शशि कपूर और अमिताभ बच्चन ने दीवार, सिलसिला, त्रिशूल, रोटी कपड़ा और मकान, नमक हलाल, काला पत्थर, दो और दो पांच, सुहाग जैसी कई हिट फिल्मों में साथ काम किया। दोनों की केमिस्ट्री गजब लगती थी और इसीलिए दोनों को साथ में कई फिल्मकारों ने पेश किया। शशि के अवसान से बिग बी बेहद आहत हुए और उन्होंने अपने ब्लॉग में शशि को याद किया।
अमिताभ ने अपने ब्लॉग की शुरुआत रूमी जाफरी के इस शेर के साथ की :
“हम ज़िंदगी को अपनी कहाँ तक सम्भालते
इस क़ीमती किताब का काग़ज़ ख़राब था “
अमिताभ लिखते हैं- मर्सिडीज़ स्पोर्ट्स कार के पास वे खड़े थे। मूंछ और हल्की दाढ़ी में वे बेहद स्मार्ट नजर आ रहे थे। उनका पोज़ मैगजीन के पूरे पृष्ठ पर छपा था। शशि कपूर... पृथ्वी राज कपूर के बेटे, राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई एक आने वाली फिल्म से शुरुआत कर रहे हैं, ऐसा कैप्शन था। उनका यह अंदाज देख मेरे दिमाग में एक विचार आया, जब मैं फिल्म एक्टर बनने की कोशिश कर रहा था, कि यदि ऐसे लोग आसपास हों तो मेरे हीरो बनने का कोई अवसर नहीं है।
शशि कपूर को याद करते हुए अमिताभ ने लिखा है कि वे शशि कपूर से बेहद प्रभावित थे। उनकी हेअर स्टाइल और व्यवहार को कॉपी करने की कोशिश करते थे। वे लिखते हैं 'शशि कपूर के घुंघराले बाल तो बड़ी बेतरतीबी से उनके माथे और कान के पास बिखरे रहते थे, मुझे पसंद थे।'
फिल्म दीवार में शशि कपूर का संवाद 'मेरे पास मां है' बेहद प्रसिद्ध हुआ। इसी डायलॉग को याद करते हुए अमिताभ ने लिखा कि अब मेरे पास भाई नहीं है। अमिताभ लिखते हैं 'वह मुझे 'बबुआ' कहते थे। आज उनके साथ-साथ मेरे और उनकी जिंदगी के कई पन्ने अधूरे ही चले गए।'
अमिताभ भावुक हो कर लिखते हैं कि मैं उन्हें मिलने सिर्फ एक ही बार अस्पताल गया था। फिर कभी नहीं गया। मैं अपने दोस्त और 'समधि' को इस हालत में अस्पताल में नहीं देखना चाहता था। जब मुझे पता चला कि वे नहीं रहे तब भी मैं अस्पताल जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।