वोट बंटने का खतरा : मुख्तार अंसारी के चुनाव लड़ने और मुस्लिम वोट के बंटने की बात पर वे कहते हैं, 'यह हमारा दुर्भाग्य होगा।' वे कहते हैं कि उनका नाम न लिखा जाए क्योंकि आने वाले समय में उसका असर उनके कारोबार पर पड़ सकता है।
अस्सी घाट से डेढ़ किलोमीटर दूर एक मोहल्ला है जिसका नाम तो है शिवाला, लेकिन यहां मुसलमान बहुतायत में हैं। शिवाला में जरदोजी के सामान की एक दुकान पर बैठे मोहम्मद एहसान बताते हैं कि किस तरह से वाराणसी में सांप्रदायिकता के आधार पर मतों का ध्रुवीकरण हो चुका है।
उन्होंने बताया, '60 से 70 फीसदी हिन्दू भाई मोदी को वोट देंगे और मुसलमान अपना वोट कांग्रेस या किसी अन्य मजबूत प्रत्याशी को देंगे।'
वह यह भी कहते हैं कि अगर क्लिक करें केजरीवाल यहां से लड़े तो लोग पूरी तरह से उनका साथ दें 'क्योंकि केजरीवाल धर्म और जाति की राजनीति नहीं करेंगे और बनारस के विकास की बात करेंगे।'
बाहरी उम्मीदवार : लेकिन वह एक बात जोर देकर कहते हैं कि इस बार मुख्तार अंसारी को वोट नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, 'पिछली बार मुख्तार अंसारी को वोट सिर्फ इसलिए मिले थे क्योंकि कुछ टीवी चैनलों ने भड़काऊ ढंग से यह प्रसारित कर दिया था कि हिन्दू बड़ी संख्या में वोट देने के लिए निकल पड़े हैं।'
मोहम्मद एहसान एक और महत्वपूर्ण बात कहते हैं, 'चार-पांच हजार शिया भाई भी नरेन्द्र मोदी को वोट दे सकते हैं।'
जरदोजी कि इस दुकान लगभग सौ मीटर की दूरी पर एक चाय की गुमटी है जो पहले कभी नायाब बेकरी हुआ करती थी। प्लास्टिक के गिलास में चाय निकालते हुए जाफर किसी भी बाहरी उम्मीदवार को देने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन मोदी को हराने के उद्देश्य से वह कांग्रेस को वोट देने को तैयार हैं।
जाफर कहते हैं, 'मुसलमान को सिर्फ इंतजार है सभी प्रत्याशियों के नाम तय होने का। जो मोदी को हराने के लायक दिखेगा वोट उसी को जाएगा।'