Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कोरोना: केरल में क्यों नहीं है ऑक्सीजन का संकट?

हमें फॉलो करें कोरोना: केरल में क्यों नहीं है ऑक्सीजन का संकट?

BBC Hindi

, बुधवार, 28 अप्रैल 2021 (11:36 IST)
इमरान कुरैशी (बीबीसी हिन्दी के लिए)
 
देश की राजधानी दिल्ली समेत भारत के ज़्यादातर राज्य ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन केरल के मौजूदा हालात देखकर लगता है कि यहां 'सांस लेना' बाक़ी राज्यों की तुलना में थोड़ा सरल है। मौजूदा हालात देखें, तो लगता है कि यहां इस बेशक़ीमती प्राणवायु की कमी नहीं और आने वाले समय में अगर ज़रूरत पड़ी, तो इस राज्य के पास इतनी क्षमता है कि यह यह इसका और उत्पादन भी कर सकेगा।
 
ऐसा कहने के पीछे एक ठोस वजह है। अभी के ताज़ा आंकड़ों और तथ्यों की बात करें, तो केरल अभी ही नियमित रूप से प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तमिलनाडु को और 16 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कर्नाटक को निर्यात कर रहा है। डॉ. आर वेणुगोपाल डिप्टी चीफ़ कंट्रोलर ऑफ़ एक्सप्लोसिव और मेडिकल ऑक्सीजन मॉनिटरिंग के नोडल ऑफ़िसर हैं।
 
उन्होंने बीबीसी को बताया, 'कोविड केयर के लिए हमें हर रोज़ 35 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की और नॉन-कोविड केयर के लिए प्रतिदिन 45 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत है। हमारी कुल क्षमता 199 मीट्रिक टन प्रति दिन है और अगर ज़रूरत पड़ेगी तो हम अपनी उत्पादन क्षमता को और बढ़ा भी सकते हैं।'
 
केरल में ऑक्सीजन की कमी ना होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां मरीज़ों की संख्या तो है, लेकिन यहां मरीज़ों को ऑक्सीजन की आवश्यकता उस तरह से नहीं पड़ रही है, जैसे देश के दूसरे राज्यों में। देश के कई हिस्सों में मरीज़ ऑक्सीजन की कमी के चलते जान तक गंवा रहे हैं।
 
केरल कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. मोहम्मद अशील ने बीबीसी से कहा, 'हम शुरुआती स्टेज में ही मामलों की पहचान कर पाने में सक्षम हैं और ऐसे में हम इलाज भी जल्दी शुरू कर पा रहे हैं, इसलिए हर मरीज़ को ऑक्सीजन लगाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ रही है।' देश के कई हिस्सों की तरह आशा कार्यकर्ता और पंचायत में चुनकर आए स्थानीय सदस्य केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं।
 
डॉ. अशील कहते हैं, 'हमने वॉर्ड कमेटी को पुनर्जीवित किया है। वॉर्ड कमेटी के सदस्य जैसे ही किसी को बुखार होता है या उसमें कोई लक्षण दिखाई देता है उसकी पहचान कर लेते हैं। चाहे बुखार किसी भी वजह से हो उनका कोविड टेस्ट ज़रूर किया जाता है और फिर उसी के अनुरूप उनका इलाज किया जाता है।'
 
डॉ. अशील ने बताया कि रोज़ाना इस्तेमाल के लिहाज़ से मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बीते सप्ताह के 73 मीट्रिक टन से बढ़कर 84 मीट्रिक टन हो गई है। हालांकि इस बढ़ी हुई मांग को लेकर डॉ. वेणुगोपाल परेशान नहीं हैं। वो कहते हैं, 'वर्तमान में सभी फिलिंग प्लांट्स 100 प्रतिशत क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं। अगर मांग बढ़ती है तो ये सबी फिलिंग प्लांट 100 फ़ीसदी क्षमता के साथ उत्पादन करने लगेंगे। राज्य में 11 एयर सेपरेशन यूनिट्स हैं।'
 
मौजूदा समय में आईनॉक्स अकेले रोज़ान 149 मीट्रिक टन का उत्पादन करता है। इसके बाद एएयू प्लांट प्रतिदिन 44 मीट्रिक टन और केएमएमएल प्रतिदिन 6 मीट्रिक टन का उत्पादन कर रहा है। कोचिन शिपयार्ड से 5.45 मीट्रिक टन, बीपीसीएल से 0.322 मीट्रिक टन का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है।
 
डॉ. वेणुगोपाल कहते हैं, 'अगर ज़रूरत पड़ेगी तो हम इस स्थिति में हैं कि 6 महीने के भीतर क्षमता बढ़ा सकते हैं।' आईनॉक्स, केएमएमएल, बीपीसीएल और एएसयू प्लांट की दैनिक उत्पादन क्षमता 204 मीट्रिक टन है। एक एएसयू प्लांट लगभग एक महीने के भीतर ही पलक्कड़ में लगाया जाना है। यह संयंत्र प्रतिदिन क़रीब 4 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है।
 
डॉ. वेणुगोपाल कहते हैं कि अगर ऐसी कोई संकट की स्थिति आती तो सभी संयंत्रों की सातों दिन 24 घंटे की क्षमता है और फिर यहां से राज्य के हर कोने में सिलेंडर से ऑक्सीजन पहुंचाई जाती। यह अपने आपमे आश्चर्य करने वाली बात है कि जो राज्य आज दूसरे राज्यों को ऑ्सीजन उपलब्ध करा रहा है, वो पिछले साल तक खुद ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था।
 
लेकिन कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान ही केरल ने उचित क़दम उठाए। जब देश में कोरोना महामारी बढ़ने लगी थी तभी डॉ. वेणुगोपाल ने सभी बल्क प्लांट्स और मेडिकल ऑक्सीजन मैन्युपैक्चरर को पत्र लिखकर मेडिकल ऑक्सीजन निर्माण बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। डॉ. वेणुगोपाल कहते हैं कि पिछले साल जो हमने जो प्रयास किया, उसका नतीजा अभी मिल रहा है।
 
एक आधिकारिक पत्र के अनुसार सोमवार को राज्य में 21 हज़ार से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले आए और 28 लोगों के मौत की पुष्टि की गई। सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि कोरोना के मामलों में तुलनात्मक रूप से कमी देखी गई है।
 
केरल में पूर्णरूप से लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई है। एक सर्वदलीय बैठक में राज्य की सभी पार्टियों ने इस बात पर सहमति जताई कि पूर्ण लॉकडाउन इस समस्या का समाधान नहीं है, हालांकि चेन-ब्रेक के लिए सख़्त प्रतिबंध लागू करने पर ज़रूर सहमति जताई गई।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या कोविड से हुई सभी मौतों की गिनती कर रहा है भारत?