sadbhavana diwas kyu manaya jata hai: भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है, जहां अलग-अलग धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के लोग साथ रहते हैं। इस विविधता को एकता में बदलना आसान नहीं होता, लेकिन जब समाज में आपसी भाईचारा, सहिष्णुता और सद्भाव कायम रहे तो यही विविधता हमारी ताकत बन जाती है। इसी सोच को मजबूत करने के लिए हर साल 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती के अवसर पर पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है लोगों में आपसी भाईचारे, एकता, अमन और मेल-जोल की भावना को बढ़ावा देना।
सद्भावना दिवस का उद्देश्य और महत्व
सद्भावना दिवस का असली उद्देश्य समाज को यह संदेश देना है कि किसी भी देश की प्रगति केवल आर्थिक विकास से नहीं बल्कि सामाजिक सौहार्द और आपसी समझ से होती है। अगर समाज में आपसी दूरी और भेदभाव होंगे तो विकास अधूरा रह जाएगा। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सम्मान में भारत हर साल 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाता है। राजीव गांधी की मृत्यु के एक साल बाद 1992 में कांग्रेस ने राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार की स्थापना की। राजीव गांधी का मानना था कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा पीढ़ी है और अगर इस पीढ़ी को सही दिशा दी जाए तो देश में सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। इसलिए इस दिन लोगों को याद दिलाया जाता है कि हमें धर्म, जाति या भाषा के आधार पर नहीं, बल्कि इंसानियत के आधार पर एक-दूसरे से जुड़ना चाहिए।
क्यों मनाया जाता है सद्भावना दिवस?
राजीव गांधी जी ने अपने कार्यकाल में तकनीकी और शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े बदलाव किए। लेकिन इसके साथ ही वे हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि भारत जैसे विशाल और बहुधर्मी देश में आपसी भाईचारा बनाए रखना सबसे जरूरी है। उनकी सोच थी कि नफरत, भेदभाव और हिंसा से कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। इसीलिए उनकी जयंती को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा ताकि उनकी सोच और विचारधारा आज की पीढ़ी तक पहुंचे और समाज में शांति और सौहार्द की भावना बनी रहे।
इस दिन क्या किया जाता है?
सद्भावना दिवस पर सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और सामाजिक संगठनों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग शपथ लेते हैं कि वे समाज में सद्भाव और भाईचारा बनाए रखेंगे। स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिससे युवा पीढ़ी को इस दिन का महत्व समझाया जा सके। इसके अलावा कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं जिनमें "एकता में विविधता" के संदेश को लोगों तक पहुंचाया जाता है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इस दिन को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है।
सद्भावना दिवस का सामाजिक महत्व
आज के समय में जब समाज कई बार छोटी-छोटी बातों पर बंट जाता है, ऐसे में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह हमें याद दिलाता है कि भारत की असली ताकत उसकी एकता है। जब अलग-अलग धर्म और संस्कृतियों के लोग साथ मिलकर रहते हैं, तभी हमारा देश वैश्विक स्तर पर एक मजबूत पहचान बना पाता है। सद्भावना दिवस लोगों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम एक-दूसरे से कितने जुड़े हुए हैं और हमें किसी भी तरह के भेदभाव को पीछे छोड़कर एकजुट रहना चाहिए।
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