'ट्विटर-राजनीति एक साथ करना सीख रहा हूँ'

Webdunia
- वंदना

BBC
भारत के विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर राजनीति, कूटनीति और इंटरनेट की दुनिया में भी जाना-माना नाम हैं। ट्विटर पर वे अकसर छाए रहते हैं। बीबीसी की विशेष सिरीज 'सुपरपावर: इंटरनेट' के तहत हमने शशि थरूर से जानने की कोशिश की है कि प्रशासनिक और सरकार के कामकाज में इंटरनेट किस हद तक सहायक साबित हुआ है और निजी जिंदगी में उनके लिए क्या है इंटरनेट का उपयोग।

ट्विटर को लेकर वे कई बार विवाद में फँस चुके हैं। इस पर उनका कहना है कि भारत जैसे देश में राजनीति करने के लिए अलग तरह की संवेदनशीलता की जरूरत होती है जिसे वे अभी सीख रहे हैं। पेश है बातचीत के मुख्य अंश:

*आप संयुक्त राष्ट्र में उपमहासचिव रह चुके हैं, अब भारत सरकार में मंत्री है। आपको क्या लगता है कि इंटरनेट ने भारत का चेहरा कैसे बदला है, खासकर जिस तरह शासन होता है।

- हिंदुस्तान में प्रशासन के हिसाब से इंटरनेट बहुत अहम चीज है, लेकिन इंटरनेट की पहुँच अभी सीमित है। धीरे-धीरे कुछ प्रदेशों में इंटरनेट की पहुँच बढ़ रही है। हम धीरे-धीरे ई-शासन की ओर बढ़ रहे हैं। कई प्रदेशों में गाँवों में भूमि से जुड़े रिकॉर्ड और दस्तावेज अब कंप्यूटर पर उपलब्ध हैं। आप इंटरनेट पर जाकर देख सकते हैं कि किसने क्या खरीदा, पटवारी ने क्या किया। दो साल से हमारे यहाँ चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से हो रहा है। चुनाव आयोग इंटरनेट पर सब जानकारी डाल देते हैं।

कई मंत्रालय अपनी नीतियों, योजनाओं के बारे में इंटरनेट पर जानकारी देते हैं। कुछ राजनेता भी इंटरनेट के जरिए लोगों से संपर्क करते हैं। हालाँकि इममें काफी काम होना बाकी है। जैसे कई लोग मुझसे शिकायत करते हैं कि मंत्रालयों की वेबसाइटों पर शिकायत करने जैसे प्रावधन ठीक से काम नहीं करते। हम अभी शुरुआती दौर में है।

*इंटरनेट की बात चली है तो ट्विटर के बारे में पूछना चाहूँगी। ट्विटर पर छह लाख से ज्यादा लोग आपको फॉलो करते हैं। इतने तो शाहरुख खान या प्रियंका चोपड़ा के भी नहीं है। क्या खास लगता है इस माध्यम में आपको।

- ट्विटर भी आकाशवाणी की तरह एक संचार माध्यम है। इसका राजनीतिक उपयोग भी है मेरे लिए। इसकी खास बात ये है कि इसके जरिए मैं दिल्ली से लेकर न्यूयॉर्क में बैठे लोगों के साथ बात कर सकता हूँ। ट्विटर पर कुछ छह लाख 70 हजार लोग मुझे फॉलो करते हैं, कोई भी राजनेता चाहेगा कि इतनी बड़ी संख्या में लोग उसकी बात सुनें। (वैसे लगता है कि शाहरुख खान मुझसे आगे निकल जाएँगे)

ट्विटर पर आप ऐसे लोगों से संपर्क कर सकते हैं जो आपके लिए अजनबी हैं। लोग ट्विटर के जरिए कुछ अच्छे सवाल पूछ रहे हैं तो आप जवाब दे सकते हैं, अगर उनकी कुछ गलतफहमियाँ तो आप दूर कर सकते हैं। अगर किसी के विचार आपको अच्छे लगें तो आप वो बातें रिट्वीट करके इंटरनेट पर बाकी लोगों को भी भेज सकते हैं।

टीवी, रेडियो या अखबार के माध्यम से तो हर नेता अपनी बात कहने को तैयार हैं लेकिन ट्‍विटर मुझे ये सुविधा देता है कि मैं जनता से सीधे संपर्क बना सकूँ, उनसे बात कर सकूँ।

*लेकिन ट्विटर जैसे माध्यम के कारण आपको नुकसान भी उठाना पड़ा है। आपने कुछ टिप्पिणाँ की ट्विटर पर और लोगों ने इनको अलग तरीके से समझा।

