बॉक्स ऑफिस पर बजरंगी भाईजान ने धूम मचा रखी है। इस फिल्म को आम दर्शकों के साथ आलोचकों ने भी सराहा है। सलमान के पिता सलीम खान का तो कहना है कि यह सलमान के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म है। आखिर सलमान की यह फिल्म क्यों इतनी पसंद की जा रही है, पेश है पांच कारण।
शानदार कहानी फिल्म की कहानी वी. विजयेन्द्र प्रसाद ने लिखी है। इन्होंने ही बाहुबली की कहानी भी लिखी है। इस कहानी में तमाम बातों का समावेश संतुलित मात्रा में है। इमोशन, रोमांस, कॉमेडी के साथ-साथ भारत-पाकिस्तान के आम लोगों की सोच को यह कहानी बखूबी दर्शाती है। हिंदू-मुस्लिम संस्कृति के फर्क को हास्य के जरिये कहानी में पिरोया गया है। किरदार बखूबी लिखे गए हैं। कहानी में मनोरंजन के साथ छुपे संदेश है। यह इतनी सरल है कि आम से लेकर खास तक, 6 साल के बच्चे से लेकर तो 80 साल के बूढ़े तक को अपील करती है।
पूरी फिल्म मनोरंजकबजरंगी भाईजान देखते समय बोरियत पास नहीं फटकती। मनोरंजन से भरपूर कई सीन गढ़े गए हैं। सलमान की बजरंग बली के प्रति भक्ति, मुन्नी का मां से बिछुड़ना, मुन्नी का पाकिस्तानी होने का भेद खुलना, मुन्नी का पड़ोस में जाकर चिकन खाना, मुन्नी को कोठे से सलमान का वापस लाना, सलमान और उनके पिता के बीच के सीन, सलमान का सच बोल कर सीमा पार करना, पाकिस्तान में सलमान-नवाजुद्दीन के बीच के सीन, मुन्नी की आवाज का लौटना, ऐसे कई दृश्यों की भरमार है जो हंसाते हैं, आंखें गीली करते हैं, भावुक करते हैं, ताली बजाने को मजबूर करते हैं। जब इतना मसाला मिलेगा तो फिल्म में मजा आना स्वाभाविक है।
हर्षाली की मासूमियतपहले सीन से ही हर्षाली मल्होत्रा नामक छोटी-सी बच्ची आपका दिल छू लेती है। हर्षाली की खूबसूरती और मासूमियत पहली नजर में ही दर्शकों का दिल जीत लेती है। शायद यह पहला ऐसा पाकिस्तानी किरदार होगा जिसे भारतीय दर्शकों का इतना प्यार मिला है। बहुत दिनों बाद सलमान की फिल्म में ऐसा किरदार देखने को मिला है जो सलमान से ज्यादा चर्चा पा रहा है।
कबीर खान का संतुलन कबीर खान ने फिल्म का संतुलन बनाए रखा है। हिंदू हो या मुस्लिम, भारतीय हो या पाकिस्तानी, सभी को यह फिल्म अच्छी लग रही है। कबीर रस्सी पर चल रहे थे। जरा भी इधर-उधर होते तो नीचे गिर पड़ते, लेकिन इस छोर से उस छोर तक जाने में उन्होंने अपना संतुलन नहीं खोया। पूरी फिल्म पर उनकी पकड़ दिखाई देती है।
सुपरस्टार सलमान खान का जादू
सबसे अधिक और महत्वपूर्ण कारण हैं सलमान खान। कुछ घटिया फिल्मों को भी उन्होंने अपने दम पर सफल बनाया है तो बजरंगी भाईजान को तो सफल होना ही था। अरसे बाद सलमान की मासूमियत लौटी है। अपने किरदार के अनुरूप वे सच्चे और ईमानदार लगे। कहीं उनसे अपना किरदार छूटता नहीं है। उन्हें वो प्रशंसा हासिल हो रही है जो सुनने के लिए उनके कान अरसे से बेताब थे। सलमान का स्टारडम और अच्छी कहानी मिल जाए तो बेहतर फिल्म सामने आती है। बजरंगी भाईजान इसका उदाहरण है। इस फिल्म पर वे हमेशा गर्व कर सकेंगे।