क्या पोप त्यागपत्र दे सकते हैं..?

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BBC
कैथलिक चर्च के कुछ पादरियों द्वारा यौन शोषण का मामला इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि अब एक तर्क यह सामने आने लगा है कि पोप बेनेडिक्ट 16वें को अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या पोप ऐसा कर सकते हैं।

सैद्धांतिक रूप से यह संभव है। अगर पोप चाहें तो त्यागपत्र लिखकर कैथलिक चर्च के सर्वोच्च निर्वाचक मंडल यानि कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स को सौंप सकते हैं।

पादरी कानून के अधीन त्यागपत्र की केवल एक शर्त है कि यह स्वेच्छा से दिया जाना चाहिए और उसे सही ढंग से प्रकाशित किया जाना चाहिए। लेकिन आधुनिक काल में ऐसा किसी पोप ने किया नहीं है।

हालाँकि इतिहासकार बराबर ये अटकलें लगाते रहे हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोप पायस 12वें ने एक दस्तावेज तैयार किया था जिसमें लिखा था कि अगर नात्जियों के हाथों उनका अपहरण हो जाए तो ऐसी स्थिति में यह माना जाना चाहिए कि उन्होंने त्यागपत्र दे दिया है और उनके उत्तराधिकारी की चयन प्रक्रिया शुरू कर दी जानी चाहिए।

मुश्किल ये है कि वेटिकन ने पोप पायस 12वें से संबंधित लेखागार को पूरी तरह से नहीं खोला है इसलिए इसकी सत्यता प्रमाणित करना संभव नहीं है।

पिछला इतिहास : अगर इससे और पीछे जाएँ तो कोई 500 साल पहले पोप ग्रेगरी बारहवें ने पश्चिमी फूट का अंत करने के लिए त्यागपत्र दिया था। वो वर्ष 1406 से लेकर 1415 तक पोप के पद पर रहे।

उस समय पोप की पदवी के तीन दावेदार थे। रोमन पोप ग्रेगरी बारहवें, एविगॉन पोप बेनेडिक्ट तेरहवें और एन्टीपोप जॉन तेइसवें। लेकिन त्यागपत्र देने से पहले पोप ग्रेगरी बारहवें ने चर्च परिषद का अधिवेशन बुलाया और उसे उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार दिया।

कैथलिक चर्च के इतिहास में पोप के त्यागपत्र का एक और उदाहरण मिलता है जो इससे भी पुराना है। सन 1294 में पोप सेलेस्टीन पंचम ने पोप चुने जाने के मात्र पाँच महीने बाद एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि पोप को त्यागपत्र देने की अनुमति है। उसके बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।

त्यागपत्र देने के बाद वो एक वैरागी की तरह दो साल और जिए और बाद में उन्हे कैथलिक चर्च ने संत घोषित किया।

हालाँकि पोप के त्यागपत्र देने का विधान चर्च में मौजूद हैं, लेकिन पोप बेनेडिक्ट स्वेच्छा से अपना पद छोड़ेंगे इसकी संभावना बहुत कम है। वेटिकन इस समय उनकी जोरदार वकालत कर रहा है।

पोप पर आरोप : वर्तमान पोप बेनेडिक्ट सोलहवें पर आरोप लगाया गया है कि 90 के दशक में अमेरिका में दो आर्चबिशपों ने जब बच्चों के यौन शोषण को लेकर एक पादरी की शिकायत की थी तो उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया था।

उन दिनों पोप कार्डिनल जोसफ रैटजिगर के नाम से जाने जाते थे और वे वैटिकन में उस विभाग की अध्यक्षता कर रहे थे जो यौन शोषण के मामलों से निपटता था।

न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि 90 के दौर में एक मामला पादरी लॉरेंस मर्फी को लेकर उठा था। पादरी पर आरोप था कि उन्होंने 230 बधिर बच्चों का यौन शोषण किया। ये आरोप यौन शोषण का शिकार हुए बच्चों के परिजनों ने लगाए हैं।

यौन शोषण के मामले में पोप से जुड़ी ताजा खबरों पर वेटिकन ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और मीडिया की कड़ी आलोचना की है।

वेटिकन के समाचार पत्र ने मीडिया पर आरोप लगाया है कि मीडिया ने तथ्यों की अनदेखी की है और पोप पर गलतियों के अन्यायपूर्ण दोष मढ़े हैं।

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