सियासत में सादगी और ईमानदारी की मिसाल मनोहर पर्रिकर का लंबी बीमारी के बाद रविवार को निधन हो गया। इधर उनके निधन से पूरा देश गमगीन है और उधर उनके नाम से सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी खूब वायरल हो रही है। दावा है कि यह चिट्ठी बीमारी के वक्त अस्तपाल से खुद पर्रिकर ने लिखा थी। इस चिट्ठी में उन्होंने चिंतनशील और पश्चाताप वाली बातें लिखी हैं। इस चिट्ठी को पर्रिकर के निधन के बाद से फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप पर काफी शेयर किया जा रहा है।
क्या है सच?
जब हमने वायरल चिट्ठी की पड़ताल शुरू की, तो पता चला कि यह चिट्ठी पिछले साल भी वायरल हुई थी। तब ही कई फैक्ट चेकिंग साइट्स ने इसे फर्जी बताया था।
खुद गोवा के सीएमओ ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस चिट्ठी को फर्जी बताते हुए लिखा था- ‘यह देखा गया है कि सोशल मीडिया पर काफी सारे मैसेज छाए हुए हैं। जिसे सीएम द्वारा लिखा माना जा रहा है। इस तरह के सभी मैसेज प्रामाणिक नहीं हैं और शरारत भरे हैं। सीएम के संदेश सीधे उनके द्वारा या फिर उनके वेरिफाइड सोशल मीडिया हैंडल्स के जरिए ही दिया जाएगा’।
पार्रिकर की यह चिट्ठी 2011 में वायरल हुई एपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की फर्जी चिट्ठी जैसी ही है। दोनों चिट्ठियों में लिखी बातों में समानताएं-
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मौत के समय जिंदगी भर कमाया गया पैसा-नाम किसी काम का नहीं।
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लाइफ सर्पोटिंग मशीन की ग्रीन लाइट देखना।
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बीमारी के वक्त अस्पताल का बेड दुनिया का सबसे महंगा बेड।
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आप अपने लिए ड्राइवर, नौकर हायर कर सकते हो, लेकिन किसी को अपनी बीमारी के लिए हायर नहीं कर सकते।
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि मनोहर पर्रिकर के नाम से वायरल चिट्ठी झूठी है, इसे पर्रिकर ने नहीं लिखी है।
आपको बता दें कि मनोहर पर्रिकर लंबे समय से बीमार थे और पैनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे। पर्रिकर मार्च 2017 में रक्षा मंत्री का पद छोड़कर चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री बने थे।