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घर के मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा रखते समय न करें ये 8 गलतियां

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 19 अगस्त 2025 (15:30 IST)
Ganesh Chaturthi Vastu tips: वैसे तो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करना शुभ माना जाता है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और घर को बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं। यदि आप भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर नवीन गृह प्रवेश कर रहे हैं या घर में तथा घर के दरवाजे पर श्रीगणेश की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करने की सोच रहे हैं तो कुछ नियम जान लेना उचित होगा।ALSO READ: रक्षाबंधन के दिन गणेशजी को क्यों बांधते हैं सर्वप्रथम राखी? जानें कैसे बांधें?
 
वास्तु शास्त्र में इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना महत्वपूर्ण है। यदि इन नियमों का पालन न किया जाए, तो यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यहां कुछ गलतियां दर्शाई जा रही हैं जो घर के मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा रखते समय नहीं करनी चाहिए:
 
1. गलत दिशा:
* वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा लगाने के लिए उत्तर, पूर्व या ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा सबसे शुभ मानी जाती है।
 
* दक्षिण दिशा की ओर गणेश प्रतिमा का मुख नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस दिशा को नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। यदि मुख्य द्वार दक्षिण में है, तो प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि उनका मुख घर के अंदर की ओर हो।
 
* पश्चिम दिशा भी मुख्य द्वार पर गणेश प्रतिमा लगाने के लिए बहुत अनुकूल नहीं मानी जाती है। यदि इस दिशा में द्वार है, तो वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है।
 
2. पीठ का ध्यान न रखना:
* यह सुनिश्चित करें कि गणेश प्रतिमा की पीठ घर के बाहर की ओर हो। उनकी पीठ घर की ओर होना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की पीठ में दरिद्रता का वास होता है।
 
* यदि आप दो गणेश प्रतिमाएं मुख्य द्वार पर लगा रहे हैं, तो उन्हें इस प्रकार लगाएं कि दोनों की पीठ एक-दूसरे की ओर हो, न कि घर की ओर।
 
3. टूटी या खंडित प्रतिमा:
* कभी भी टूटी हुई या खंडित गणेश प्रतिमा को मुख्य द्वार पर न रखें। वास्तु शास्त्र में खंडित मूर्तियों को अशुभ माना जाता है।
 
4. गलत मुद्रा:
* मुख्य द्वार पर बैठी हुई मुद्रा वाली गणेश प्रतिमा लगाना शुभ माना जाता है, जो स्थिरता और शांति का प्रतीक है।
 
* खड़ी मुद्रा वाली प्रतिमा को प्रवेश द्वार पर लगाने से बचें, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को अस्थिर कर सकती है।
 
* लेटी हुई मुद्रा वाली गणेश प्रतिमा घर के अंदर शयन कक्ष में लगाई जाती है, मुख्य द्वार पर नहीं।
 
5. शौचालय या अस्वच्छ स्थान के पास:
* गणेश प्रतिमा को कभी भी शौचालय या किसी अस्वच्छ स्थान के पास न लगाएं। यह भगवान गणेश का अपमान माना जाता है और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
 
6. दीवार पर सीधी स्थापना:
* यदि मुख्य द्वार की दीवार खुरदरी या गंदी है, या उसमें दरार आ रही है, तो सीधे दीवार पर गणेश प्रतिमा या तस्वीर न लगाएं। इसके बजाय, आप मुख्य द्वार की ऊपरी चौखट पर प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं।
 
7. एक से अधिक प्रतिमाएं:
* वास्तु शास्त्र के अनुसार, मुख्य द्वार पर एक ही गणेश प्रतिमा लगाना शुभ होता है। यदि आप सुरक्षा के लिए दो प्रतिमाएं लगा रहे हैं, तो उन्हें द्वार के दोनों ओर इस प्रकार लगाएं कि उनकी पीठ एक-दूसरे की ओर हो। बहुत अधिक संख्या में प्रतिमाएं लगाने से बचें।
 
8. सूंड़ की दिशा:
* गणेश प्रतिमा की सूंड़ का भी वास्तु में महत्व है। घर के मुख्य द्वार के लिए बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा को अधिक शुभ माना जाता है, जो सुख और समृद्धि का प्रतीक है। दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड़ वाली प्रतिमा को सिद्धि विनायक माना जाता है और इसकी पूजा के नियम थोड़े कठिन होते हैं, इसलिए इसे घर के अंदर मंदिर में स्थापित करना अधिक उचित है।
 
इन गलतियों से बचकर आप अपने घर के मुख्य द्वार पर भगवान गणेश की सही प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं और उनकी कृपा एवं सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपको कोई संदेह हो तो वास्तु विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: कब से होंगे गणेश उत्सव प्रारंभ, क्या है गणपति स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त, मंगल प्रवेश

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