Bihar Assembly Elections News : बिहार के विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद हावी रहा। परिवारवाद को लेकर न तो एनडीए पीछे रहा और न ही महागठबंधन, क्योंकि कई नेता अपने पुत्र-पुत्रियों या परिवार के अन्य सदस्यों को राजनीति में स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। यही कारण है कि बिहार के चुनावी मैदान में भी लगभग सभी दलों के बड़े नेताओं के बेटे-बेटी, बहू-दामाद, पत्नी, समधन और अन्य रिश्तेदार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे, जिसमें कुछ ने जोरदार जीत हासिल की, जबकि कइयों को शिकस्त का सामना करना पड़ा।
खबरों के अनुसार, बिहार के विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद हावी रहा। परिवारवाद को लेकर न तो एनडीए पीछे रहा और न ही महागठबंधन, क्योंकि कई नेता अपने पुत्र-पुत्रियों या परिवार के अन्य सदस्यों को राजनीति में स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
यही कारण है कि बिहार के चुनावी मैदान में भी लगभग सभी दलों के बड़े नेताओं के बेटे-बेटी, बहू-दामाद, पत्नी, समधन और अन्य रिश्तेदार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे, जिसमें कुछ ने जोरदार जीत हासिल की, जबकि कइयों को शिकस्त का सामना करना पड़ा।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए उम्मीदवारों की सूची में करीब 30 उम्मीदवार ऐसे रहे जो किसी न किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। नीतीश कुमार के बेटे भले ही राजनीति में नहीं हैं, लेकिन जेडीयू ने भी राजनीतिक परिवार से आने वालों को टिकट दिया। जीतन राम मांझी पहले ही गया (एससी) लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, जबकि उनके बेटे संतोष कुमार सुमन बिहार सरकार में मंत्री और विधान परिषद सदस्य हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान ने अपने भानजे सीमांत मृणाल और JD(U) के विधायक अशोक कुमार मुन्ना के बेटे मृणाल मंजरिक को गरखा विधानसभा सीट से टिकट दिया। जीतनराम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) की सबसे अधिक आलोचना हुई। HAM के 6 उम्मीदवारों में से 3 उनके परिवार से हैं और 2 राजनीतिक परिवार से हैं।
बिहार की सियासत में इस बार विरासत को बचाए रखने की लड़ाई थी। सबसे अधिक सफलता जीतन राम मांझी के परिवार के हिस्से आई। उनकी बहू, समधन और दामाद-तीनों ने जीत दर्ज की। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव राघोपुर से मैदान में थे, वो जीते। लेकिन बड़े बेटे तेजप्रताप यादव चुनाव हार गए और तीसरे स्थान पर रहे। बाहुबली शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब रघुनाथपुर से लड़ रहे थे। वे भी जीत गए।
पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की पुत्री शिवानी शुक्ला लालगंज से हार गईं। कौशल यादव नवादा से हारे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ आदमी के पुत्र फराज फातमी केवटी से हारे। बिस्फी से फैयाज अहमद के पुत्र आशिफ अहमद जीते। दिग्गज नेता राजकुमार महासेठ के मधुबनी से हारे।
जहानाबाद से जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा जीते। शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी शाहपुर से हारे। लौकहा से धनिकलाल मंडल के पुत्र भरत मंडल हारे। जदयू के टिकट पर पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने नबीनगर से जीत हासिल की। नवादा से पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी विजयी हुईं।
भाजपा की ओर से भी कई राजनीतिक परिवारों ने जीत हासिल की। गौरा बौड़ाम से सुजीत सिंह जीते, जबकि उनकी पत्नी स्वर्णा सिंह पहले से विधायक हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह, जो जन सुराज के टिकट पर लड़ रही थीं, अस्थावां से पराजित हुईं। कुल मिलाकर बिहार चुनाव 2025 में परिवारवाद पूरी तरह हावी रहा।
Edited By : Chetan Gour