पाकिस्तान के मौजूदा संकट का कौन ज़िम्मेदार- नेता, सत्ता या न्यायपालिका?

BBC Hindi
रविवार, 2 अप्रैल 2023 (09:21 IST)
फ़रहत जावेद, बीबीसी उर्दू डॉट कॉम, इस्लामाबाद
"सियासत के संकट ने जनता का बेड़ा ग़र्क़ कर दिया है।" ये शब्द रोज़ाना मेहनत-मज़दूरी करने वाले पाकिस्तान के किसी आम नागरिक के नहीं हैं जिनके लिए अब दो वक़्त का खाना जुटाना भी मुश्किल हो गया है। ये शब्द हैं पेशावर के एक बड़े कारोबारी अय्यूब ज़कोड़ी के हैं जो ज़कोड़ी ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के मालिक हैं।
 
यह सच्चाई है कि पाकिस्तान के मौजूदा आर्थिक हालात का असर देश के हर वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है। बिगड़ती अर्थव्यवस्था के लिए लोग देश के वर्तमान सियासी संकट को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन क्या नेता भी यह मानते हैं कि बिगड़ते हालातों के ज़िम्मेदार वह ख़ुद है? या इसके लिए सत्ता ख़ुद को ज़िम्मेदार ठहराती है?
 
ज़िम्मेदार कौन ?
ज़ाहिर तौर पर, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की ज़िम्मेदारी लेने को कोई भी तैयार नहीं है। कोई विरोधियों को इस समस्या की जड़ बताता है तो कोई समझता है कि यह सब सत्ता का किया-धरा है और कहीं-कहीं इशारों-इशारों में न्यायपालिका की बात भी की जा रही है।
 
इन तमाम परिस्थितियों के बीच अय्यूब ज़कोड़ी के शब्द सही लगते हैं कि 'जनता का बेड़ा ग़र्क़ हो गया है'। अय्यूब पेशावर में इंपोर्ट और एक्सपोर्ट का काम करते हैं।
 
उन्होंने बीबीसी को बताया कि आयात आधारित अर्थव्यवस्था होने के बावजूद इस वक़्त पाकिस्तान के पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार नहीं कि कच्चा माल ख़रीदा जा सके। उनके अनुसार अब रमज़ान के महीने के बाद स्थिति उनके हाथों से निकल जाएगी और नौबत यहां तक पहुंच जाएगी कि उन्हें अपने कर्मचारियों को हटाना पड़ेगा।
 
वो कहते हैं, "हमारा कच्चा माल इस महीने के आख़िर तक ख़त्म हो जाएगा। इसके बाद हमारे पास मटीरियल नहीं है। अब इसके बाद मज़दूरों को घर भेजेंगे या फिर सरकार का दरवाज़ा खटखटाएंगे।"
 
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान में मौजूदा राजनीतिक संकट की शुरुआत उस समय हुई जब पिछले साल इमरान ख़ान को संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा और उनकी सरकार को सत्ता से बाहर जाना पड़ा। तब से देश में प्रदर्शन, हंगामे और अविश्वास की स्थिति जारी है।
 
घरेलू ज़रूरत के सामान के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है
आर्थिक स्थिति की बात करें तो एक अमेरिकी डॉलर की क़ीमत बढ़कर 300 पाकिस्तानी रुपये के क़रीब हो गई है। देश में महंगाई दर में रिकॉर्ड इज़ाफ़ा हुआ है। मार्च 2023 में महंगाई की दर 46 फ़ीसदी तक पहुंच चुकी थी।
 
हालात इस मोड़ पर हैं कि आम लोग आटे के एक थैले के लिए कई-कई घंटे क़तारों में खड़े रहते हैं। रोटी के लिए लगी लंबी लाइनों में भगदड़ मचने से अब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
 
मगर यह सवाल जब नेताओं के सामने रखा जाता है तो उनके जवाब में कहीं कोई ज़िम्मेदारी लेता नज़र नहीं आता, उलटे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाता है।
 
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने हाल ही में राष्ट्रीय असेंबली में खुलकर इस्टैब्लिशमेंट को निशाना बनाया था और कहा कि इस्टैब्लिशमेंट के किये धरे की सज़ा नेताओं और देश को भुगतनी पड़ती है। कुछ इसी तरह की बात राष्ट्रीय असेंबली के सदस्य अली वज़ीर ने भी बीबीसी से कही।
 
अली वज़ीर कहते हैं कि वह गठबंधन वाली उस सरकार के नुमाइंदे हैं जो अभी सत्ता में है मगर वह इस सरकार के सिक्योरिटी इस्टैब्लिशमेंट के साथ गठजोड़ के सख़्त ख़िलाफ़ हैं।
 
उनके अनुसार वह प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के लिए कई बार अनुरोध कर चुके हैं ताकि वह उन्हें उन वादों के बारे में याद दिला सकें जो लोगों से किए गए थे। उनका इशारा राजनीतिक गठबंधन का सैन्य इस्टैब्लिशमेंट से गठजोड़ न करने के पीएम के वादे की तरफ़ था।
 
अली वज़ीर समझते हैं कि देश को मौजूदा संकट से निकालने का हल भी सैन्य प्रतिष्ठान को सियासत से दूर करने में ही है। वो कहते हैं, "हमें घरेलू और विदेशी नीतियों के बारे में ख़ुद फ़ैसले करने होंगे। जब तक रक्षा संस्थाएं उन चीज़ों पर क़ाबिज़ रहेंगी हम व्यवस्था में मची अफ़रा-तफ़री और अराजकता से नहीं बच सकते।"
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

EVM के आरोप का कोई सिर-पैर नहीं, INDIA Alliance के दल नहीं एकमत, अभिषेक बनर्जी ने कहा- नहीं हो सकती कोई गड़बड़ी, सबूत दिखाएं

Delhi pollution : दिल्ली-NCR में लागू GRAP-3 की पाबंदियां, डीजल वाहनों और कंस्ट्रक्शन वर्क के साथ किन चीजों पर रहेंगी पाबंदियां

किस बीमारी से हुआ तबला उस्‍ताद जाकिर हुसैन का निधन, क्‍या होता है IPF और कैसे इससे बचें?

फिलिस्तीन लिखा हैंडबैग लेकर संसद पहुंची प्रियंका गांधी

मणिपुर को लेकर कांग्रेस ने साधा मोदी पर निशाना, कहा- हालात का जायजा लेने का समय नहीं

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

भारत में S25 की कीमत क्या होगी, Samsung Galaxy S25 series को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

200MP कैमरा और 6000mAh बैटरी, Vivo X200 सीरीज भारत में लॉन्च, यह रहेगी कीमत

Best Smartphones of 2024 : कौनसा स्मार्टफोन इस साल रहा नंबर वन, Apple से लेकर Samsung और Realme में किसने मारी बाजी

Moto g35 : मोटोरोला का सस्ता 5G स्मार्टफोन, बाजार में मचा देगा तहलका

iPhone, iPad और Mac में एक्शन बटन, जानिए कैसे करता है काम

अगला लेख