इन दिनों दूरदर्शन पर रामानंद सागर द्वारा निर्मित टीवी धारावाहिक 'रामायण' फिर से दिखाया जा रहा है और यह अच्छी टीआरपी भी बटोर रहा है।
रामायण धारावाहिक का निर्माण 33 वर्ष पूर्व हुआ था। तब से लेकर अब तक तकनीकी रूप से काफी परिवर्तन हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद यह धारावाहिक इसलिए पसंद किया जा रहा हो क्योंकि रामायण में लोगों की आस्था है। जो लोग इसे पहले भी देख चुके हैं उन्हें उस दौर की बातें याद आ रही होंगी इसलिए भी वे इसे देख रहे हों।
रामायण के पुर्नप्रसारण के जरिये इसमें काम करने वाले कलाकारों की लोकप्रियता अचानक बढ़ गई। राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल और सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया को उम्रदराज लोग भूला चुके थे।
नई पीढ़ी के दर्शकों ने इनके नाम भी नहीं सुने थे, लेकिन अब सभी इनको जानने और पहचानने लगे हैं। इनके ट्वीट और कमेंट्स को महत्व दिया जाने लगा है।
सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका ने फिल्म इंडस्ट्री में 'सुन मेरी लैला' से अपनी अभिनय यात्रा शुरू की थी। इस फिल्म में उनके हीरो थे राजकिरण। छोटे बजट की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी, इसके बावजूद दीपिका को मनचाहा काम नहीं मिला। दीपिका को लगा कि उन्हें बड़े सितारों के साथ फिल्में मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
बड़ी फिल्मों 'भगवान दादा' (1986), 'काला धंधा गोरे लोग' (1986) जैसी फिल्मों में दीपिका को छोटे-मोटे रोल मिले। बी-ग्रेड की हॉरर फिल्मों में दीपिका को जरूर लीड रोल मिले।
उन्होंने 'चीख' (1986) और 'रात के अंधेरे में' (1987) जैसी दोयम दर्जे की फिल्में की। इनमें उनके बोल्ड सीन भी थे।
इसी बीच उन्हें रामानंद सागर के टीवी धारावाहिक 'रामायण' में सीता की भूमिका मिल गई। जब दीपिका की सीता के रूप में लोकप्रियता बढ़ी तो इसे भुनाने के लिए उनकी इन बी-ग्रेड फिल्मों को फिर रिलीज किया गया।
दीपिका की इन फिल्मों को लेकर काफी आलोचना भी हुई। हालांकि यह फिल्में उन्होंने रामायण करने के पहले की थी, लेकिन इसके लिए उन्हें बुरा कहा गया।
रामायण के बाद उन्हें कुछ बड़ी फिल्में जरूर मिलीं। राजेश खन्ना जैसे हीरो की हीरोइन बनने का मौका मिला। बंगला फिल्मों के स्टार प्रसन्नजीत और मलयालम फिल्मों के सितारे ममूटी की हीरोइन भी वे बनीं।