दर्शकों की लंबी-लंबी कतारें। 11 पीवीआर सहित कुल 13 स्क्रीन्स पर बेहतरीन फिल्मों का प्रदर्शन। 55 देशों की 200 से अधिक फिल्मों की दावत। देशी और विदेशी फिल्मों में पुरस्कार पाने की होड़। बेंगलुरु के तेहरवें इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल (BIFFES) का कुछ ऐसा ही नज़ारा था। हाल ही में संपन्न हुए इस आयोजन में रूपहले पर्दे के जरिए बेंगलुरु में जैसे पूरी दुनिया ही सिमट आई थी।
शुभारंभ से समापन तक सिने रसिक, फिल्मों से जुड़े अतिथि और विशेषज्ञ मुख्य आयोजन स्थल ओरियन मॉल में फिल्मों के साथ मास्टर क्लासेस, पेनल डिस्कशन आदि का आनंद लेते रहे। सुचित्रा सिने एकेडमी और डॉ. राजकुमार भवन में भी फिल्में प्रदर्शित की गई।
'नॉट टुडे' और 'मेप्पाडियन' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार-
बेंगलुरु इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में आदित्य कृपलानी की फिल्म 'नॉट टुडे' को सर्वश्रेष्ठ एशियन फिल्म, मलयाली भाषा की फिल्म 'मेप्पाडियन' को सर्वश्रेष्ठ भारतीय और 'दोद्दाहट्टी बोरेगौड़ा' को सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म का पुरस्कार मिला है। तीनों ही फिल्मों को यह पुरस्कार साल 2021 के लिए दिए गए हैं। खास बात यह भी है कि इस साल की सर्वाधिक लोकप्रिय फिल्म के रूप में युवरत्ना को चुना गया है। फिल्म के प्रख्यात अभिनेता पुनीत राजकुमार का पिछले साल निधन हो गया था। दक्षिण भारत में उनकी फिल्म को मिला अवॉर्ड किसी श्रद्धांजलि से कम नहीं है।
'गॉड ऑन द बालकनी' और 'सेमखोर' को बीते साल का शीर्ष सम्मान-
इसी तरह 2020 के लिए 'गॉड ऑन द बालकनी' (निर्देशन: विश्वजीत बोरा, निर्माता: नूरुल सुल्तान) को सर्वश्रेष्ठ एशियन फिल्म, फिल्म 'सेमखोर' (नायिका और निर्देशक, एमी बरुआ) सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म के पुरस्कार से नवाज़ा गया। उल्लेखनीय यह भी है कि यह दोनों ही फिल्में असमिया भाषा में हैं। जबकि 2020 के लिए ही 'पिंकी एली' (निर्देशक पृथ्वी कोन्नूर) सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म घोषित की गई। महोत्सव के विजेताओं को पुरस्कार कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गेहलोत ने प्रदान किए।
तेहरवां संस्करण दो साल का संयुक्त महोत्सव-
महोत्सव में कई प्रमुख हस्तियों के साथ सिने रसिक और फिल्म बिरादरी के लोग मौजूद थे। महोत्सव का यह तेहरवां संस्करण था। बीते साल कोविड महामारी की वजह से फेस्टिवल नहीं हो सका था। इसीलिए इस साल 2020 और 2021 के लिए प्रतिस्पर्धी फिल्मों को श्रेष्ठता के आधार पर पुरस्कार दिए गए। यह पुरस्कार तीन श्रेणियों क्रमश : एशियाई, कन्नड़ और भारतीय सिनेमा में प्रदान किए गए। कुल मिलाकर 27 फिल्मों ने पहला, दूसरा और तीसरे के साथ स्पेशल जूरी मेंशन का पुरस्कार जीता है।
रिकॉर्ड समय में हुआ महोत्सव का आयोजन-
समारोह में कर्नाटक राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रधान सचिव एन. मंजूनाथ प्रसाद ने कहा, यह उत्सव करीब एक महीने की तैयारी में आयोजित हुआ जो करिश्मे जैसी बात है। महोत्सव में 55 देशों की 200 से अधिक फिल्मों की 332 स्क्रीनिंग की गई और एक भी स्क्रीनिंग रद्द या बाधित नहीं हुई। यह भी बड़ी बात है।
डिजिटल डेब्यू महोत्सव की बड़ी कामयाबी-
कर्नाटक चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष सुनील पुराणिक ने उत्सव के डिजिटल डेब्यू को महोत्सव की बड़ी कामयाबी के रूप में निरूपित किया। उन्होंने कहा, हमने कुल 38 फिल्मों को ऑनलाइन दिखाया। लगभग 1,600 ऑनलाइन फिल्में देखने के लिए रजिस्ट्रेशन किया था। हर दिन 900 से अधिक दर्शकों ने महोत्सव की फिल्मों को देखने के लिए लॉग इन किया था।
समारोह में विभिन्न जूरी सदस्यों का अभिनंदन-
समारोह में फिल्मों के चयन से जुड़ी विभिन्न जूरी सदस्यों को भी राज्यपाल ने अभिनंदित किया गया। इस बार दो वर्षों की फिल्मों के पुरस्कार दिए जाने की वजह से सूची लंबी थी। इनमें जूरी द्वारा प्रशंसित फिल्मों के सम्मान भी शामिल थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रसिद्ध वीणा वाद्य विशेषक्ष डॉ. सुमा सुधीन्द्र और उनके साथियों ने अपने सुमधुर संगीत से समां बांधा।
कर्नाटकी के साथ ही उनके फ्यूज़न संगीत को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। जेआरडी टाटा ऑडिटोरियम में संपन्न कार्यक्रम में सूचना एवं जनसंपर्क के मुख्य सचिव मंजूनाथ प्रसाद, आयुक्त डॉ. पीएस हर्ष और फ़िल्म महोत्सव के कलात्मक निर्देशक नरसिंह राव, देशी-विदेशी मेहमान और गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
ऑस्कर स्पेक्ट्रम और क्रिटिक वीक की सौगात-
आयोजन में विभिन्न भाषाओं की भारतीय और विदेशी फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। परंतु इस बार क्रिटिक वीक और ऑस्कर स्पेक्ट्रम वाले खंड पहली बार प्रस्तुत किए गए। ऑस्कर स्पेक्ट्रम में सनराइज, द बैटल ऑफ अलजियर्स, अनादर राउंड, द वर्स्ट पर्सन इन द वर्ल्ड, पैरेलल मदर्स और ड्राइव माई कार जैसी चर्चित फिल्में प्रदर्शित की गईं।
इसी तरह तुलु सिनेमा के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में तुलु फिल्में भी प्रदर्शित की गई। यह कर्नाटक की क्षेत्रीय भाषा है। कंट्री फोकस में जर्मनी और फ्रांस की फिल्में शामिल की गईं। जबकि स्व. पुनीत राजकुमार और संचारी विजय की फिल्में श्रद्धांजलि स्वरूप दिखाकर, दक्षिण भारत के दोनों अभिनेताओं को याद किया गया। एक विशेष खंड आज़ादी की अमृत महोत्सव पर केंद्रित था। इस खंड की िल्मों को भी दर्शकों ने बड़ी लगन से देखा और सराहना की।
32 दिनों में अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव-
बेंगलुरु फ़िल्म महोत्सव के डायरेक्टर और कर्नाटक चल चित्र एकेडमी के चेयरमैन सुनील पुराणिक ने कहा, किसी भी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह को व्यवस्थित रूप से आयोजित करने के लिए कम से कम 6 महीने तक निरंतर तैयारी की ज़रूरी होती है। परंतु हमने 13वें बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव को सिर्फ 32 दिनों में आयोजित करने का चुनौती भरा काम किया है। यह आसान नहीं था लेकिन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और हमारी सहयोगी टीम के ज़बरदस्त सहयोग ने इसे संभव बनाया। हम महोत्सव को दर्शकों के बीच सफलता पूर्वक आयोजित कर सके
उन्होंने कहा, ओमिक्रॉन के बढ़ते संकट की वजह से लग रहा था इस साल भी यह महोत्सव टल जायेगा। हम वर्चुअल फिल्म फेस्टिवल की तैयारी कर रहे थे। परंतु मुख्यमंत्री ने हमें घोषणा से पहले दस दिन रूकने को कहा। 27 जनवरी 2022 को उन्होंने हायब्रिड फिल्म महोत्सव का साहस भरा निर्णय लिया। हमने भी संकल्प लिया कि हम आयोजन को पूरी शक्ति लगाकर प्रबंधित करेंगे। सबकुछ ठीक रहा और हम महज़ 32 दिनों के बेहद कम समय में इस आयोजन को कर दिखाने में सफल रहे।
इसके पीछे हमारे संगठन या कोर टीम के साथ मिलकर मेरे काम करने का अनुभव भी है। इस अनुभव ने भी प्रबंधन को गति दी। हमने एक अच्छी टीम बनाई और फिर मैदान में पक्के इरादे के साथ उतर गये। बता दें, सुनील पुराणिक दक्षिण भारतीय फ़िल्मों के एक्टर,डायरेक्टर और प्रोड्यूसर रहे हैं। तेलगु,तमिल और मलयाली फ़िल्मों में काम कर चुके हैं। साथ ही कुछ अहम अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में बतौर जूरी भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
(शकील अख़्तर वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं। आप भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और कर्नाटक सरकार के बेंगलुरु फ़िल्म महोत्सव की चयन समितियों के सदस्य रहे हैं।)