि इराक के तिकरित शहर को आईएस के कब्जे से पूरी तरह मुक्त कर लिया गया है।
29 महीने से लापता नजीब अहमदकरीब दो साल चली खोजबीन और पड़ताल के बाद केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के जेएनयू से लापता हुए छात्र नजीब अहमद का
केस अक्तूबर 2018 में बंद कर दिया था।
उस समय नजीब की माँ फातिमा नफीस ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगी और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएँगी।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों का कहना था कि नजीब अहमद को खोजने की तमाम कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद सीबीआई ने केस बंद करने का फैसला किया था।
नजीब के लापता होने पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 365 के तहत मामला दर्ज किया था।
साल 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जाँच का आदेश दिया था।