पटना। पिछले तीन दशक से अधिक समय से बिहार भाजपा का बड़ा चेहरा रहे सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पहली बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की राज्य सरकार में स्थान नहीं बना पाए। वह पिछली कई सरकारों में उप-मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालते रहे। NDA सरकार से दरकिनार किए जाने से भाजपा से निराश हैं। हालांकि अटकलें हैं कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
सोमवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा की ओर से कटिहार से चौथी बार विधायक के रूप में चुने गए तारकिशोर प्रसाद और बेतिया से विधायक रेणु देवी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, जिन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद एवं रेणु देवी तथा मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी लोगों को बधाई। रविवार को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में तारकिशोर प्रसाद को विधानमंडल दल का नेता और रेणु देवी को उपनेता चुना गया था।
शपथ ग्रहण के बाद जब नीतीश कुमार से मंत्रिमंडल में सुशील मोदी को स्थान नहीं मिलने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह भाजपा का निर्णय है कि कौन लोग रहेंगे और कौन नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, यह प्रश्न तो आप भाजपा से पूछें।
सुशील कुमार मोदी उप-मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के पार्टी नेतृत्व के फैसले से थोड़े निराश भी दिखे। उन्होंने रविवार को अपने ट्वीट में कहा था, भाजपा एवं संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया कि शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा।
सुशील मोदी ने कहा था, आगे भी जो ज़िम्मेवारी मिलेगी उसका निर्वहन करूँगा। कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी की जोड़ी काफी चर्चित रही।
मुख्यमंत्री के शपथग्रहण समारोह के बाद सुशील मोदी ने सोमवार को ट्वीट कर नीतीश कुमार को बधाई दी। उन्होंने कहा, नीतीश कुमार के 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर हार्दिक बधाई। आपके नेतृत्व में बिहार और आगे बढ़ेगा। नरेन्द्र मोदी का सहयोग बिहार को हमेशा मिलता रहेगा। बहरहाल, ऐसी अटकलें चल रही हैं कि सुशील मोदी को कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी रविवार को ट्वीट कर कहा, आदरणीय सुशील जी आप नेता हैं, उप-मुख्यमंत्री का पद आपके पास था। आगे भी आप भाजपा के नेता रहेंगे। पद से कोई छोटा-बड़ा नहीं होता।
सुशील कुमार मोदी पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में सक्रिय थे और 1974 में जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर वह छात्र आंदोलन में शामिल हो गए। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बने और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रहे। वह 1990 में पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए तथा 1995 और 2000 में भी विधानसभा पहुंचे।
साल 2005 में बिहार चुनाव में राजग को बहुमत मिला, तब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो सुशील मोदी को उप-मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद पिछली सरकार तक जब भी जदयू एवं भाजपा गठबंधन की सरकार बनी तो सुशील मोदी को उप-मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई।