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Birsa Munda Jayanti: झारखंड के नायक बिरसा मुंडा की जयंती, जानें इतिहास और 10 रोचक तथ्य

WD Feature Desk
शनिवार, 15 नवंबर 2025 (12:05 IST)
Birsa Munda History: बिरसा मुंडा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों में से एक थे, जिनकी जयंती 15 नवंबर को मनाई जाती है। बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय की न्याय की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। उन्हें 'धरती आबा' यानी पृथ्वी के पिता के नाम से भी जाना जाता है। उनकी जयंती पर हम उनके जीवन और संघर्ष को याद करते हैं। उनकी जयंती, 15 नवंबर, को अब केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) के रूप में मनाया जाता है...ALSO READ: भारत की स्वाधीनता के पक्षधर थे भगवान बिरसा मुंडा : सीएम योगी
 
आइए जानते हैं बिरसा मुंडा के जीवन और उनके योगदान के बारे में 10 रोचक तथ्य:
 
बिरसा मुंडा का इतिहास: बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को वर्तमान झारखंड राज्य के उलीहातु गांव में हुआ था। उनका परिवार मुंडा जनजाति से था, जो समाज में न्याय, शांति और समानता की प्रतीक मानी जाती है। बिरसा ने अंग्रेजों के खिलाफ और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्रिय रूप से संघर्ष किया।
 
उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, आदिवासी समुदाय के लिए अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष शुरू किया। बिरसा ने न केवल अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी, बल्कि अपनी जनजातीय संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए भी काम किया।
 
बिरसा मुंडा के बारे में 10 रोचक तथ्य:
 
1. प्रारंभिक शिक्षा: बिरसा मुंडा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के गुरुकुल में प्राप्त की। बाद में वह अपने जीवन के कुछ वर्षों में रांची और रांची मिशन स्कूल में भी पढ़े। वे एक कुशल और निपुण छात्र थे।
 
2. धरती आबा का नाम: बिरसा मुंडा को आदिवासी समुदाय के लोग "धरती आबा" (पृथ्वी के पिता) के नाम से सम्मानित करते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने संघर्षों के माध्यम से अपने लोगों की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए अडिग प्रयास किए।
 
3. उलगुलान जन विद्रोह: बिरसा मुंडा ने उलगुलान नामक जन विद्रोह का नेतृत्व किया, जो 1900-1901 के आसपास हुआ था। यह एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था, जिसका उद्देश्य आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना और अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ना था।
 
4. धार्मिक चेतना और आंदोलन: बिरसा मुंडा ने धार्मिक विश्वासों में सुधार की आवश्यकता महसूस की और उन्होंने आदिवासियों को अपने विश्वासों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने मूल संस्कृति और प्राकृतिक पूजा की महत्वपूर्णता को प्रचारित किया।
 
5. झारखंड के नायक: बिरसा मुंडा को आज भी झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में आदिवासी समाज के नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उनके संघर्षों ने आदिवासी समुदाय को अपने अधिकारों के लिए जागरूक किया।
 
6. अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष: बिरसा मुंडा ने न केवल ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष किया, बल्कि जमीन के अधिकार, बेटी-राहत, और परंपरागत जीवनशैली की रक्षा के लिए भी आंदोलन किए। उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए झारखंड राज्य की स्थापना की दिशा में भी प्रयास किए।
 
7. संगठन का गठन: बिरसा मुंडा ने उलगुलान (Ulgulan) आंदोलन के तहत आदिवासियों को एकजुट किया और मुंडा और ओरांव जनजातियों के बीच एकजुटता को बढ़ावा दिया। इस आंदोलन ने अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष को एक राष्ट्रीय पहचान दी।
 
8. मृत्यु: बिरसा मुंडा का निधन 9 जून 1900 को हुआ। वे महज 25 वर्ष के थे, लेकिन उनके संघर्षों ने उन्हें एक महान नेता और आदिवासी समाज का आदर्श बना दिया। उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई, और इसे लेकर कई अफवाहें थीं कि उनकी हत्या अंग्रेजों ने करवाई थी।
 
9. आधुनिकता का प्रतीक: बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को आधुनिकता और शिक्षा की दिशा में जागरूक किया। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और आदिवासियों के बीच शिक्षा और तकनीकी ज्ञान का प्रचार किया।
 
10. स्मारक और सम्मान: बिरसा मुंडा की जयंती को अब राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। उनके योगदान को याद करते हुए कई स्थानों पर स्मारक और मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जैसे रांची में बिरसा मुंडा जेल, रांची एयरपोर्ट, और बिरसा मुंडा विश्वविद्यालय।ALSO READ: आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर 'जनजाति भागीदारी उत्सव' से गूंजेगा लखनऊ, CM योगी करेंगे शुभारंभ

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