- हाँ ऐसा दो-तीन बार हुआ कि मैंने जो ट्विटर पर कहा वो लोग ठीक तरह समझे नहीं। जैसे मैंने एक जगह कैटल-क्लास शब्द का इस्तेमाल किया था। अगर आप विदेश में जाएँ जहाँ अंग्रेजी इस्तेमाल होती है, वहाँ इसे कोई गंभीरता से नहीं लिया होगा। लेकिन भारत में जब कैटल क्लास का हिंदी, मलयालम या गुजराती में अनुवाद किया गया तो लोग बहुत बुरा मान गए।

कुछ दिन पहले मैंने भारत-पाकिस्तान वार्ता के संबंध में एक शब्द का इस्तेमाल किया था इंटरलोक्यूटर। ये शब्द आम तौर पर इस्तेमाल होता है, लेकिन हमारे देश में इसे लेकर विवाद हो गया। इस सब में ट्विटर की गलती नहीं है। दरअसल भारत में तरह-तरह की भाषाएँ बोली जाती हैं। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश में सब लोग सब बातें एक तरह से नहीं समझते हैं। राजनीति के लिए अलग तरह की संवेदनशीलता चाहिए जो मैं अभी सीख रहा हूँ।

*अपने साथी मंत्रियों और सांसदों को भी इंटरनेट या ट्विटर पर लाने की कोशिश की?

- मैंने एक सासंद को मनाने की कोशिश की थी, लेकिन मैं मना नहीं पाया। ऐसा नहीं है कि उन्हें दिलचस्पी नहीं है। कई सांसद आए थे मेरे पास पूछने के लिए। लेकिन मेरे इंटरनेट पर सक्रिय होने को लेकर मीडिया में जैसी नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली उसे देखकर बाकी लोग थोड़ा एहतियात से चल रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि अगले दस सालों में ये बदल जाएगा।

मैंने कहीं पढ़ा कि ट्विटर की वजह से एक ऐसी बच्ची की जिंदगी संवर गई जिसकी दोनों टाँगे नहीं थी। दरअसल मैं अपने चुनावी क्षेत्र का दौरा कर रहा था, उसी दौरान मैं एक स्कूली छात्रा से मिला। सड़क दुर्घटना में उसकी दोनों टाँगे चली गई थीं। उसकी माँ नहीं थी और पिता बेरोजगार थे। मैंने इस बारे में ट्विटर पर लिखा और कई लोग उस बच्ची की मदद के लिए आगे आए।

*आप ज्यादातर कौन-सी वेबसाइटों पर जाते हैं?

- आजकल समय बहुत कम होता है मेरे पास। मैं इतना वक्त नहीं निकाल पाता कि इंटरनेट पर जाकर सर्फिंग करूँ। क्रिकेट या दिन की सुर्खिंयाँ जरूर देख लेता हूँ। दरअसल बहुत से लोग मुझे ई-मेल या ट्विटर के जरिए कुछ चुनिंदा लिंक भेज देते हैं जो अलग-अलग विषयों पर होते हैं। दिन में पाँच-छह ऐसे आर्किटल या लेख मैं पढ़ लेता हूँ। इस तरह मुझे नेट पर जाकर सर्फिंग नहीं करनी पड़ती। लोग जो लिंक मुझे फॉर्वड करते हैं, उन्हीं को मैं आमतौर पर पढ़ लेता हूँ।

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Mahadev क्या है, जिसमें ढेर हुआ पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा

1 घंटे में कैसे मार गिराए आतंकवादी, किसने उठाया ऑपरेशन महादेव पर सवाल

रक्षामंत्री राजनाथ ने संसद में दी जानकारी, पाकिस्तान की गुहार पर रोका गया ऑपरेशन सिंदूर

पहलगाम का बदला, जम्मू कश्मीर के दाचीगाम में 3 आतंकवादी ढेर

अद्भुत संयोग! पीएम मोदी पक्षियों पर बोल रहे थे, तभी मंत्री के कंधे पर आ बैठा पक्षी (वीडियो)

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Vivo V60 5G India Price : वीवो के धांसू स्मार्टफोन की कीमत का खुलासा, जानिए क्या हैं फीचर्स

iQOO Z10R 5G : 5,700mAh और 50MP कैमरे वाला सस्ता स्मार्टफोन

Apple iphone 17 pro price : लॉन्च से पहले ही आईफोन 17 प्रो की चर्चाएं, क्या होगी कीमत और फीचर्स, कैसा होगा कैमरा

iPhone 16 को कड़ी टक्कर देगा Vivo का सस्ता फोन, 6500mAh की दमदार बैटरी धांसू फीचर्स

Samsung Galaxy Z Fold 7 : सैमसंग का धांसू फ्लिप स्मार्टफोन, कीमत सुनेंगे तो हो जाएंगे हैरान