बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की यह चुनावी जंग सिर्फ दो नेताओं की नहीं, बल्कि स्थिरता बनाम बदलाव और अनुभव बनाम युवा जोश की है। एक तरफ नीतीश कुमार के परंपरागत वोटर्स हैं तो दूसरी तरफ ऐसा युवा वर्ग है जो बिहार में बदला वचाहता है।
बता दें कि विधानसभा चुनाव 2025 का चुनाव की यह 'महाजंग' अपने निर्णायक मोड़ पर है। सवाल यह है कि 14 नवंबर को वोटों की गिनती किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक ले जाएगी और किसे सत्ता की कुर्सी से दूर करेगी?
हालांकि चुनाव नतीजों पर अंतिम मुहर 14 नवंबर को लगेगी। लेकिन एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखें तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA की वापसी की संभावना ज्यादा नजर आ रही है, लेकिन तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व ने कड़ा मुकाबला दिया है।
एग्जिट पोल का गणित: NDA को बढ़त अधिकांश प्रमुख एग्जिट पोल्स (Exit Polls) ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को स्पष्ट बढ़त दी है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं।
एजेंसी/विश्लेषण NDA (सीटों का अनुमान) महागठबंधन (सीटों का अनुमान) Matrize/JVC135 - 15088 - 103Axis My India121 - 14198 - 118AI प्लेटफॉर्म्स (ChatGPT/Grok)140 – 16080 – 100 बहुमत का आंकड़ा (243 में)122122 अधिकांश अनुमानों में NDA बहुमत का आंकड़ा पार करता दिख रहा है, जबकि महागठबंधन बहुमत से दूर रह सकता है।
(NDA) महिला मतदाताओं का भरोसा: 'सुशासन बाबू' यानी नीतीश कुमार की छवि और शराबबंदी, साइकिल योजना, और पंचायती राज में महिलाओं को आरक्षण जैसी योजनाओं ने महिला मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को NDA की ओर बनाए रखा है। एग्जिट पोल में महिलाओं के वोटिंग पैटर्न में NDA को बढ़त मिली है।
डेवलेपमेंट और स्थिरता का नैरेटिव : NDA ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और राज्य में 20 साल के 'विकास' और 'स्थिरता' के अनुभव को भुनाने की कोशिश की।
सीटों का बेहतर मैनेजमेंट : भाजपा (BJP) के साथ मिलकर सीटों का बंटवारा पिछली बार की तुलना में इस बार ज्यादा प्रभावी रहा, जिससे गठबंधन को एकजुट होकर लड़ने में मदद मिली।
तेजस्वी यादव : 'नौकरी' और 'परिवर्तन' का मुद्दा : तेजस्वी यादव ने '10 लाख नौकरी' और बेरोजगारी को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया, जिसने युवाओं में जबरदस्त आकर्षण पैदा किया। रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग (66.90%) में युवाओं की भागीदारी को इसका श्रेय दिया जा रहा है।
MY+ समीकरण: RJD अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (MY) आधार को मज़बूत बनाए रखने में सफल रही है और इसने कुछ हद तक अति-पिछड़ा वर्ग (EBC) और दलितों में भी सेंध लगाई है।
एंटी-इनकम्बेंसी : नीतीश कुमार के लंबे कार्यकाल से उपजी 'थकान' और सत्ता विरोधी लहर का सीधा लाभ तेजस्वी यादव को मिला है, जिसने महागठबंधन की सीटों को 2020 की तुलना में बेहतर करने की संभावना दी।
क्या किंगमेकर बनेंगे पीके : प्रशांत किशोर की जन सुराज? इस चुनाव में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj) को एक किंगमेकर (Kingmaker) के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, एग्जिट पोल के अनुमानों ने इस पार्टी को बहुत कम सीटें (0-5) मिलने की संभावना जताई है।
ऐसा लगता है कि जन सुराज का प्रभाव सीटों में नहीं, बल्कि केवल वोट कटवा की भूमिका तक सीमित रहा, खासकर उन सीटों पर जहां इसने NDA के वोटबैंक में सेंध लगाई।
चुनाव नतीजों पर अंतिम मुहर 14 नवंबर को लगेगी। एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखें तो, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA की वापसी की संभावना अधिक है, लेकिन तेजस्वी यादव के युवा नेतृत्व ने कड़ा मुकाबला दिया है और वोटों के अंतर को काफी कम कर दिया है।
अगर NDA जीता तो : यह नीतीश कुमार के 'सुशासन' और महिला मतदाताओं के भरोसे की जीत मानी जाएगी। यदि महागठबंधन चौंकाता है तो यह तेजस्वी यादव के 'नौकरी' के एजेंडे और युवा-आधारित 'बदलाव' की लहर की जीत होगी।
Edited By: Navin Rangiyal