पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसादयादव के महागठबंधन की सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव स्वीकृत करने के वादे को लेकर उनके माता-पिता पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी के कार्यकाल का स्मरण कराया और कटाक्ष करते हुए कहा कि जो स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पाते थे वह आज नौकरी देने की बात कर रहे हैं।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार ने रविवार को तीसरे चरण के विधानसभा चुनाव प्रचार का ऑनलाइन माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग हैं, जिन्हें वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं और वे कुछ कर भी नहीं सकते हैं, वैसे लोग फिजूल की बातें अधिक कर रहे हैं। कोई कहता है नौकरी देंगे लेकिन यह नहीं बताते कि यह नौकरी आएगी कहां से, पदों का सृजन कैसे होगा और उसके लिए पैसे कहां से आएंगे। वह अपने बयान में कहते हैं कि सरकार बनेगी तो मंत्रिमंडल की पहली बैठक में दस लाख नौकरी का प्रबंध करेंगे, खैर उनकी सरकार तो नहीं बनेगी, कभी नहीं बनेगी।
कुमार ने कहा, दस लाख नौकरी देने का वादा करने वाले को पता होना चाहिए कि इतने लोगों के वेतन पर एक साल में एक लाख 44 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। यदि वेतन पर इतनी अतिरिक्त राशि खर्च कर दी गई तो विकास के सभी काम ठप पड़ जाएंगे। उन्हें पता होना चाहिए कि उनके माता-पिता (लालू-राबड़ी) के कार्यकाल में राज्य का बजट 24 हजार करोड़ रुपए से भी कम था लेकिन जब उनकी सरकार बनी तो वर्तमान में बजट का आकार दो लाख 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक पर पहुंचा दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तो सभी जानते हैं कि पहले किसी भी विभाग के कर्मियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल पाता था। उन्होंने कहा कि जब वह वर्ष 2005 में यात्रा पर निकले थे तो स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षक बताया करते थे कि उन्हें समय से वेतन तक नहीं मिल पा रहा है, लेकिन जब उनकी सरकार बनी तो सभी को समय से वेतन एवं अन्य सुविधाएं मिलने लगी।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं सरकारी कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पाए वह आज नौकरी देने की बात कर रहे हैं। ऐसे वादे समाज में भ्रम पैदा करने के लिए किए जाते हैं, जिससे सावधान रहने की जरूरत है।(वार्ता)